
आयोजित व्याख्यान: शासकीय दुग्धधारी बजरंग महिला अवरुद्ध स्वशासी महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा व्याख्यान आयोजित किए गए। विषय विशेषज्ञों के रूप में डॉ. अंजली शर्मा प्राध्यापक ने “छत्तीसगढ़ के विविध रंग” विषय पर मुख्यवक्त के रूप में छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों को प्रकाशित किया।
छत्तीसगढ़ के विविध रंग का संक्षिप्त परिचय हिंदी की विभागीय डॉ. सविता मिश्रा द्वारा प्रस्तुत उन्होंने कहा कि, वनस्पति जगत का अंग है कि, हम अपनी संस्कृति को जाने जैसे नाचा करते हैं, पंडवानी, भरथरी, बांसगीत, चंदानी क्या है? हमारा लोक व्यवहार अनादरित है। यह भी हम जाने की हमारी संस्कृति आत्मा हैं। साथ ही विषय का परिचय दिया। डॉ. अंजली शर्मा ने मुख्य वक्ता के रूप में छत्तीसगढ़ के संबंध में बताया कि, छत्तीसगढ़ का सर्वप्रथम प्रयोग चंद्र मिश्र कृत “खूब तमाशा” में हुआ ।छत्तीसगढ़ के सभी जाति के अपने विशिष्ट पर्व, उत्सव ,लोकगीत ,कथा एवं संस्कृति है। उन्हें गाने के महत्व के बारे में बताया।
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मनुष्य के जीवन में बालक के जन्मोत्सव से लेकर 16 संस्कारों के गीत हमारे छत्तीसगढ़ में प्रचलित है। के रे सुआना, तिरिया जनम झंडी दे।” इस तरह के गीतों की प्रस्तुति में नारी जाति की विरह व्यंजना मानो तीव्रतम रूप में अभिव्यंजित हो उठती है। इसी तरह भोजली गीत प्रकृति देवी की पूजा के लिए जाती है- “अहो देवी गंगा देवी गंगा तरंग तिरंगा भोला हर तिरंगा हमर भोजली दाई के सरकारी आठ अंग। बाँसगीत की परंपरा लुप्तप्राय होने की दर्ज में है राउत नृत्य गीत में समान व्यवहार का पालन करते हुए श्रमिक वर्ग अपने मालिक को आशिष देते हैं – “अन्न धन तोरे घर अधिकार जुग जीयो लाख
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