लेटेस्ट न्यूज़

जानिए मधुमेह में पपीता हानिकारक है या नहीं। सीखने में पपीता खाना नुकसानदेह है या नहीं।

इस खबर को सुनिए

जीवनशैली से जुड़ी बीमारी है। मधुमेह मेटाबोलिक सिस्टम में आया विकार (जीर्ण चयापचय विकार) है, जिससे रक्त में ग्लूकोज स्तर उच्च हो जाता है। मधुमेह दो तरह का होता है: टाइप 1, जो ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया के कारण होता है। यह सम्मिलन करने वाले पैंक्रियाज में संघटक को नष्ट कर देता है। टाइप 2 मिनट लाइन रेजिस्टेंस के परिणामस्वरूप होता है। इसमें शरीर इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग करने में असमर्थ है। एक बातचीत में जुड़ाववादी दिव्या गांधी कहते हैं कि किसी भी मरीज को कुछ फल और खाना नहीं खाना चाहिए। दैहिक तत्वों से भरपूर पपीता ताकतवर या नहीं (मधुमेह के लिए पपीता), इसके लिए हमने बात की न्यूट्रिशनिस्ट दिव्या गांधी और जिंदल नेचर्योर संस्थान, महलु के प्रमुख डायटशियन डॉ. सुषमा पीएस से।

ब्लड शुगर लेवल को बनाए रखने वाला आहार गंभीर (ब्लड शुगर लेवल)

जुड़ाववादी दिव्या गांधी कहती हैं, ‘मधुमेह के प्रबंधन में आहार महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह सीधा रक्त शर्करा स्तर (ब्लड शुगर लेवल) को प्रभावित करता है। मधुमेह वाले लोगों को स्वस्थ आहार का पालन करना चाहिए। इससे उन्हें सामान्य ब्लड शुगर लेवल बनाए रखने में मदद मिलती है। इसमें प्रोससड फूड, संतृप्त वसा और चीनी के सेवन को सीमित करना जरूरी है। इसके स्थान पर शाकाहारी, फल, शाकाहारी, लीन प्रोटीन और स्वस्थ वसा से भरपूर आहार का सेवन उन्हें दिया जाना चाहिए।’

पपीता या नहीं ले जाने के मरीज (Diabetes के लिए पपीता)

डॉ. सुषमा बताती हैं, ‘विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन ई और विटामिन के भरपूर मात्रा में होता है पपीता। 100 ग्राम मोटा पपीते में 32 कैलोरी, 0.6 ग्राम प्रोटीन, 0.1 ग्राम वसा, 7.2 ग्राम कार्बाक्स और 2.6 ग्राम प्रोटीन होता है। इसमें हाई फाइबर और लो शुगर होता है। 100 ग्राम पपीता में 6.9 ग्राम शुगर होता है। इसे प्रोटीन या स्वस्थ वसा के स्रोत के साथ जोड़ने से अधिक स्वास्थ्य लाभ मिलता है। उदाहरण के लिए, पपीते को मेवों या बीजों के साथ मिलकर ब्लड शुगर लेवल को संतुलित करने और निरंतर ऊर्जा प्रदान करने में मिल सकता है।

पपीता को प्रोटीन या स्वस्थ वसा के स्रोत के साथ जोड़ने से अधिक स्वास्थ्य लाभ मिलता है। चित्र: एक्सपोजर

पपीते में पैन एंजाइम होता है, जो व्यंजनों को तेजी से तोड़ने में मदद करता है। इसलिए यह डाइजेस्टिव सिस्टम के लिए भी फायदेमंद होता है।

ग्लाइसेमिक है माध्यम (कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स)

डॉ. सुषमा के अनुसार, यदि आप ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करना चाहते हैं, तो अपने आहार में संतुलित मात्रा में पपीता को शामिल कर सकते हैं। पपीता का ग्लाइसेमिक (GI) 60 होता है। इसका मतलब यह है कि ब्लड शुगर स्तरों को यह बहुत जल्दी नहीं दिया गया है।
लो जीआई फ़ूड 20 से 49 के बीच होते हैं, जबकी 50- 69 ग्लाइसेमिक पोषक तत्व वाले फ़ूड मध्यम जीआई फ़ूड होते हैं। हाई जीआई फ़ूड 70 -100 के बीच होते हैं।

ज्यादा पपीते से बेहतर कच्चा पपीता (पका पपीता बनाम कच्चा पपीता)

यदि रोगी के रोगी रॉ पपीता खा रहे हैं, तो वह उनके लिए अधिक बेहतर है। रेटिंग पपीते में चीनी कम होती है। इसमें उच्च फाइबर और कम वसा वाली सामग्री होती है। यदि हम दोनों की तुलना करते हैं, तो चार्ट पपीते में शामिल होता है। इसमें सफाई के गुण होते हैं। रॉ पपीता पोटैशियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और सोडियम का भी स्रोत होता है। हालांकि कच्चा और पका हुआ पपीता, दोनों ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने के साथ-साथ मधुमेह के रोगियों के समग्र स्वास्थ्य के लिए ग्रेड होता है

कितना सेवन करें पपीते का (Diabetes के लिए पपीता)

मधुमेह के आश्रित को प्रति दिन एक कप से अधिक पपीते का सेवन नहीं करना चाहिए। हालांकि इसमें कैलोरी कम होती है, लेकिन इसमें स्वाभाविक रूप से शुगर की मात्रा मौजूद होती है।

मधुमेह के आश्रित को प्रति दिन एक कप से अधिक पपीते का सेवन नहीं करना चाहिए। चित्र : संपर्क शेयर

इसलिए इसे अत्यधिक मात्रा में नहीं खाना चाहिए। यदि भोजन लेने के कुछ घंटे बाद पपीता लिया जाए, तो यह बेहतर है

डॉ. दिव्या गांधी के अनुसार, मधुमेह से जुड़ी इन बातों का भी ख्याल रखना होगा

संतुलित और स्वस्थ आहार लेना।
नियमित रूप से ब्लड शुगर लेवल की जांच बनी रहती है।
नियमित भौतिक गतिविधियों में संलग्न होना।
डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाओं को समय पर लेते रहें।
न्यूट्रिशनिस्ट से परामर्श लेकर अपने लिए दैनिक आहार निर्धारित करें।

यह भी पढ़ें :- उम्र बढ़ने के निशान को कम करने से पूरे शरीर को लाभ होता है हिमाचल की सी बेरी

Show More

Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
Back to top button

You cannot copy content of this page