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महिलाओं को रिप्रोडक्टिव ऐज में कई तरह की परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। इनमें से एक हार्मोन की समस्या है। हार्मोन की समस्या (हार्मोनल प्रॉब्लम) के कारण महिलाओं को पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम-पीसीओएस) की समस्या हो सकती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि पीसीओएस की समस्या होने पर दिन की शुरुआत चाय-कॉफी की बजाय एक केले से करनी चाहिए। केला इस समस्या से निपटने में मदद कर सकता है।
पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) कैसे होता है
पीसीओएस महिलाओं में अक्सर अधिक मेल हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का अधिक उत्पादन होता है और एस्ट्रोजेन का उत्पादन फिमेल हार्मोन कम हो जाता है। इससे मेल हार्मोन एण्ड्रोजन का स्तर ऊंचा हो जाता है। इसके कारण ओव्यूलेशन (Ovulation) नहीं मिलता है। इसके ऊपर कई छोटे सिस्ट हो जाते हैं। पीसीओएस के कारण फिफाइबर सीक्वेंस, चेहरे पर बड़े बाल आना, इनफर्टिलिटी, वेट गेन की भी समस्या हो सकती है।
बाज़ार से कपड़े के थैले में ही घर लायें केला
सेलिब्रिटी फिटनेस विशेषज्ञ और नुट्रिसनिष्ट रुजुता दिवेकर अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में बताते हैं कि पीसेओस और शुगर की क्रेविंग भी होती है, उनके लिए सबसे बड़े हैं। केला पाचन प्रक्रिया में भी पूर्ति होती है। हमेशा ताज़ा और केले की स्थानीय दुर्घटना ही। सप्ताह में कम से कम 2-3 बार रिश्तेदार। ये प्लास्टिक की थैलियों में घर नहीं देखते। इसके बजाय कपड़े के थैले में लायें। ये अधिक स्वास्थ्यकर होगा। इससे केला के पोषक तत्व बने रहेंगे। इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। खाने के 15 मिनट या थोड़े घंटे बाद कुछ लोग भोजन कर सकते हैं। इसके बाद संदीप पानी, चाय या कॉफी पी सकते हैं।
जानिए क्यों जरूरी है केला खाना
केला पीसीओएस की समस्या से पीड़ित लोगों को राहत मिल सकती है। केला में 75 साल पानी मौजूद है। इसके अलावा यह फाइबर, पोटैशियम, विटामिन बी 6, विटामिन सी और कई जाल और पोषक तत्वों का एक हेल्दी स्रोत है। इसमें पोटैशियम उच्च मात्रा में उपलब्ध होता है, जबकि चीनी की मात्रा कम होती है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से पीड़ित महिलाएं हाइपरिन्सुलिनमिया (Hyperinsulinemia) की समस्या से भी जूझ सकती हैं। केले से प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के बीच संतुलन बना रह सकता है। केला आंतों को अन्य खाद्य पदार्थों से सोखने में भी मदद करता है।
क्या है हाइपरिन्सुलिनमिया (Hyperinsulinemia)
पीसीओएस के कारण महिलाओं में जिंक रेजिस्टेंस (इंसुलिन रेजिस्टेंस) या हाइपरिन्सुलिनमिया (Hyperinsulinemia) हो सकता है। ग्लूकोज मेटाबोलिज्म पर इंसुलिन के प्रभाव का प्रतिरोध होने पर यह समस्या होती है। यह स्ट्रेट ओवेरियन और डक्टलेस ग्लैंड में एण्ड्रोजन सिंथ को बढ़ावा देता है। इससे संबंधित मिलान किया जाता है। इससे एनोवुलेटरी इनफर्टिलिटी की समस्या अधिक होती है।
केले का ग्लाइसेमिक कम होता है
केले में अपेक्षाकृत कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (ग्लाइसेमिक इंडेक्स) होता है। यह 42-58 के बीच होता है। निगरानी के बाद केले का जी बढ़ जाता है। जीआई अधिक होने पर भोजन में जल्दी से कार्ब्स ब्लड फ्लो में प्रवेश कर जाते हैं और ब्लड शुगर को बढ़ा देते हैं। प्रतिरोधी शटर और उच्च फाइबर की वजह से केले की कम जीआई होती है।
मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थ
केला में मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में उपलब्ध है। केला के अलावा काजू, बादाम, एवोकाडो और हरी पत्तेदार त्वचा में भी मैग्नीशियम पाया जाता है। ओवेरियन सिस्ट के कारण होने वाले क्रेम्प या ऐंठन से भी राहत मिलने वाले आहार में से एक है। केला में मौजूद पोषक तत्व मैग्नीशियम तनाव को रिलीज करता है, सूजन को कम करता है। साथ ही त्वचा को ठीक भी करता है।
मिलशेक या धब्बेदार के रूप में भी ले सकते हैं
अगर आप पीसीओएस की समस्या से जूझ रहे हैं, तो अपने आहार में केले को शामिल करना होगा। यदि आप रॉकिंग नहीं कर सकते हैं, तो मिल्शेक या धब्बेदार के रूप में भी ले सकते हैं।

किसी को यदि केला पसंद नहीं है, तो वे किसी भी स्थानीय या संबंधित फल का चुनाव कर सकते हैं। इसमें भी फायदा मिलेगा।
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