छत्तीसगढ़

शासकीय पीजी कॉलेज कवर्धा में ₹1.22 करोड़ गबन मामले में बड़ी कार्रवाई – मुख्य आरोपी प्रमोद वर्मा गिरफ्तार, न्यायिक हिरासत में भेजा गया जेल

UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा | शासकीय आचार्य पंथ गंध मुनि नाम साहेब स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कवर्धा में करोड़ों रुपये के वित्तीय गबन प्रकरण में आज पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपी प्रमोद कुमार वर्मा (सहायक ग्रेड-2) को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।

यह कार्रवाई पुलिस अधीक्षक धर्मेन्द्र सिंह के नेतृत्व में, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक  पुष्पेन्द्र बघेल, नगर पुलिस अनुविभागीय अधिकारी  कृष्णा चंद्राकर एवं थाना कवर्धा प्रभारी निरीक्षक  लालजी सिन्हा की निगरानी में की गई।

क्या है मामला?

जनभागीदारी समिति अध्यक्ष रिंकेश वैष्णव द्वारा की गई शिकायत पर महाविद्यालय में वित्तीय अनियमितताओं की जांच प्रारंभ की गई थी। 21 मई 2024 को थाना कवर्धा में अपराध क्रमांक 728/2024, धारा 316(5) भादवि के तहत मामला दर्ज किया गया।

प्रारंभिक जांच में ही ₹28.32 लाख का गबन सामने आया था, लेकिन उच्च शिक्षा विभाग की जांच समिति की विस्तृत रिपोर्ट में गबन की राशि बढ़कर ₹1,22,59,125 तक पहुंच गई।

जांच में सामने आईं चौंकाने वाली अनियमितताएं –

  • ₹1,13,28,570 की राशि न तो बैंक में और न ही खजाने में जमा की गई।

  • स्ववित्तीय मद से संबंधित ₹24,81,805 की राशि कम जमा की गई।

  • बिजली बिल मद में ₹2,20,000 की राशि निकालकर भुगतान नहीं किया गया।

  • ₹9,40,555 की राशि मोबाइल बिल, ऑडिटोरियम किराया तथा अन्य मदों में अनियमित रूप से उपयोग की गई।

दस्तावेजों की हेराफेरी भी उजागर –

प्रशासनिक जांच के दौरान यह भी सामने आया कि आरोपी प्रमोद वर्मा ने कई मूल लेखा दस्तावेजों को जानबूझकर छुपाया। कुछ दस्तावेज महाविद्यालय की अलमारी से जब्त किए गए जबकि शेष आरोपी के घर से बरामद हुए। पूछताछ के दौरान आरोपी ने स्वयं स्वीकार किया कि उसने कॉलेज के महत्वपूर्ण रिकॉर्ड घर में सुरक्षित रखे थे।

पूर्व में आरोपी को शासन द्वारा निलंबित किया जा चुका है। अब दस्तावेजी प्रमाण और आरोपी के कबूलनामे के आधार पर विधिसम्मत गिरफ्तारी की गई है।

गिरफ्तारी टीम में इनकी रही अहम भूमिका –

इस संपूर्ण कार्रवाई में थाना कवर्धा प्रभारी लालजी सिन्हा, साइबर सेल प्रभारी मनीष मिश्रा, उप निरीक्षक त्रिलोक प्रधान, रजनीकांत दीवान, एएसआई संजीव तिवारी, राजकुमार चंद्रवंशी, बंदे सिंह मरावी, प्रधान आरक्षक वैभव कलचुरी, आरक्षक पवन राजपुर और सैनिक अनिल पांडे की विशेष भूमिका रही। उन्होंने तकनीकी साक्ष्य, लेखा अभिलेखों के विश्लेषण और गहन पूछताछ में सतर्कता व दक्षता का परिचय दिया।

अभी और गिरफ्तारियां संभव – जांच जारी

वर्तमान में मामले की विवेचना जारी है और गबन की शेष राशि, अन्य संभावित दोषियों की भूमिका तथा मिलीभगत की कड़ियों की जांच की जा रही है। पुलिस ने संकेत दिए हैं कि आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

यह प्रकरण न केवल शिक्षा संस्थानों में वित्तीय पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है, बल्कि प्रशासन की तत्परता का भी परिचायक है, जिसने महीनों की जांच और दस्तावेजी मेहनत के बाद आरोपी को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया।

 


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