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मां के समान बच्चों को कोई और व्यक्ति प्यार नहीं कर सकता। मां की छांव में बच्चा चलना, खाना, बोलना सब सीखता है। हालांकि मांओं का लुक, उनकी भूमिका और अंदाज बदला हुआ है। पर नहीं बदला तो बच्चों के लिए उनका प्यार। यह प्यार हमेशा दुलार में ही नहीं होता, कभी-कभी बच्चों को अपने जीवन के संघर्ष के लिए तैयार करते हुए वह सख्त भी होता है।
मां के वात्सल्य के साथ उसकी ऊंचाई को भी महसूस किया जा सकता है। ऐसी ही एक दृक् संकल्प मां के संघर्ष की कहानी मिसेज चटर्जी छंद नर्वे में रानी मुखर्जी पेश करने वाली हैं। यहां उन्हें पेरेंटिंग के प्रति संवेदनशील लोगों के लिए सजा दी जाती है, जो वास्तव में भारतीयता की पहचान और स्वास्थ्य के लिए भी अच्छे हैं। आइए जानते हैं भारतीय मांओं की वे आदतें जो बच्चों के लिए मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हमेशा से लाभ ली जाती हैं।
क्या है मिसेज चटर्जी की कहानी
सच्ची कहानी पर आधारित रानी मुखर्जी की अपकमिंग मूवी मिसेज चटटी वर्सेज नॉर्वे में मां के एलेक को बखूबी करार दिया गया है। देबीका चटर्जी का रोल निभा रही क्वीन इस फिल्म में अपने बच्चों को वापस पाने के लिए एक लंबी नडात्राई लड़ाई कर रही हैं। विशेष रूप से, नौ लाख से संबधित लोग रानी की परवरिश पर प्रश्निया निशान लगा रहे हैं। उनके अनुसार बच्चों को हाथों से खाना खिलाना, नजर से बचाने के लिए काला टीका लगाना और बच्चों को मां का स्पर्श महसूस करने के लिए उनके साथ सोना आस के लोगों को गलत दिखना लगता है। एक बंगाली महिला की कहानी स्वीकार कर रही रानी अपने बच्चों की कस्टडी को वापस पाने के लिए एक लंबी लड़ाई पर लड़ाई करती नजर आ रही है।
मई 2011 में एक भारतीय कपल का अनुकरण और समुद्रिका भट्टाचार्य असल में अपने दो बच्चों के साथ नार्वे घूमते हुए थे। अब सागरिका बच्चों का पालन पोषण करती थी और बच्चों को हाथों से खाना खिलाती थी। वहीं हिजड़ा केयर विभाग से जुड़े लोगों के अनुसार वे अपने बच्चों के साथ मनमाना व्यवहार करते हैं, जो पूरी तरह से गलत हैं। इसके चलते वहां के वेल्फियर में सात बच्चों ने अपनी कस्टडी में लिया था। साल 2012 में एक साइकेट्रिक के बाद पाया गया कि बच्चों की मां ठीक है और Kids का लालन पालन कर सकता है। बाद में उनके बच्चे उन्हें वापस भेज दिए गए।
यहां हम भारतीय मांओं की रिश्तों के बारे में बात कर रहे हैं जो वास्तव में स्वस्थ हैं (भारतीय मां की स्वस्थ आदतें)
1 ब्रेस्टफीडिंग (स्तनपान)
न्यूट्रिशन से भरपूर मां के दूध में एंटीबॉडीज और विटामिन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। मां के दूध से शिशु के शरीर में कई तरह की एलर्जी और बैक्टिरियल इंफेक्शन से जलन होती है। स्तन से बच्चा मां के करीब आता है और जुड़ जाता है।
डब्ल्यू एच ओ के अनुसार अन्य अपेक्षा के लिए आदर्श भोजन है। ये पूरी तरह से सुरक्षित और स्पष्ट है। इसमें ऐसी एंटीबॉडी होती हैं जो उम्रहुड से जुड़ी होती हैं कई सामान्य बीमारियों से समझौता को बचाने में विफलता सिद्ध होती हैं। ब्रेस्ट मिल्ट चिल्ड्रन की शुरुआत करने के लिए कुछ जरूरी पोषक तत्वों के साथ ऊर्जा प्रदान करने का काम भी करता है। वहीं मां के दूध के पहले साल की दूसरी झलक के दौरान बच्चे के पोषण की खूबसूरत सुंदरता को पूरा करता है। वहीं दूसरे साल में एक तिहाई बच्चे स्तनपान से मिलते हैं।
डब्ल्यू एच ओ के अनुसार ब्रेस्टफीड करने वाले बच्चों का ज्ञान स्तर उच्च होते हैं। ऐसे बच्चों में गड़बड़ी से ग्रस्त होने की अनुमान कम ही रहता है। इसके अलावा ऐसे बच्चे कम डायबिटिक होते हैं। साथ ही स्तनपान कराने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट और ओवेरियन कैंसर का खतरा भी कम होता है।
2 हाथ से खाना खिलाना
बच्चों को मां नपे तुले पकड़ से अपने हाथ से खाना खिलाती है। वो छायादार है कि बच्चा एक निवाले में कितना खा सकता है। इससे खाने के दौरान खांसी आना या खाना गले में अटकने का डर नहीं रहता। इससे बच्चा मां के करीब आता है और वो खाने के बाद संतुष्टि का अनुभव भी करता है।
ठंडे और गर्म हाथों से नाजुक के बाद भी निवाला बच्चे के मुंह में डाल दिया जाता है। वेदों की करार, तो हमारे हाथों के बारे में पंच महाभूत के अनुसार बने हैं। अंगूठे का संबंध से अग्नि को बताया जाता है। अग्रउंगली का वायु से, मध्य उंगली का आकाश। वहीं अनामिका उंगली का संबंध पृथ्वी और छोटी उंगली को जल से संबधिम बताया गया है। ये पाँचों महाभूत जब खाने के लिए हमारे मुख तक दृढ होते हैं, तो ये हमारे स्वस्थ्य के लिए लाभ होते हैं।
3 बच्चों की कहानी सुनाना
इससे बच्चों की कल्पना शक्ति बढ़ रहा है। साथ ही बच्चे में जानने की इच्छा जागृत होती है। धीरे-धीरे वे खुद भी कहानियां बुनना शुरू कर देते हैं। इससे बच्चा इंटरएक्टिव और स्मार्ट बनता है। बच्चे का निर्माण होता है और उसका विश्वास भी बढ़ता है।
![मां अपने बच्चों से कृति है प्यार मां अपने बच्चों से कृति है प्यार](https://i0.wp.com/images.healthshots.com/healthshots/hi/uploads/2022/10/18100005/reasons-to-not-have-children-370x207.jpg?resize=370%2C207&ssl=1)
4 बच्चों को अपने साथ सुलाना
कई बार चाइल्ड नाइट में डरकर उठ जाता है और रोने लगता है। ऐसे में मां के साथ सोने से वो खुद को सिक्योर फील करता है। इसलिए ही कुछ बच्चे देर रात तक जागते रहते हैं, जिससे माता पिता बच्चे की मालिश करके या अन्य तरीकों से सुलाने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, बच्चों को पैनरेट करते हुए कुछ देर के प्रमाण भी दे सकते हैं। साथ ही वे आसानी से बच्चे के मन को टटल भी कर सकते हैं। भारतीय माओं के प्यार की कोई भी सीमा नहीं होती है।
5 कभी-कभी डांटना
बच्चों से गलती होने पर अगर हम डांटेंगे तो उन्हें अपनी गलती का एहसास होता है। इससे बच्चे का मानसिक विकास होता है और वो अगली बार उस गलती को करने से पहले पिछली बार की डांट को छोड़ देता है। इसके अलावा बच्चे की उम्र के साथ जुड़ाव होने लगता है। वे सही और गलत के आपसी मित्र हैं। अच्छे और बुरे के इस अंतर को बच्चा अपनी मां से सीखता है। वहीं दूसरे बच्चे को अपमानित करने के लिए दूसरों के सामने डांटने से बचना चाहिए।
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