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ये सेल फोन युवाओं के लिए उनके सामाजिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। एक खोज से पता चला है कि लगभग 95% फोन फोन तक पहुंच जाते हैं। देखने और ग्रुपिंग पर दोस्तों के साथ रहने से लेकर स्कूल से संबंधित वेबसाइट, नियमित रूप से और सामयिक वेबसाइटों के उपयोग की आवश्यकताओं तक, आपसे स्मार्टफोन से छुट्टी नहीं मिलती है।
स्मार्ट फोन की लत आज कल युवाओं में बहुत ज्यादा देखी जा रही है, जरूरत से ज्यादा समय तक किशोर या युवा सिर्फ फोन में लग गए हैं। आजकल की ये समस्या छोटे बच्चों में भी देखी जा रही है। छोटे बच्चों के माता-पिता में जुड़ाव होने के कारण बच्चों को स्मार्ट टेलीफोन बना कर अपना काम शुरू करता है और आदी बच्चों की लत बन जाती है।
इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए हमने बात की डॉ आशुतोष श्रीवास्तव से, आशुतोष श्रीवास्तव Psyuni इंस्टीट्यूट ऑफ साइकोलॉजी एंड एलाइड वायटेज के डॉयरेक्टर और मेडिकल साइकोलॉजिकल साइकोलॉजिकल है।
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कब देना है बच्चों को फोन
डॉ आशुतोष श्रीवास्तव बताते हैं कि बच्चों की उम्र के हिसाब से ही बच्चे को फोन के संपर्क में लाना चाहिए। 2 साल से कम उम्र के बच्चे को फोन नहीं देना चाहिए क्योंकि उसके बारे में जानकारी नहीं है और न ही उसके लिए फोन जरूरी है। मनोरंजन के लिए फोन के इस्तेमाल का हेल्दी इस्तेमाल 30 मिनट से 2 घंटे तक हो सकता है लेकिन उससे ज्यादा नहीं।
सूझ में भी जब बच्चा पहुंचता है तो उसकी स्क्रीन टाइम को काफी सीमित रखना चाहिए। 3 घंटे से ज्यादा अगर कोई बच्चा फोन का इस्तेमाल मनोरंजन के लिए कर रहा है तो ये टेलीफोन की लत लग सकती है। अगर बच्चा किसी काम के लिए फोन का इस्तेमाल कर रहा है तो उसे भी थोड़ा ब्रेक देना चाहिए।
ये संकेत संकेत हैं कि आपके बच्चे को लग गया है स्मार्टफोन की लत
1 वृद्धि या बढ़ना
डॉ आशुतोष श्रीवास्तव कहते हैं कि ये लक्षण हर उस इंसान में दिखते हैं जो किसी तरह का नशा करता है या उसे किसी चीज की लत है, जब आप बच्चे से फोन लेते हैं या छिनते हैं तो वह कमजोर होना लग सकता है, उदासीनता, किसी काम में मन न लगना, अवसाद हो जाना ये सभी लक्षण अगर बच्चे से फोन लेने के बाद दिखते हैं तो उसे फोन की लत लग सकती है।
2 मोबाइल से दूर होने का डर
इसमें बच्चे को मोबाइल के साथ जाने या मोबाइल को वापस लेने का डर होता है। अगर फोन की बैटरी खत्म हो जाती है तो बच्चा दिखने लगता है या चिढ़ने लगता है बच्चे का किसी काम में मन नहीं लगता है। कई दुनियाओं में ऐसा भी देखा गया है कि बच्चे का फोन चार्ज पर रेक ही चलता है।
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बच्चों के समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित कर उन्हें समय से पहले बूढ़ा बना रहा है स्मार्टफोन
व्यवहार संबंधी समस्या (व्यवहार संबंधी समस्या)
अगर बच्चे फोन पर जाएं या इस्तेमाल के लिए न मिलें तो उनमें कई तरह के व्यवहार संबंधी लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे कि न फील होना, नजर आना, गलतियां करना, भ्रम करने जैसा चाजें दिखता है।
संज्ञानात्मक समस्या (संज्ञानात्मक समस्या)
इस तरह की समस्या बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य से प्रभावित होती है। इसमें बच्चे की सबसे कमजोर होना, किसी चीज का ध्यान न रखना, एकाग्रता के साथ कोई काम न करना। ये सभी चीजें भी लक्षण हो सकती हैं कि आपके बच्चे को फोन की लत है।
यथार्थ समस्या (भावनात्मक समस्या)
संबद्ध समस्या कई लोगों में देखी जाती है जिसमें इंमोशन पर कंट्रोल न होना है, नाकारात्मक सावधानी का जोर आना, कई बच्चों में ऐसी ही समस्या का शिकार हो जाता है जो उनकी उम्र के होश से बिल्कुल ठीक नहीं है, या गिल्ट होना।
शारीरिक समस्या (शारीरिक समस्या)
ज्यादा फोन का इस्तेमाल करने से या ज्यादा स्क्रीन के सामने दिखने से शारीरिक समस्या भी हो सकती है। कई बार बच्चों को युवाओं के माथे में समस्या हो जाती है। कई बच्चों की आंखें भी इसलिए कमजोर हो जाती हैं, क्योंकि वो ज्यादा फोन का इस्तेमाल करते हैं।
बच्चे से फोन की लत छुड़वाने में सहूलियतें हैं ये आसान टिप्स
1 पहले माहौल तैयार करें
किसी भी बच्चे से स्मार्टफोन की लत छुड़वाना इस समय जटिल लग सकता है। जबरदस्ती करने पर यह और भी ज्यादा जुड़ाव हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि पहले घर में ऐसा माहौल बनाया जाए कि किसी स्मार्टफोन से दूरी बनाई जाए।
2 अपने समय को मोबाइल फोन से रिप्लेस न करें
एक माता-पिता होने के नाते रिश्तेदार आपकी ये जिम्मेदारी हो जाती है कि आप अपने बच्चे के साथ समय ना चुनें कि अपना काम पूरा करने के लिए उसे फोन करें। इस तरह हम आपको स्मार्ट फोन से रिप्लेस करते हैं। बाद में यही बात हमें खराब दिखती है।
3 खुद बनेंगे रोल मॉडल
बच्चों को कुछ भी पढ़ाने से पहले यह जरूरी है कि आप पहले खुद इसे सीखें। अपने रूटीन को इस तरह सेट करें कि घर में कम से कम मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया जाए। ऑफिस की गलती और काम को घर पर करने से बचें।
4 सख्त रूटीन बनाएं
अपने बच्चे के लिए एक सख्त स्मार्टफोन शेड्यूल बनाएं। ताकि उससे ज्यादा बच्चे फोन का इस्तेमाल न करें। बच्चे की स्क्रीन समय सीमा तय करें। पर पहले इसे खुद भी फॉलो करें।
5 बेडरुम में न देखें फोन
अपने घर में यह सख्त नियम लागू करें कि बेडरूम में फोन न आए। बेडरूम में रात को सोते समय बच्चे को फोन न दें, अगर बच्चा ऐसा कर रहा है तो उसे रोक लें। ये छोटे-छोटे प्रयास शुरू में मुश्किल लग सकते हैं, पर इनसे नहीं। साथ ही यह भी जरूरी है कि स्मार्टफोन के इस्तेमाल से न करें और प्रभाव के बारे में सिर्फ उन्हें दिखा दें, बल्कि इसे व्यवहारिक रूप से समझाएं।
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