
एक बच्चे के समग्र विकास में सिर्फ उसका भौतिक विवरण ही काफी नहीं है। हमारे आस-पास बहुत सारे बच्चे ऐसे भी हैं, जो इंटेलीजेंट होने के बावजूद अपनी बात नहीं रखते। इसकी वजह से विश्वास की कमी होती है। अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे का कॉन्फिडेंस लेवल (Confidence Level) हमेशा बेहतर हो, तो आपको अभी से बहुत सी बातों का ध्यान रखना होगा। यहां वे 4 पेरेंटिंग मिस्टेक्स (Parenting Mistakes) के बारे में बात करने वाले हैं, जिनकी वजह से बच्चों का कॉन्फिडेंस लेवल कम रहता है।
बच्चे की शारीरिक और मानसिक प्रलेखन में कई प्रविष्टियाँ उनके कॉन्फिडेंस जैसी महत्वपूर्ण भूमिकाएँ हैं। आसपास के अनुभव से बच्चों का विश्वास बना सकते हैं और टूटने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। ऐसे में उनकी पेरेंटिंग किस तरह से की जा रही है यह बहुत मायने रखता है।
यदि बच्चों में सही कॉन्फिडेंस लेवल है तो यह उन्हें एक बेहतर इंसान बना सकता है और करियर में आगे बढ़ने में मदद कर सकता है। मगर कई बार माता-पिता अपने बच्चों को विश्वास दिलाने के चक्कर में उनका विश्वास कमजोर कर देते हैं। बच्चों को गलत तरीके से संभालने पर उनका मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ सकता है।
तो यदि आपके बच्चों का कॉन्फिडेंस लेवल बढ़ता है तो आपको उनके साथ डील कैसे करनी चाहिए? इस बारे में सही जानकारी दे रही हैं आशिना सदाना, जो कि पेरेंटिंग कोच हैं। यहां देखें उनका वीडियो –
बच्चे को विश्वास दिलाने के लिए इन 4 पेरेंटिंग मिस्टेक्स से बचना जरूरी है
1. विश्वास की कमी को बार – बार नजाएं
यदि आपका बच्चा कॉन्फिडेंट नहीं है तो उसे बार-बार यह जितने की संपत्ति नहीं है कि उसमें कॉन्फिडेंस की कमी है। यदि आप अपने बच्चे को अंडर कॉन्फिडेंट कहेंगे, तो इससे उनकी कुछ बुराई नहीं होगी और न ही वो खुद को बदलेंगे। क्योंकि, यह उन्हें बढ़ावा देने का एक बहुत ही नकारात्मक तरीका है। इस तरह वे इसे खुद कि एक कम मान लेंगे और बदलने का प्रयास नहीं करेंगे।
2. उनकी सप्ताहिकताओं को बहुत अधिक समरूपता न करें
बच्चों को बार-बार उनकी साप्ताहिकी बताती है कि कोई खुशी नहीं होती। बल्कि ऐसा करने से वे चिड़चिड़े हो जाएंगे और बुरा महसूस करेंगे। बच्चेचो की रूपरेखा को बहुत अधिक, प्रत्येक व्यक्ति के सामने समानताएं करने से उन्हें और अधिक अंडरकॉन्फिडेंट फील होता है। इसलिए बिना उनकी कमी को प्रतिबिंबित किए उन्हें सकारात्मक तरीके से प्रेरित करने की कोशिश करें।

3. बहुत अधिक तनाव न लें
यदि आपके बच्चे में कॉन्फिडेंस की कमी है तो आपको बहुत अधिक संवेदनशील होने की जानकारी नहीं है। इसी साथ, इस चिंता का भार आपके बच्चों पर किसी भी तरह की दिलचस्पी नहीं है। ऐसा इसलिए, क्योंकि कॉन्फिडेंट बनना एक अटकल है, न कि कोई भी चीज जो एक दिन में सिखाई जा सकती है। आराम करें और आपके बच्चे भी प्रेशर में न आने दें।
4. एक ही चीज के पीछे न पड़ें
यदि बच्चों को एक ही बात बार-बार बताई जाए तो वे उसे कभी नहीं मानते हैं, इसके बजाय वे विद्रोही हो सकते हैं। एक बात को बार-बार एक्सप्लेन किया जाए यह बच्चे कभी पसंद नहीं करते। इसलिए बस सहजता से उन्हें एक या दो बार कहते हैं।
अपने बच्चे को विश्वास दिलाता है कि समय जानने के बाद अंजाने में हम ये गलतियां कर जाते हैं, लेकिन इससे उसके मासिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए इन पेरेंटिंग मिटेक्स को दोबारा नहीं जोड़ा जाएगा। और पूरी पॉज़िटिविटी के साथ उन्हें कॉन्फिडेंस क्रिएट करते हैं।
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