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जानिए ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए ये योगासन। ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए जानें 5 योगासन।

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इन दिनों मिनट मेलिटस (डायबिटीज मेलिटस) सभी आयु वर्ग के लोगों में आम है। यह एंडोक्राइन ग्लैंड के कारण होने वाला है। यह एक लंबे समय तक चलने वाला मेटाबोलिक डिजीज है, जिसकी प्राथमिक समस्या शरीर द्वारा शुगर का सही तरीके से उपयोग करने से नहीं मिलती है। इंसुलिन हार्मोन की कमी होने पर ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। खान की गडबडियों, मोटापा और शारीरिक स्थिति की कमी के कारण ऐसा होता है। मधुमेह तनाव से भी संबंधित है। औषधि के साथ-साथ यदि कुछ योगासनों का सहयोग लिया जाए, तो लीनमेंट को कंट्रोल (Yoga for Diabetes) किया जा सकता है। बहने के लिए जरूरी योगासन के बारे में जानने के लिए हमने बात की योग थेरेपिस्ट और दिव्य सोल योग के डायरेक्टर डॉ। अमित उपयोग।

यहां हैं 5 योगासन जो डेल्टा (Yoga for Diabetes) को नियंत्रित कर सकते हैं

1 कटि-चक्रासन (कटि-चक्रासन)

डॉ. अमित आवंटित हैं, ‘यह एक सामान्य मुद्रा मुद्रा है, जिसमें स्पाइन को थोडा-सा ट्विस्ट किया जाता है।
कैसे करें कटि-चक्रासन (कैसे करें कटि-चक्रासन)
अपने पैरों को कंधों की चौड़ाई से अलग करके रैक्ट हो जाएं। वजन दोनों को समान रूप से होना चाहिए।
श्वास लें, बंधों को कंधे के स्तर तक उठाएं।
दाहिने कंधे के ऊपर देखें। गर्दन को सीधा रखें जैसे रीढ़ की हड्डी का शीर्ष एक निश्चित बिंदु है, जिसके चारों ओर सिर चक्कर है।
15 सेकंड के लिए स्थिति को बनाए रखें और प्रारंभिक स्थिति में वापस आकर श्वास लें।
दूसरी तरफ।
सावधान:
यदि हाल ही में रीढ़ की हड्डी या पेट की सर्जरी हुई है या स्लिप डिस्क की समस्या है, तो कृपया इससे बचें।’

2 पवनमुक्तासन (पवनमुक्तासन)

जैसा कि नाम से पता चलता है, यह आसन उदर क्षेत्र से अतिरिक्त हवा या गैस को निकालने में उपयोगी है।

कैसे करें पवनमुक्तासन (कैसे करें पवनमुक्तासन)

पीठ के बल सीधे चलें।
दोनों घुटनों को मोड़ें और जांघों को छाती के पास देखें।
अंगुलियों को आपस में जकड़ लें और घुटनों के नीचे की पिंडली को पकड़ लें।
सांस छोड़ें और सिर को तब तक उठाएं जब तक कि आपकी ठुड्डी को न छू लें और आराम करें।
सिर वापस जमीन पर कम ले जाता है। सांस लेते हुए पैरों को नीचे करें।
सावधान:

पेट की चोट, हर्निया और साइटिका की स्थिति में यह अभ्यास न करें। गर्दन का स्पंदिलाइटिस हो तो गर्दन को ऊपर उठाने से बचें।

3 सर्वांगासन (सर्वांगासन)

डॉ. अमित उम्मीदवार हैं, ‘इस आसन का शरीर लगभग सभी अंगों और जीवों पर लाभकारी प्रभाव डालता है।
कैसे करें सर्वांगासन (कैसे करें सर्वांगासन)
पीठ के बल चलो और जांच लें कि सिर और रीढ़ एक सीध में हैं। पैर सीधे और एक साथ।
शरीर को देखते हुए हाथों को पंजों की तरफ रखें।
पूरे शरीर और दिमाग को आराम दें। पेट की मांसपेशियों को सिकोडें और बजरों के लक्षण धीरे-धीरे पैरों को सीधा रखते हुए सीधे ऊपर की ओर बढ़ते हैं।
जब पैर पकड़ें, तो हाथों को नीचे फड़कें।
धीरे-धीरे और नींव के रूप में नसों को रोल करें और रीढ़ को फर्श से ऊपर उठाएं।
ट्रंक को एक स्थिति में देखें।’
हाथों की लकीरों को ऊपर की ओर मोड़ें, कोहनियों को मोड़ें और पीठ को सहारा देने के लिए हाथों को रीढ़ की हड्डी से छोटी-छोटी दूरी के पीछे रखें।
कंधों की चौड़ाई अलग-अलग होनी चाहिए।
धीरे-धीरे छाती को आगे की ओर इशारा करें ताकि यह ठुड्डी पर नज़र से दब जाए।
अंतिम स्थिति में, पैर का अपराध, एक साथ और धुंध के साथ एक सीधी रेखा में होते हैं।
शरीर को झुकना, गर्दन की नस और सिर के पिछले हिस्से पर सहयोग मिलता है। बाहें स्थिरता प्रदान करते हैं।
छाती ठोड़ी पर टिकी होती है और पैर में शिथिलता होती है।
आंखें बंद करो।
अंतिम मुद्रा में पूरे शरीर को जितना देर हो सके आराम दें।
वापस लौटते समय पीठ, कमर और फिर टांगों को बिना इशारा के नीचे और सिर को ऊपर उठाएं।
सावधान :

इस आसन को सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, स्लिप डिस्क, हाई ब्लड प्रेशर या दिल की अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों को नहीं करना चाहिए। मासिक धर्म और गर्भावस्था के दौरान बचने से बचें।

4 हलासन (Halasana)

इस आसन की अंतिम स्थिति भारतीय हल के आकार जैसी होती है।
कैसे करें हलासन (Halasana कैसे करें)
पैरों को एक साथ रखते हुए पीठ के बल सीधे लेट जाएं। भौंहों को नीचे की तरफ रखें। पूरे शरीर को आराम दें।
पेट की मांसपेशियों को सिकोडकर उनका उपयोग करके दोनों पैरों को सीधा और एक साथ बनाए हुए स्थिति में फिर से खींचा जाता है।
बाजुओं पर नीचे दबाएं। पीठ को फ़र्श से दूर कुजते हुए नितम्बों को दोहराएं। पैरों को सिर के ऊपर नीचे करें।

हल मुद्रा
यदि संभव हो, तो पैर के संपर्कों को सिर के पीछे फड़ से छूने की कोशिश करें। चित्र एक्सपोजर

यदि संभव हो, तो पैर के संपर्कों को सिर के पीछे फड़ से छूने की कोशिश करें।
पंक्तियों को ऊपर करें, कोहनियों को मोड़ें और पीठों को सहारा देने के लिए हाथों को पकड़ने के लिए पकड़ें।
वापस लौटते समय पीठ, कमर और फिर टांगों को बिना इशारा के नीचे और सिर को ऊपर उठाएं।
सावधान :

हर्निया, स्लिप डिस्क, सायटिका, हाई ब्लड प्रेशर या कमर की कोई गंभीर समस्या वांछनीय माथे की गठिया से पीड़ित व्यक्ति इस आसन का अभ्यास न करें।

5 मत्स्यासन (मत्स्यासन)

संस्कृत में ‘मत्स्य’ का अर्थ मछली होता है, इसलिए आसन को मत्स्यासन कहा जाता है।
कैसे करें मत्स्यासन (कैसे करें मत्स्यासन)
पद्मासन में बैठ जाएं और पूरा शरीर शिथिल कर दें।
हाथों और कोहनियों से शरीर को सहारा देते हुए सावधानी से पीछे की ओर झुकें।
छाती को थोड़ा ऊपर उठाएं, सिर को पीछे ले जाएं और सिर के ऊपर फर्श पर नीचे जाएं।
बड़े पैरों को पकड़ते हैं और कोहनियों को फ़र्श पर टिकाते हैं।
सिर की स्थिति को समायोजित करें ताकि पीठ का अधिकतम चाप प्राप्त हो सके।
बांधों और पूरे शरीर को ढीला करें। सिर, नितंबों और पैरों को शरीर के भार को सहारा देने की अनुमति दें।

पद्मासन के फायदे
मत्स्यासन करने के लिए सबसे पहले पद्मासन में बैठ जाएं और पूरा शरीर लचीला कर दें। चित्र एक्सपोजर।

आंखें बंद करें और धीरे-धीरे और गहरी सांस लें। प्रक्रिया के क्रम को उलटने से प्रारंभिक स्थिति में वापसी होती है।

सावधान:

जो लोग हृदय रोग, पेप्टिक अल्सर, हर्निया से पीड़ित हैं, उन्हें अभ्यास से बचना चाहिए। घुटने के साथ ही गठिया में पद्मासन से परहेज करें और पैरों को सीधा रखने का अभ्यास किया जा सकता है। प्रेग्नेंसी महिलाओं को भी इसका प्रयास नहीं करना चाहिए।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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