यदि शरीर स्वस्थ है तो कोई भी बीमारी हमें परास्त नहीं कर सकती। रोकथाम उपचार से बेहतर है। सदियों से यही संदेश भेजता है आयुर्वेद। आयुर्वेद स्वास्थ्य विज्ञान की जानकारियों का खजाना है। इसका उपयोग हम मन और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कर सकते हैं। आइए आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. नीतू भट्ट से जानते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार हम स्वस्थ कैसे रहें (आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ कैसे रहें) हैं।
वात, पित्त, कफ दोष का संतुलन
आयुर्वेद वैज्ञानिक है कि मनुष्य प्रकृति से उत्पन्न हुआ है और वह अपनी ऊर्जा और पोषण प्रकृति से प्राप्त करता है। ‘सुश्रुत संहिता’ के अनुसार हम अपने वात, पित्त, कफ दोष को संतुलित कर स्वस्थ रह सकते हैं।
हम भोजन के रूप में ऊर्जा का उपयोग करके शरीर बनाने वाले हैं। इससे मेटाबोलिज्म सक्रिय होता है और किसी भी विषैले पदार्थ (टॉक्सिन्स) को शरीर से बाहर निकाल देता है। मजबूत ओजस युक्त जीवन शक्ति मजबूत पाचन और प्रतिरक्षा का प्रतीक है। यह व्यक्ति के मन, आत्मा और शरीर की रक्षा करता है।
यहां हैं आयुर्वेद में स्वस्थ रहने के 5 उपाय
1 प्रकृति के साथ संतुलन (प्रकृति)
डॉ. नीतू बताती हैं, ‘आयुर्वेद के अनुसार हम प्रकृति का एक हिस्सा हैं। हमें खुद को स्वस्थ रखने के लिए प्रकृति से मिले खाद्य पदार्थ (पौधों पर आधारित खाद्य पदार्थ) का ही अधिक सेवन करना चाहिए। इसके बदले में हमें भी प्रकृति को स्वच्छ और संरक्षित रखना चाहिए। तभी हम खुद को प्रकृति से जकड़ लेंगे और हमारा जीवन कार्य और संतुलित हो जाएगा।’
2 प्रकृति की तरह हमारे जीवन में भी राहत हो सकती है
प्रकृति लयबद्ध तरीके से कार्य करती है। सूर्योदय, सूर्य, पूर्णिमा, अमावस्या, सर्दी-गर्मी बारिश का मौसम। इन सभी का समय निर्धारित होता है। सदियों से इनका एक ही क्रम बना है। जब हम प्रकृति की लय के साथ खुद को ट्यून करते हैं, तो हमारा जीवन भी स्वस्थ रहता है। हमें भी समय पर भोजन लेना, सोना-जागना, नित्य नित्य क्रिया कर्म, ध्यान-योग करना चाहिए। अपने भोजन में पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेना चाहिए। एक निश्चित समय पर भोजन और पानी हमें तंदुरुस्त रखता है। इनकी कतार में आने पर ही हम बीमार पड़ते हैं।
3 शांत और संतुलित मन के लिए ध्यान (Meditation)
आयुर्वेद शांत और संतुलित मन को स्वस्थ शरीर के लिए जरूरी है। मन और शरीर एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। स्वस्थ मन के लिए तनाव से दूर रहना जरूरी है। ध्यान के माध्यम से ही व्यक्ति तनाव से दूर रह सकता है। आंतरिक शांति के लिए ध्यान कैसे शुरू किया जाए, आप Instagram, YouTube पर मौजूद वीडियो और ऑडियो से मदद ले सकते हैं।
4 सही प्रजनन तकनीक (श्वास तकनीक)
हम आम तौर पर अपनी सांसों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। गलत तरीके से सांस लेना आम है। सही तरीके से सांस लेने के लिए इसकी प्रति सचेत होना जरूरी है। अपनी सांस का अवलोकन करें। दिन भर में कुछ मिनट धीरे-धीरे ध्यान दें- धीरे-धीरे सांस लें। कुछ मिनट के लिए प्रतिदिन अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें। ये अपने-आप को शांत करने का शानदार तरीका है। इसका मन और शरीर दोनों पर जीविका का प्रभाव पड़ता है।
5 सही समय पर सोने और बढ़ने वाली नींद (अच्छी नींद)
जब कोई व्यक्ति सो रहा होता है, तो पाचन प्रक्रिया के साथ-साथ टॉक्सिन्स को शरीर से बाहर निकलने की प्रक्रिया पर भी काम होता है। मन शांत होता है। जब पर्याप्त नींद नहीं मिलती है, तो ये अनजाने में रह जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, दिन के समय न सोएं। रात में सोने का नियमित कार्यक्रम बनाए रखें। देर रात सोने से शरीर कमजोर हो जाता है।
6 संतुलित भोजन (संतुलित आहार)
स्वस्थ रहने के लिए संतुलित आहार महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद के अनुसार, नियमित भोजन कार्यक्रम से मेटाबोलिज्म सबसे शानदार तरीके से काम करता है। गुणुना पानी पीयें। यह पाचन को अग्नि को उत्तेजित करता है। पर्याप्त पानी पिएं और फीमेल रहें। ताज़ा भोजन। ऐसे खाद्य पदार्थ जो पचने में आसान हों।
बेसी खाने का सेवन नहीं करें। हम भारतीय खाने में जिन मसल्स का इस्तेमाल करते हैं, उनमें इम्यूनिटी के लिए कई आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं। अग्नि और जीवन शक्ति दोनों के चक्कर हैं जीरा, अदरक और हल्दी। अपने नियमित आहार में आयुर्वेद के बारे में बताएं-विभिन्न को शामिल करें। शरीर के साथ-साथ त्वचा और बाल भी स्वस्थ रहेंगे।
7 रात में इन लुक का सेवन न करें
आयुर्वेद के अनुसार, दही, चावल, सूक्ष्म, स्ट्रॉबेरी, केला, नॉनवेज का सेवन रात में नहीं करें। सभी को छोड़ें फल (चेरी, ब्लूबेरी, रस भरी) को रात में खाना नहीं चाहिए।
8 धूम्रपान और शराब का सेवन नहीं करें
धूम्रपान और शराब से बचें। यह प्रतिरक्षा पर सबसे अधिक प्रभाव डालता है। इससे वायरल या जीवाणु संक्रमण होने का खतरा होता है। धूम्रपान और शराब का अधिक सेवन सोचने की क्षमता को धीमा कर देता है। यह निर्णय लेने की क्षमता को समाप्त कर देता है और याददाश्त खो देता है। इसके कारण औषधियों से भी लाभ नहीं मिलता।
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