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जानिए हाइपर इंडिपेंडेंस ट्रॉमा के छिपे लक्षण – यहां जानिए हाइपर इंडिपेंडेंस ट्रॉमा के कुछ खास लक्षण

हमें बचपन से ही सिखाया जाता है कि जीवन में स्वतंत्र होना कितना जरूरी है। खर्च उठाने से लेकर मेंटल और फिजिकल हेल्थ तक, अपनी हर जिम्मेदारी हमें खुद उठानी चाहिए। आपने अपने आसपास ऐसे कई लोगों को देखा होगा, जिनकी किसी की हेल्प लेनी पसंद नहीं होगी। वह हमेशा हर चीज को पसंद करता है, जिससे वह खुद स्वतंत्र साबित होता है। लेकिन भ्रांति की धारणा, तो बहुत अधिक स्वतंत्र होने की लत मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी एक समस्या है। जिसे हाइपर इंडिपेंडेंस ट्रॉमा (हाइपर इंडिपेंडेंस ट्रॉमा) के नाम से जाना जाता है।


अब आपके मन में सवाल जरूर आया होगा कि इस समस्या को कैसे समझा जाए। इस समस्या पर बात करते हुए मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट और साइकोलॉजिकल डॉ फाइना ने कुछ खास लक्षणों पर बात की है। जिसे हम इस लेख के माध्यम से आपसे साझा करेंगे।

पहले समझिए कि हाइपर इंडिपेंडेंस की समस्या क्या है?

हाइपर इंडिपेंडेंस एक प्रकार का ट्रॉमा है, जिसमें व्यक्ति एक्स्ट्रेट इन्डिपेंडेंस होने की कोशिश करता है। ऐसे व्यक्ति को जरूरत के समय भी किसी से सहायता लेना पसंद नहीं करते हैं। इस कारण से कई बड़े व्यसनी का सामना करते हैं। यह लोग हर कठिन से कठिन कार्य को स्वयं करने की कोशिश करते हैं। जिससे वह खुद को स्वतंत्र साबित कर सके।

हाइपर इंडिपेंडेंस ट्रॉमा के इन लक्षणों की पहचान जरूरी है – (हाइपर इंडिपेंडेंस ट्रॉमा के लक्षण)

हमें कुछ टिप्स को अपनाना होगा, जिससे वर्क प्रेशर के स्ट्रेस को प्राप्त किया जा सकेगा। चित्र : उजागर करें

1. काम में डूबे रहना

डॉ ललिता के अनुसार हाइपर इंडिपेंडेंस ट्रॉमा से ग्रस्त व्यक्ति में सबसे बेहतर लक्षण यह होता है कि ये लोग हमेशा अपने काम में लगे रहते हैं। काम को इतना जरूरी बना लेते हैं कि अपनी पर्सनल और सोशल लाइफ पर कभी ध्यान नहीं देते। इन लोगों को वर्कहॉलिक और ओवर अचिवर भी कहा जाता है।


2. दीर्घावधि संबंध में जुड़ाव महसूस हुआ

विशेषज्ञ का कहना है कि रिलेशन के मामलों में यह लोग ज्यादातर लॉन्ग टर्म रिलेशनशिप में रहते हैं। चाहे ये रिश्ते कितने भी टॉक्सिक क्यों न हों, लेकिन यह लोग खुद को बेहतर दिखाने के लिए रिश्तों को लंबा करने की कोशिश में रहते हैं।

रवैया को बदलो
अगर आप खुद को बेहतर समझते हैं और दूसरों में आपको सिर्फ कमियां ही नजर आती हैं। तो इसका मतलब है कि आपके एटीट्यूट में ही कुछ ग्लॉसी है। चित्र शेयर करें

3. मदद में संकोच में हिचकिचाहट

अति स्वतंत्रता ट्रॉमा से ग्रस्त लोग स्वयं को बेहतर दिखाते हैं और स्वतंत्रता बनने की आदत है। इसलिए ये लोग जरूरी होने पर भी मदद नहीं ले पा रहे हैं। इन्हें मदद लेने में बहुत मुश्किल और इंसानियत का सामना करना पड़ता है।

4. दूसरों पर भरोसा नहीं करना

इस ट्रॉमा से पीड़ित लोगों के साथ अक्सर ट्रस्ट इंसूज रहते हैं। यह दूसरों पर आसानी से गारंटी नहीं देता। उन्हें लगता है कि लोग उन्हें दिखाते हैं या उनकी भरोसे को तोड़ने की कोशिश कर सकते हैं।

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5. खुद पर जिम्मेदारी लेना

खुद पर ज्यादा से ज्यादा जिम्मेदारियां लेना उनकी आदत होती है। यह लोग स्वयं के लिए कठिन कार्य करते हैं, जिससे दूसरों के सामने हार्डवर्किंग और स्वतंत्रता सक्षम महसूस होती है।

6. हाई एंजाइटी से ग्रस्त होना

एनर्जी से ज्यादा जिम्मेदारियां और टास्क उठाने के कारण यह लोग हमेशा तनाव और एंजाइटी से ग्रस्त रहते हैं। ये लोग ज्यादातर समय परेशान, नाराजगी और गुस्सा महसूस करते रहते हैं।

7. खुद को बेहतर साबित करना

हाइपर इंडिपेंडेंस ट्रॉमा से ग्रस्त लोगों की सबसे बड़ी साझेदारी खुद को बेहतर साबित करती है। यह लोग साबित करने की कोशिश करते हैं कि इनकी किसी की जरूरत नहीं है और यह अकेले ही सब कुछ संभाल सकते हैं।

8. निजी पर्सन रहना

यह लोग अधिकतर निजी पर्सन होते हैं। यह अपनी बातें किसी से शेयर नहीं करते। साथ ही अपनी भावना फ्रैंक भाव भी नहीं देख पा रहे हैं।

इस समस्या से कैसे निकलना है? (हाइपर इंडिपेंडेंस ट्रॉमा से कैसे निपटें)

जानकारों की सलाह के मुताबिक हाइपर इंडिपेंडेंस ट्रॉमा से ग्रस्त व्यक्ति को हेल्दी रिलेशनशिप, ट्रस्ट और अपनी लिमिटेशन समझने पर काम करना चाहिए। क्योंकि यह एक ट्रॉमा है, जिसे केयर और सपॉर्ट के साथ बरबाद किया जा सकता है। यदि फिर भी समस्या के लक्षण सामने आते हैं, तो ऐसे में विशेषज्ञ से मदद और कुछ खास बातें ली जा सकती हैं।


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