
UNITED NEWS OF ASIA. राजनांदगाव | सोमवार सुबह डोंगरगढ़ स्थित विश्वप्रसिद्ध मां बम्लेश्वरी मंदिर की पहाड़ी पर एक ऐतिहासिक घटना घटी। पहली बार एक विशाल चट्टान पहाड़ी से खिसककर गिर गई, जिससे आसपास अफरा-तफरी मच गई। चट्टान गिरने से कई पेड़ धराशायी हो गए और दर्शन मार्ग की नई सीढ़ियों का एक हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। गनीमत रही कि कोई जनहानि नहीं हुई।
स्थानीय लोग बोले – ऐसा पहली बार हुआ
स्थानीय महिला मान बाई नेताम ने बताया कि, “बादलों जैसी तेज आवाज आई और देखा तो विशाल पत्थर खिसक रहा था। बचपन से यहां हैं, लेकिन ऐसा पहली बार देखा।”
चट्टान कुछ दूरी पर रुक गई, वरना नीचे बसे घरों और रास्तों को नुकसान हो सकता था।
कारण: ब्लास्टिंग, अवैज्ञानिक कटाई या प्राकृतिक घटना?
सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में पहाड़ी पर एक बड़ी चट्टान हटाने के लिए बारूदी ब्लास्टिंग की गई थी। इससे पहाड़ी की संरचना कमजोर हो गई। वहीं, लंबे समय से हो रहे अवैज्ञानिक निर्माण, अंधाधुंध खुदाई और पेड़ों की कटाई को भी कारण माना जा रहा है। इससे पहाड़ी का पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है।
रणचंडी मंदिर मार्ग हुआ क्षतिग्रस्त
इस घटना में रणचंडी मंदिर की ओर जाने वाली करीब 500 सीढ़ियों का ऊपरी हिस्सा बुरी तरह टूट गया है, जिससे पीछे के दर्शन मार्ग को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर उठे सवाल
डोंगरगढ़ का मां बम्लेश्वरी मंदिर हर साल लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र होता है। ऐसे में यह घटना सुरक्षा मानकों और पर्यावरणीय अनदेखी पर सवाल खड़े कर रही है। स्थानीय नागरिकों और पर्यावरणविदों का मानना है कि यदि जल्द कठोर कदम नहीं उठाए गए तो बड़ा हादसा हो सकता है।
वन विभाग करेगा जांच
वन परिक्षेत्र अधिकारी भूपेंद्र उइके ने बताया कि –
“चट्टानों और पेड़ों को हटाकर रास्ता साफ कर दिया गया है। कोई जनहानि नहीं हुई है, लेकिन यह मामला केवल प्राकृतिक आपदा नहीं लगता। जांच की जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए ठोस उपाय किए जाएंगे।”
ट्रस्ट की चुप्पी पर सवाल
वर्तमान में मंदिर ट्रस्ट का चुनाव चल रहा है, और इतने बड़े हादसे के बावजूद ट्रस्ट की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह स्थिति प्रबंधन की गंभीरता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है।
ज़रूरी सवाल और समाधान की मांग
क्या बिना भू-वैज्ञानिक परीक्षण के निर्माण कार्य होना चाहिए?
क्या श्रद्धालुओं की सुरक्षा के नाम पर विकास और पर्यावरण का संतुलन बिगाड़ा जा सकता है?
ट्रस्ट और प्रशासन कब चेतेंगे?
आस्था और पर्यावरण के बीच संतुलन जरूरी
यह घटना केवल एक चट्टान के गिरने की नहीं, बल्कि आस्था स्थल की सुरक्षा और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण की चेतावनी है। अब समय आ गया है कि प्रशासन, मंदिर ट्रस्ट और पर्यावरण विभाग मिलकर भविष्य की सुरक्षा रणनीति तैयार करें।
यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ़ एशिया पर खबरों का विश्लेषण लगातार जारी है..
आपके पास किसी खबर पर जानकारी या शिकायत है ?
संपर्क करें unanewsofficial@gmail.com | 8839439946, 9244604787
व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें
विज्ञापन के लिए संपर्क करें : 9244604787
निष्पक्ष और जनसरोकार की पत्रकारिता को समर्पित
आपका अपना नेशनल न्यूज चैनल UNA News
Now Available on :