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प्रेग्नेंसी (गर्भावस्था) के दौरान महिलाओं का अपना विशेष ख्याल रखा जाता है। उन्हें न सिर्फ अपने लिए, बल्कि गर्भ में पाल रहे बच्चे के विकास का ख्याल रखते हैं। इसके लिए सबसे अधिक उन्हें अपने निर्णयों (स्वस्थ भोजन) पर ध्यान देना है। अपने खाते को पूरा करने के दौरान वे ब्रेकफास्ट और दोपहर के खाने को मिस कर जाते हैं। इसका सबसे अधिक प्रभाव गर्भावस्था पर पड़ता है। इससे प्रीमेच्योर लेबर (समय से पहले प्रसव का खतरा) का खतरा बढ़ सकता है। इसके लिए हमने गुरुग्राम के क्लॉड नाइन हॉस्पिटल के सीनियर गायनेकोलोजिस्ट कनस्लटेंट डॉ. रितु सेठी से।
कैलोरी की आवश्यकता में वृद्धि होती है (कैलोरी की मात्रा)
डॉ. रितु कहती हैं, ‘गर्भावस्था के दौरान भोजन लेना सबसे जरूरी है। यदि गर्भवती महिला ब्रेकफ़ास्ट करती है, तो माइल्स स्किप करती हैं, तो गर्भावस्था के दौरान जोखिम बढ़ सकता है। आपको न सिर्फ एक्स्ट्रा खाना होगा, बल्कि खाने के बीच हेल्दी स्नेप भी लेना होगा। कैलोरी इंटेक पर भी ध्यान देना होगा।’ पहले तिमाही में वैरिएंटल कैलोरी की आवश्यकता नहीं हो सकती है। लेकिन दूसरे ट्रेमस्टर में कैलोरी की आवश्यकता 300-350 हो सकती है। वहीं तीसरे ट्रेमस्टर में प्रेग्नेंट महिला के लिए कैलोरी की मात्रा 400-450 होना जरूरी है।
अगर (डिलीवरी) पहले करने की आवश्यकता हो सकती है
यदि आप उन्हें गलत करते हैं, तो बच्चे के संबंध में समस्या आ सकती है। बच्चे की सही नहीं होने पर चिंता करने की आवश्यकता हो सकती है। इससे प्रीमेच्योर का रिस्क बढ़ जाता है। प्रोटीन युक्त आहार और अन्य पोषक तत्व भी महत्वपूर्ण हैं।
भ्रूण का विकास (भ्रूण वृद्धि) प्रभाव पड़ सकता है
क्लिनिकल न्यूट्रिशन एशिया पैसिफ़िक जर्नल में प्रकाशित शोधकर्ता भी विशेषज्ञ के बारे में बताते हैं जो इसका समर्थन करते हैं। ओसाका विश्वविद्यालय की एम शिराशी और मेगुमी हरुना की खोज के अनुसार, जून और अक्टूबर 2010 के बीच जापान के एक विश्वविद्यालय अस्पताल में जापान की प्रेग्नेंसी महिलाओं पर क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन किया गया। इसके अनुसार, 20% अधिक प्रेग्नेंट जापानी महिलाएँ नियमित रूप से नाश्ता छोड़ती हैं। इसके परिणामस्वरूप महिलाओं के भ्रूण के विकास पर प्रभाव देखा गया। इससे गर्भावस्था की जटिलताओं को बढ़ावा मिला। कई आवश्यक तत्वों की कमी हो गई है। जांच में पाया गया कि गर्भावस्था के दौरान लंच के दौरान फैटी एसिड और विटामिन समेत कई पोषक तत्वों के सर्कुलेशन पर भी प्रभाव पड़ा। यूरिन स्तर की घटना-बढ़ना भी इसके आधार पर पाया गया।
प्रोटीन सहित अन्य पोषक तत्व (पोषक तत्व) की कमी
आहार के सटीक आधार के आधार पर महिलाओं की अपेक्षाओं का अनुमान लगाया जाता है। सूक्ष्म तत्वों और छिपे हुए स्तरों को समझने के लिए रक्त और 24 घंटे के यूरीन के नमूने एकत्रीकरण किए गए। प्रति सप्ताह दो या दो से अधिक बार लंच में चावल या रोटी जैसे मुख्य भोजन को छोड़ दें।
मल्टीपल लीनियर इंटिग्रेशन एनालिसिस का इस्तेमाल ब्रेकफास्ट स्किपर्स और नॉन-स्किपर्स के बीच एलीमेंट्स के स्तर की तुलना में किया जाता है।
नाश्ता करने वालों में पोषक तत्वों की कमी होती है
नाश्ता करने वाली महिलाओं में नाश्ता नहीं करने वाली महिलाओं की तुलना में शामिल में प्रोटीन और पोषक तत्वों की कमी होती है। यूरीन में विटामिन और पोटैशियम का स्तर भी कम देखा गया। इसलिए यह अपने निष्कर्ष में महिलाओं को समय पर नाश्ता और भोजन का निर्धारण करने की सलाह देता है। साथ ही उनके पोषक तत्वों से भरपूर होना चाहिए।
अधिक भोजन भी गर्भ के लिए
प्रेगनेंसी जर्नल की खोज दस्तावेज़ इस बात की चेतावनी देते हैं कि हमेशा बैलेंस डाइट लें। मीलों स्किप करने के साथ-साथ अधिक खाने पर भी ध्यान देना होगा। अधिक भोजन लेने से जन्म लेने के समय की परेशानी होती है और बाद में प्रतिष्ठा अधिक हो जाती है वजन कम करना भी मुश्किल हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान सूजन और हाई ब्लड प्रेशर का भी खतरा हो सकता है। यह प्रीक्लेम्पसिया के लक्षण हैं। यदि प्रीक्लेम्पसिया विकसित होता है, तो भ्रूण के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। प्रमाणपत्र प्रक्रिया जटिल हो सकती है।
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