
हम अक्सर जानकारी के अभाव में कुछ घिसने और बातों को गलत समझ लेते हैं। हम उस चीज से जीवन भर रहते हैं, जबकि वह किसी भी तरह से खतरे में नहीं पड़ती। यह बात एचआईवी और एड्स पर फिट बैठती है। एचआईवी होने के बावजूद व्यक्ति लंबे समय तक पाता है। जबकि एड्स एचआईवी की अंतिम अवस्था है। एड्स के बारे में बहुत सारे ब्लॉग को तोड़ने और जागरूकता फैलाने के लिए प्रति वर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस (विश्व एड्स दिवस) मनाया जाता है। आज हेल्थ शॉट्स के इस लेख में हम बता रहे हैं कि एचआईवी के साथ स्वस्थ जीवन कैसे जी सकते हैं।
विश्व एड्स दिवस 2022 (विश्व एड्स दिवस 2022)
एड्स के बारे में अब भी लोग बहुत सारी संभावनाएँ संभावना के शिकार हैं। आधी-अधूरी जानकारी के कारण स्थिति और बहुत अधिक सिनिस्टर हो जाता है। इसलिए इस विश्व एड्स दिवस पर हम आपके उन सभी सवालों के जवाब दे रहे हैं, जिनमें से सभी में अब भी आपको परेशानी का सामना करना पड़ता है।
एचआईवी पीड़ित होने की आशंका पर किससे बात करें, ड्रग्स कहां से लें। डाइटिंग के साथ ही उन्हें किस तरह की एक्सरसाइज करनी चाहिए, इन सभी बातों की जानकारी जरूरी है। ये जानने के लिए हमने बात की नौएडा इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल बिजनेस (NIIMS) के एम डी मेडिसिन डॉ। शैलेन्द्र कुमार मंझवर से। आइए सबसे पहले एचआईवी और एड्स के बीच के अंतर को जानते हैं।
अंतर है एचआईवी और एड्स (एचआईवी और एड्स)
डॉ. शैलेन्द्र कुमार कहते हैं, ‘एचआईवी (ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस) एक ऐसा वायरस है, जो सीधे परत पर हमला करता है। ऐसी हरकत जो शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करती है। इससे व्यक्ति का मुक्त तंत्र कमजोर हो जाता है और वह कई तरह की बीमारियों के प्रति संवेदनशील हो जाता है।
आम तौर पर एचआईवी असुरक्षित यौन संबंध, बिना कंडोम सेक्स और इजेक्शन या दवा के उपकरण शेयर करने से जुड़ते हैं। यदि इलाज का पता नहीं चलता है, तो एचआईवी ही एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंसी सिंड्रोम) का रूप ले सकता है।’
मानव शरीर में कभी-कभी एचआईवी से बचाव नहीं हो सकता। इसका कोई प्रभावी इलाज अब तक मौजूद नहीं है। यदि एक बार किसी व्यक्ति को एचआईवी हो जाता है, तो उसे सिर्फ अपनी भरपाई स्ट्रांग करने पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि यह जीवन भर के लिए रहता है।
एड्स (एड्स) एचआईवी संक्रमण का अंतिम चरण
एड्स (एड्स) एचआईवी संक्रमण का अंतिम चरण है। ऐसा तब होता है जब वायरस के कारण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली बुरी तरह प्रभावित होती है। एचआईवी वाले अधिकांश लोग एड्स विकसित नहीं करते हैं, क्योंकि निर्धारित एचआईवी दवा लेने से रोग की प्रगति बंद हो जाती है।
व्यक्ति की सीडी 4 (भेद प्रकोष्ठ का समूह) मुक्त प्रणाली से जुड़ी होती हैं। जब सीडी 4 सर्कस 200 प्रति क्यूबिक तथ्य से घटित होते हैं, तो एड्स हो जाता है। स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली वाले किसी व्यक्ति में सीडी 4 की संख्या 500 और 1,600 अणु/मिमी होती है।
एचआईवी या एड्स के बारे में कैसे पता चलता है
डॉ. शैलेन्द्र कुमार कहते हैं, एचआईवी होने पर सबसे पहले देखा जाना चाहिए। एड्स परीक्षण की सुविधा अधिकतर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या डॉक्टर क्लिनिक में उपलब्ध है। किसी फ्रेम से या ऑनलाइन सेल्फ़-टेस्ट किट ख़रीद कर उसका स्वयं भी परीक्षण किया जा सकता है। डॉक्टर की निगरानी में जब एचआईवी की दवा लेनी शुरू की जाती है, तो रेगुलर इंटरवल पर डॉक्टर से परामर्श और चेकअप गैर-जरूरी है।’
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1 सबसे पहली दवा शुरू करें
डॉ. शैलेन्द्र कुमार कहते हैं, परीक्षण के बाद यदि आप एचआईवी पॉजिटिव पाए जाते हैं, तो सबसे जरूरी है कि तुरंत दवा शुरू करें। दवा भी विशेष रूप से ही उपलब्ध होती है और बिना डॉक्टर के मिशन लेटर के दवा भी नहीं मिलती है। इसलिए समय पर दवा उपलब्ध कराएं लेनी चाहिए। दवा की कमी में एचआईवी पीड़ित रोगी हो जाते हैं।’
2 पोषक तत्वों से भरपूर आहार
डॉ. शैलेन्द्र कुमार कहते हैं, एचआईवी से पीड़ित लोगों का सक्रियण तंत्र ही प्रभावित होता है। इसलिए उन्हें पोषक तत्वों से भरपूर भोजन लेना चाहिए। हरे निर्जीव फल, पत्तेदार शाकाहारी, प्रोटीन से भरपूर वैजैक्टिक्स और दालों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए।

3 वजन कंट्रोल रखें
एचआईवी पीड़ित लोगों को अपना कंट्रोल वजन रखना चाहिए, इसलिए वे लो सैचुरेटेड फ़ूड लें। सोडियम और एक्स्ट्रा शुगर वाले खाद्य पदार्थों को संतुलित मात्रा में चुनें। स्ट्रेट अंडे, मांस और समुद्री भोजन से उन्हें बचना चाहिए। साथ ही साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखें।’
4 एक्सरसाइज भी जरूरी है
एचआईवी पीड़ित लोगों को जरूर एक्सरसाइज करनी चाहिए। नियमित शारीरिक व्यायाम और व्यायाम उन्हें अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाना चाहिए। वे अपनी रूटीन में वॉकिंग (चलना) जरूर शामिल करते हैं। साथ में डांसिंग, साइकिलिंग और करोड़ों को भी शामिल कर सकते हैं। हाँ सभी व्यायाम हृदय और फेफड़ों को स्वस्थ रखते हैं।
एचआईवी भी ले सकते हैं सेक्स का आनंद
यह जरूरी नहीं है कि एचआईवी होने के बाद आपकी सेक्स लाइफ पूरी तरह से खत्म हो जाए। इसके बाद भी लोग सेक्स का आनंद ले सकते हैं, पंजीकरण करें कि वे कुछ बातों का ध्यान रखें।
1 एंटीरेट्रोवायरल हैशरीज़ अभिनेताओं को सुरक्षा देता है
यदि आपका अभिनय नकारात्मक नहीं है, तो डॉक्टर के निर्देशानुसार एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी) ले सकते हैं। यह वायरस को अनियंत्रित सिस्टम को डैमेज करने से रोकता है। यह वायरस के अमाउंट को कम कर देता है। यह थेरेपी लेने के 6 महीने बाद से काम करना शुरू करता है। साथ ही हर 3 महीने पर अपना ब्लड टेस्ट जरूर करें।
2 कंडोम का प्रयोग करें
महिला हो या पुरुष, यदि दोनों कंडोम का प्रयोग करते हैं, तो एचआईवी होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।

3 एनल सेक्स से अतिसंवेदनशीलता का सबसे बड़ा खतरा
सेक्स करने के तरीके से भी कोई भी संक्रमण का खतरा बना रहता है। एनल सेक्स से अतिसंवेदनशीलता का सबसे बड़ा खतरा बना रहता है। ओरल सेक्स से हिजड़ा बहुत कम होता है या कोई जोखिम नहीं होता है। लिंग या योनि के अंदर कंडोम पहनने से यह जोखिम और कम हो जाता है।
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