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जोशीमठ में भू-धंसाव ने कई लोगों के कारोबार का सपना तोड़ा

मुंबई में अच्छी कमाई करने वाली नौकरी छोड़ दें कुछ साल पहले ही लांद्री का काम करने के लिए जोशीमठ लौटा होटल मान लीजिए स्नातक सूरज कपरूवान का व्यवसाय का ख्वाब भूधंसाव के कारण साकार होने से पहले ही चकनाचूर हो गया।

जोशीमठ में धंसने से आयी इस आपदा ने शहर के होटल, रेस्तरां, लांड्री, कपड़े से संदेश देने वालों के साथ-साथ रेहड़ी-पटरी वालों के खाने-खाने के सपने को चकनाचूर कर दिया है। मुंबई में अच्छी कमाई करने वाली नौकरी छोड़ दें कुछ साल पहले ही लांद्री का काम करने के लिए जोशीमठ लौटा होटल मान लीजिए स्नातक सूरज कपरूवान का व्यवसाय का ख्वाब भूधंसाव के कारण साकार होने से पहले ही चकनाचूर हो गया।

जोशीमठ में दो जनवरी को जमीन धंसने की घटना के कारण कई जगह जमीन और इमारतें टूट गईं और धीरे-धीरे दरारें चौड़ी होने लगीं और करीब 23,000 लोगों की आबादी शहर के निवासियों के लिए यह घटना सिनिस्टर के सपने के तौर पर सामने आई है। बेहद भावुक कपरूवन ने पीतृ/से कहा, ”इस आपदा ने मेरे सपने को चकनाचूर कर दिया। पर्यटक आने बंद हो गए हैं। बुकिंग रद्द हो रही है। मुझे अपने नौ लोगों को काम से हटाना पड़ा है।”

ट्रेकिंग और बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी तक जाने के लिए दिखने वाले दिखने वाले कारण शहर में धंधा बहुत अच्छा चलता है और कपरूवान भी अच्छी कमाई करने का सपना लेकर ही मुंबई से यहां आए थे। अजीब तरह से घर लौटने के अपने फैसले पर दुखी होते हुए कपरूवान ने कहा, ”हम पहाड़ हैं। अवसर के अभाव में जोशीमठ से सभी लोग मैदानी क्षेत्रों में जाते जाते हैं। मुझे लगा कि अगर मैं लौटा तो, मैं कुछ लोगों को रूपरेखा रोकूंगा और अपने शहर की बेहतरी में मदद कर पाउंगा।”

कपरूवन (38) ने कहा कि वह लांड्री का धंधा शुरू करने में करीब 35 लाख रुपए निवेश किए हुए हैं जिसमें से 20 लाख रुपये वाशिंग मशीन खरीदने में लगे। उन्होंने कहा, ”लांड्री की इमारत, बेसमेंट में चौड़ी दरारें पड़ गई हैं और उनके लिए खतरनाक जगह चिन्हित कर ली गई है.” ‘

संघ मंडल के अध्यक्ष नैनी सिंह भंडारी के अनुसार, जोशीमठ में करीब 600 अलग-अलग व्यवसाय हैं, जिनमें से कुछ लोगों के घरों में दबदबे को रखते हैं (होमस्टे), होटल, कपड़ों की दुकानें और रेस्तरां आदि शामिल हैं। इनमें से 50 इमारतों (व्यवसाय की जगहों) को रेड जोन (खतरनाक) घोषित कर दिया गया है। उन्होंने पीटीआई/को बताया, ”ये सभी व्यवसाय पूरी तरह से पर्यटन पर आधारित हैं। हमसे हर रोज हुई छुट्टी खाली करने को कहा जा रहा है, लेकिन हम सारा साजो-सामान लेकर कहां जाएंगे? पक्की बात है कि धंधों को बहुत नुकसान पहुंचता है।”

उन्होंने कहा, ”हम अपने साजो-सामान के लिए जिम्मेवारी और कार्य के लिए उचित दायित्व पैकेज की मांग कर रहे हैं ताकि वे अपना व्यापार फिर से शुरू कर सकें… या फिर उन्हें नौकरी दी जानी चाहिए।” कि ऐसे तमाम लोग भी हैं जिन्होंने अपना धंधा शुरू करने के लिए रिश्तेदारी समेत अन्य लोगों से कर्ज भी लिया है।

उन्होंने पूछा, ”उनके काम शुरू करने के लिए पगड़ी (एकमुश्त राशि) होती है। ऐसे स्थिति में वे अब क्या करें।” जोशीमठ से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अपने गांव से बच्चों की अच्छी शिक्षा का सपना लेकर शहर आए सूरज सिंह जोशीमठ-औली रोपवे पर ट्रेकिंग जूते, और बाकी चीजों की दुकान दौड़ रहे थे। लेकिन जमीन धंसने, रोपवे के पास मोटी-मोटी दरारें होने के कारण इस साल जिम्मेदार नहीं आ रहे हैं।

धंसने के कारण पिछले सप्ताह रोपवे का परिचालन रोक दिया गया था। सिंह ने पीटीआई/को बताया, ”मेरा धंधा रोपवे पर कायम है। मेरी दुकान, मेरा घर, सभी में मोटी-मोटी दरारें पड़ गई हैं और उन्हें खतरनाक की श्रेणी में रखा गया है। मैं अपना सारा सामान सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहा हूं, लेकिन अभी तक कोई जगह नहीं मिली है।”

हालांकि सिंह का परिवार अपने गांव वापस चला गया है, लेकिन अभी भी उनके घर पर बैंक से कर्ज चुकाया गया है। सरकार से प्रक्रिया को अपूर्ण देने का अनुरोध करते हुए सिंह ने कहा, ”मेरा घर 2016 में बना है। मुझ पर बैंक का कर्ज है। ऐसा लगता है कि इस आपदा से चीजें और मुश्किल ही होंगी।”

ज़मीन धंसने के कारण एक-दूसरे की ओर झुके हुए दो अलग-अलग लोगों के पास ही स्थित एक रेस्तरां के मालिक विवेक रावत ने कहा कि आपदा की ख़बरों के बाद से पर्यटक आने बंद हो गए हैं। दोनों ही ‘मलारी इन’ और ‘माउंट व्यू’ को खतरनाक घोषित कर दिया गया और उन्हें गिरने का आदेश भी जारी हो गया। रावत ने पीटीआई/से कहा, ”औली और दूरी वाले क्षेत्रों में बर्फ गिरने से हमें ज्यादा संख्या में रमने की चिपकन थी, लेकिन जमीन धंसने से हमारी कमाई बहुत घट गई है।” हालांकि, रावत का रेस्तरां अभी बंद तक है। ऐसा नहीं हुआ है लेकिन उनका कहना है कि उन्हें कभी भी ‘शटरडाउन’ करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा, ”दरारें रोज-ब-रोज चौड़ी होती जा रही हैं। मुझे नहीं पता कि मेरी दुकान कब इसकी जड़ में आएगी।

अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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