एक कप कॉफी आपके मूड को अकेला कर देती है। इसमें कैफीन पाया जाता है। यह दुनिया में सबसे ज्यादा प्रयोग में लाया जाने वाला साइकोएक्टिव है। 1 कप कॉफी मूड को संबद्ध करता है। सुस्ती और काम न करने की इच्छा भाग जाती है। वेट लॉस के लिए भी कॉफी का सेवन किया जाता है। कुछ शोध निष्कर्ष हैं कि कॉफी मेटाबोलिज्म को भी विवरण करता है। यहां पर यह भी जानना जरूरी है कि कॉफी का सेवन कितनी मात्रा में और किस तरह करना चाहिए।
कॉफी के पोषक तत्व (कॉफी पोषक तत्व)
हार्वर्ड हेल्थ के अनुसार कॉफी में कैफीन, विटामिन बी2 (राइबोफ्लेविन), मैग्नीशियम प्लांट केमिकल संकेतजैनिक एसिड, क्विनिक एसिड पॉली सहितफेनोल्स, कैफेस्टोल, कहवीओल डाइटरपीन भी पाया जाता है। 8-औंसर एक कप कॉफी में लगभग 95 मिलीग्राम कैफीन होता है। दिन भर में 3-4 कप कॉफी या औसत 400 मिलीग्राम कैफीन ली जा सकता है। गर्मी के मौसम में 2-3 कप से अधिक कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए।
फैट बर्न होने के कारण मेटाबोलिज्म पर प्रभाव (Fat Burn)
अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित शोध से पता चलता है कि कैफीन मेटाबोलिज्म रेट कमोबेश बढ़ सकता है। इस स्थिति के दौरान और आराम करते समय शरीर की चर्बी दिखने में मदद कर सकता है। सामान्य वजन और व्यक्तियों के मेटाबोलिक रेट पर कॉफी के प्रभावों की जांच के लिए परीक्षण किया गया।
जब ब्रैंड कोकोइन का सेवन किया गया, तो प्रत्येक परीक्षण के 3 घंटे बाद मेटाबोलिक रेट में वृद्धि देखी गई। लेकिन कोलाज, कोलाज और कार्बोहाइड्रेट में महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं हुए।
मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों में यह मेटाबोलिक दर को उत्तेजित करता है। यह सामान्य वजन वाले लोगों में वसा की अधिकता के साथ होता है।
अलर्टनेस है (Alertness)
कैफीन मेटाबोलिक रेट को 3-11% तक बढ़ाया जा सकता है। यदि कॉफी अधिक मात्रा में ली जाती है, तो इसका अधिक प्रभाव देखा जाता है। मेटाबोलिक रेट में सबसे ज्यादा फैट बर्न होने का कारण होता है।
कैफीन की 50-300 मिलीग्राम मात्रा अलर्टनेस अलर्ट है। यह एनर्जी लेवल और कंसन्ट्रेशन की क्षमता में भी वृद्धि कर सकता है। ज्यादा मात्रा में कॉफी का सेवन एंजाइटी, बेचैनी, अनिद्रा और हृदय गति में वृद्धि जैसे नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं।
कॉफी कैसे लें (How to take Coffee)
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के अनुसार, स्वास्थ्य के फायदों के लिए काली कॉफी ली जानी चाहिए। एक कप में कोई कैलोरी या कार्बोहाइड्रेट या फैट नहीं होते हैं। इसमें सोडियम भी कम होता है। काली कॉफी में सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं। यह मेटाबोलिक रेटेडकर लंबी अवधि में कोगनेटिव डिक्लाइन से सुरक्षा प्रदान करता है। दूध या अन्य सामग्री के साथ मिलावट करने पर यह कम फायदे दिखाता है। यहां तक कि में शुगर को भी एड नहीं करना चाहिए।
खाली पेट नहीं लें कॉफी (खाली पेट)
न्यूट्रीटेंट जर्नल के अनुसार, कॉफी को कभी-कभी खाली पेट नहीं लेना चाहिए। सुबह के नाश्ते के बाद दोपहर 1-5 बजे के बीच सैरगाह पर जाना चाहिए। इस समय कॉफ़ी के माध्यम से रिपोर्ट्स दर्ज़ हैं। इनफ्लेमेशन से लड़ने वाले एंटीऑक्सीडेंट का स्रोत है कॉफी। व्यायाम से पहले इसे पीने से प्रॉक्सी रहस्यों के लाभ होते हैं।
ज़िंक सोर्स वाले आहार जैसे कि पोल्ट्री, द वल्ज़, द लाइट, रेड मीट खाने के बाद भराई नहीं चाहते। इस जीत से अनुमति हो सकती है।
चीनी के बदले दालचीनी का करें प्रयोग (Cinnamon)
न्यूट्रीट जर्नल के अनुसार, यदि कॉफी में चीनी के बदले में दालचीनी का प्रयोग किया जाता है, तो इससे अधिक लाभ होता है। रसोई में मौजूद रहने से कॉफी में थोड़ी सी मिलावट से मेटाबोलिज्म को तेज करने में काफी मदद मिल सकती है। मिशिगन लाइफ इंस्टीट्यूट इंस्टीट्यूट के एक नए अध्ययन के अनुसार, एक कप कॉफी में थोड़ी सी दालचीनी जोड़ने से आपके शरीर को तेजी से झलक मिलेगी। कॉफी का प्रभाव अलग-अलग लोगों पर अलग-अलग देखा जा सकता है।
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