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इंसानों को सबसे ज्यादा अपनी चपेट में रहने वाले कुछ कष्टकारी सम्पर्कों में से एक ऐसा है जिसका खतरा हम सभी पर मंदराता रहता है। यह कैंसर (Cancer) है, जो पूरे समाज पर डर की तरह छाया हुआ है। कैंसर यानी साइलेंट किलर (साइलेंट किलर कैंसर) दुनिया में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। लंबे और मोटे उपचार के बावजूद ये साइलेंट किलर शरीर में छुपा रह सकता है और वापस लौट सकता है। आइए जानें क्यों इलाज के बावजूद वापस लौटना (Causes Of Cancer Relaps) होता है कैंसर।
2018 के आंकड़ों से यह पता चला है कि हर छह में से एक व्यक्ति की मौत होती है कैंसर की वजह से होती है। यानि हर साल कैंसर से 9.6 मिलियन लोगों की मौत हो जाती है। कैंसर दरअसल, कॉम्पिटिशन का एक बड़ा ग्रुप है, जो शरीर के किसी भी अंग के किसी भी टिश्यू में राइट हो सकता है। यह उनमें असंबद्धता की वृद्धि का कारण बनता है।
समझिए कैंसर का विकास
ये आक्रामक द्वेषपूर्ण व्यवहार (आक्रामक कैंसर कोशिकाएं) अपनी सीमाओं को लेकर के टिश्यू/अंगों तक भी फैलती हैं। इस प्रक्रिया को मैटास्टेसाइजिंग (मेटास्टेसाइजिंग) कहा जाता है और कैंसर की वजह से डेड्यू का प्रमुख कारण होता है। हाल के वर्षों में, टैक्नीलॉजी और चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति के चलते कई तरह के कैंसर के उपचारों में सुधार हुआ है, लेकिन दुर्भाग्यवश कैंसर अभी तक लाइलाज रोग बना हुआ है।
क्या है कैंसर के उपचार की प्रक्रिया
कैंसर का निश्चित रूप से उपचार मुमकिन है, लेकिन इसके साथ समस्या यह है कि इलाज के बाद भी यह वापस आ जाता है। इसके इलाज में हार्मोन थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी आदि शामिल हैं। हमारे डॉक्टर कई बार भाई-बहन की स्थिति में सुधार लाने के लिए कई तरह के इलाज विक्लपों का सहारा लेते हैं। लेकिन इसके बावजूद, कैंसर का दूरना रोगी और उनकी देखभाल में जुड़े लोगों के लिए काफी प्रमुख चिंता का विषय होता है।
क्यों दोबारा सटीक लगता है कैंसर
कैंसर फिर से उस स्थिति में रोता है जबकि कुछ समय तक निष्क्रिय रहने के बाद मैलिग्ननेंट दस्तक फिर से बढ़ने लगती हैं। रेडिएशन थेरेपी या अटकल से कैंसर का इलाज करने पर, कैंसर रोधी लिंफेटिक ब्लड वैल्स के जरिए शरीर के अन्य तत्वों में फैल सकते हैं। ऐसे में भाई का पूरा तरह से उपचार करने के बावजूद, कई बार कुछ मामलों में ये मैलिग्नेंट हटकर अन्य अंगों/भागों में पहुंच जाते हैं।
स्थिति के बावजूद पकड़ में नहीं आता है अति सूक्ष्म कैंसर अनुमान
कैंसर कोशिकाओं का आकार काफी सूक्ष्म होता है, यही कारण है कि ये आवंटन विभिन्न प्रकार के पैट स्कैन्स, सीटी स्कैन्स या एमआरआई आदि के बावजूद हमारी चिकित्सा सुविधा के तहत अधिकृत किसी भी विधि से पकड़ में नहीं आते हैं। ये झटके जिंहें किसी को भी कैसे से पकड़ा नहीं जा सका हो, समय के साथ जताने लगता है और उनकी वजह से शेयर भाग का आकार बढ़ता है।
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इस प्रकार के ट्यूमर में सबसे सुरक्षित प्रक्रिया बायप्सी होती है, जैसा कि कई भाइयों में देखा गया है। अन्य प्रकियाओं से किसी भी प्रकार की कैंसरकारी संघ का पता नहीं लगाया जा सकता है।
म्यूटेशन भी कारण हो सकता है
कैंसर के वापस दूर होने का एक और प्रमुख कारण म्युटेशन या फिर रोगी में अन्य कोई असामन्यता होता है। इस प्रकार के म्यूट्यूशन और असमान्यताएं कई बार समझौते के कारणों से होती हैं या फिर मैटाबॉल में सुस्ती और सामान्यत: शरीर में हार्मोन का स्तर बढ़ने की वजह से भी इस प्रकार की मैलिग्नेंसी बढ़ सकती है।
इसलिए जब भी भाई-बहन में इस तरह का बदलाव दिखाते हैं, तब कैंसर का पूरा इलाज होने के बावजूद उसका जोखिम रहता है। कैंसर उपचार के संबंध में निर्धारित स्थिति के अनुसार, चिकित्सा पेशेवरों के भाइयों को उपचार के बाद आपका नियमित स्कैन और टैस्ट लुक की सलाह इसी कारण से देते हैं।
उपचार के पहले दो साल हम हर तीन महीने में जांच के साथ कॉलते हैं। इसके बाद हर छह महीने पर और 5 साल के बाद उन्नीह साल में एक बार जांच के लिए बुलाया जाता है। जैसे-जैसे समय विवरण होता है, रीलैप्स का जोखिम भी सभी भाई-बहनों में घटित होता है।
डेट के बाद भी फैल सकता है कैंसर
हम यह जानते हैं कि क्यों सर्जरी, अटकलबाजी और रेडिएशन या यहां तक कि टार्गेटेड थेरेपी के बावजूद कैंसर रीलैप्स होता है। इसलिए हमें यह भी जानना ज़रूरी है कि कैंसर के उपचार के बावजूद पुरानी जलन की वजह से जेनेटिक म्यूयुटेशंस या हम कहते हैं अन्य कारणों की वजह से कई बार असामान्य प्रमाण तय होते हैं।
यही कारण है कि कई बार कैंसर रेडिएशन सर्जरी या करार के बाद कैंसर होता है। दर अस्ल, कैंसर धोखा लिंफेटिक्स बिल्ड वैल्स या सीधा प्रसार के फैलने के कारण फैलती हैं और ऐसा कई बार पूरा इलाज होने के बावजूद होता है। कैंसर की अत्यंत सूक्ष्म एटिओटीको किसी भी प्रकार के पैट स्कैन या सीटी या एमआरआई में नहीं पकड़ा जा सकता है।
याद रखना
1 सूक्ष्य छुपा सकते हैं
ये सदमे के समय के साथ बढ़ते हुए बच्चे हैं और इन छोटे आकार के ट्यूमर के कारण से पता चलता है। इस तरह, रीलैप्स होने की जानकारी इन नियमों से मिलती है। कई बार कुछ लोगों में सैद्धांतिक या भौतिक कारणों से भी ऐसा हो सकता है। शार्क कारणों से भी मैलिग्न होने का खतरा रहता है। इसलिए, यदि रोगी में ये कारण मौजूद होते हैं तो कैंसर का संपूर्ण उपचार होने के बावजूद उनमें से कैंसर के दोबारा होने का जोखिम बना रहता है।
2 नेटवर्क के बावजूद नियमित जांच जरूरी है
यही कारण है कि उपचार के दो साल तक रोगी को नियमित रूप से जांच के लिए बुलाया जाता है, दो साल तक हर तीन महीने पर उसकी जांच की जाती है, इसके बाद 5 साल तक हर छह महीने पर और 5 साल के बाद उन्ह साल में एक बार जांच की सलाह दी जाती है। समय के साथ-साथ रिलैप्स का जोखिम इन भाइयों में कम होता रहता है।
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