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नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने नीतीश कुमार अन्न को लेकर श्रवण कुमार पर निशाना साधा | बिहार की राजनीति: नेता प्रतिपक्ष ने श्रावण कुमार को याद दिलाएं अपना कार्यकाल, कहा

पटना: बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा (विजय कुमार सिन्हा) ने संसदीय कार्य मंत्री के चुनावों पर पलटवार करते हुए कहा है कि उन्हें बिहार विधान सभा के अध्यक्ष के रूप में मेरा कार्यकाल और उनके कार्यकाल का स्मरण करना चाहिए। मेरे 50 मिनट के सदन में रहने के दौरान वर्तमान राष्ट्रपति की ओर से 113 बार टिप्पणी की गई और कार्यवाहक मंत्री नरेंद्र मोदी देख रहे हैं। उल्टे वे अध्यक्ष को कह रहे थे कि आप बहुत अधिक तरजीह देते हैं। कार्यक्षेत्र मंत्री बात कुजने में विशेषज्ञ हैं। तथ्यों से भली परिचित रहने के बावजूद बीजेपी (बीजेपी) पर अनाप-शनाप का आरोप है।

‘बिहार पंजाब बनने के लिए वर्जिन है’

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार ने शराबबंदी कानून के खुलने के नाम पर राज्य में विकट द्रव्य के रूप में उजला जहर का कारोबार पर कोई चिंता नहीं है। आज उजला जहर की लता नौजवानों में जिस प्रकार बढ़ रही है, बिहार पंजाब बनने के वर्जिन पर है। सत्ताधारी दल ने शराब बनाने वाले और शराब पीने वाले को उपचुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया था।

मुआवजा के मुद्दे पर ध्याना

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बीजेपी नेता ने कहा कि सरकार को शराब बनाने वाले माफिया और समझौते के नाम सार्वजनिक करने चाहिए। राज्य के लोगों को तब ज्ञात होगा कि इस कारोबार में लगे लोगों को कहां से संरक्षण प्राप्त हो रहा है। वहीं, मंडल कार्य मंत्री ने स्वयं अवगत है कि भाजपा संपूर्ण नशाबंदी के पक्ष में है। विरोधी पक्ष में रहने के बावजूद 2016 में भाजपा ने शराबबंदी का समर्थन किया था। जहरीली शराब से मरने वाले के परिजनों के लिए ब्लॉगर की मांग कर रहा है। बिहार उत्पाद अधिनियम 2016 में इसका प्रावधान भी है। उसी समय, उन्होंने परमाणु पर कार्रवाई करते हुए कहा कि भागीदार ने अब स्वीकार कर लिया है कि मुआवजे का प्रावधान कानून में है, लेकिन ग्लोब नहीं देने पर वे अब भी स्वीकार किए जाते हैं।

मंत्री श्रावण कुमार ने दिया था ये बयान

बता दें कि मंत्री श्रावण कुमार ने नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा पर शराब के मुद्दों पर दिए गए दावों को लेकर जहरा था। उन्होंने कहा था कि विजय सिन्हा विधानसभा अध्यक्ष के रूप में ज्ञान भी बांटते रहे। अब यहोवा से बाहर का ज्ञान बटेंगे तो उस बयान में क्या दम है?, उसका कोई मतलब नहीं है। ज्ञानी मनुष्य जनता में जनता और बिहार के लोगों की बात चतुराई से रखता है। डोम नियमावली से ही चलता है। यदि नियावाली के तहत आए तो उनकी बात सुनी गई। सत्ता पक्ष के सदस्य या निर्णय के सदस्य जो नियम के प्रश्न क़ानून रखते हैं, उनका उत्तर हुआ है

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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