गरियाबंदछत्तीसगढ़

सहकारी बैंक में बड़ा घोटाला: किसान के खाते से फर्जी साइन कर निकाले 7.91 लाख!

UNITED NEWS OF ASIA. गरियाबंद। समर्थन मूल्य पर धान बेचने के बाद एक किसान के खाते में जमा हुई रकम को फर्जी हस्ताक्षर कर निकाल लिया गया, लेकिन तीन महीने बाद भी जांच शुरू नहीं हो सकी है। मामला गरियाबंद जिले के नवीन शुक्लीभांटा गांव निवासी किसान खेमा पांडे से जुड़ा है, जिसने 31 जनवरी को 255.20 क्विंटल धान बेचा था। इसकी राशि 7.91 लाख रुपए देवभोग सहकारी बैंक शाखा में जमा हुई, लेकिन किसान के खाते से गोहरापदर ब्रांच में मिलीभगत कर पूरी राशि निकाल ली गई।

कलेक्टर के निर्देश के बाद भी नहीं शुरू हुई जांच

किसान खेमा पांडे ने 29 अप्रैल को कलेक्टर जनदर्शन में शिकायत दर्ज कराई थी, जिस पर कलेक्टर भगवान सिंह उईके ने जिला सहकारी उपपंजीयक को कार्रवाई के निर्देश दिए। बावजूद इसके न जांच शुरू हुई, न ही पीड़ित किसान को अब तक कोई राहत मिली है। बैंक स्तर पर की गई प्रारंभिक जांच में फर्जी हस्ताक्षर और नियम विरुद्ध इंटर ब्रांच विड्रॉल की पुष्टि हो चुकी है।

जिम्मेदारी तय नहीं, किसान कर्जदार बना बैठा

जिन पैसों से किसान कर्ज चुकाने वाला था, वही रकम खाते से गायब हो गई। खेमा पांडे पर पहले से 1.57 लाख रुपए का कर्ज है और अब वह दोबारा कर्ज लेने की भी स्थिति में नहीं है। आर्थिक तंगी के चलते खेती करना भी मुश्किल हो गया है और परिवारिक कलह बढ़ गई है।

बैंक कर्मियों पर भी गंभीर आरोप, 1.5 लाख में मामला दबाने की पेशकश

खेमा पांडे ने आरोप लगाया है कि गोहरापदर ब्रांच के बैंक कर्मचारी उसके घर पहुंचकर 1.5 लाख रुपए लेकर मामला रफा-दफा करने की बात कह रहे थे। यही नहीं, देवभोग ब्रांच के बैंक मैनेजर की रिपोर्ट में यह साफ कहा गया है कि विड्रॉल किसान के सैंपल सिग्नेचर से मेल नहीं खाता था और ब्रांच बदलकर निकासी करना नियम के विरुद्ध था।

धांधली की फेहरिस्त लंबी, कई किसानों से हुई ठगी

बताया जा रहा है कि गोहरापदर ब्रांच से छह से अधिक खाताधारकों के 42 लाख रुपए तक इसी तरह निकाले गए हैं। कांडकेला निवासी नमिता और माहुलकोट के किसान यशवंत मांझी के खातों में भी गड़बड़झाला हुआ, लेकिन अब तक किसी भी मामले में मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है।

प्रशासनिक सुस्ती या पर्दा डालने की कोशिश?

सहकारिता विभाग ने सिर्फ दो कर्मचारियों—क्लर्क सुरेश साहू और अकाउंटेंट दीपराज मसीह को निलंबित कर मामले की खानापूर्ति कर दी, जबकि ठगी का मामला आपराधिक श्रेणी का है और एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए थी। बैंक मैनेजर नयन सिंह ठाकुर को पद से हटा कर सिर्फ दूसरी ब्रांच में भेज दिया गया है।

जांच टीम गठित, रिपोर्ट लंबित

अब, “सुशासन तिहार” में पीड़ित की पुकार पर जिला सहकारी बैंक ने एक अफसर को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। 28 मई को उन्होंने गोहरापदर जाकर दस्तावेजों की जांच की और किसान का बयान भी दर्ज किया। उपपंजीयक महेश्वरी तिवारी ने पुष्टि की है कि ऑडिटर की अध्यक्षता में दो सदस्यीय टीम बनाई गई है, जिसकी रिपोर्ट आनी बाकी है।

 


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