आज के दौर में मोबाइल का भी एक अधुनिक फैशन बन चुका है। फिर चाहे बच्चा हो, बड़ा हो या बुजुर्ग, कोई भी इसका प्रयोग नहीं हो रहा है। एक नहीं बल्कि दो-दो मोबाइल का प्रयोग बन रहा है। बस इतने ही नहीं छोटे बच्चों को खाना देने या शांति से बैठने के लिए भी अक्सर लोग उन्हें स्मार्ट फोन सिखाते हैं। जबकि आपको यह भी जानकारी होनी चाहिए कि मोबाइल फोन आपके बच्चे के स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है।
ज्यादातर लोगों को यह लगता है कि मोबाइल से बच्चा नई तकनीक के बारे में सीखता है, लेकिन यह भी सच है कि इसका प्रयोग मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों पर असर डालता है। मोबाइल का प्रयोग दिमाग की गति को कम करने के साथ साइबर बुलाइंस, अवसाद और तनाव जैसी समस्या को भी जन्म दे सकता है। ऐसे में मां-बाप बच्चे के लिए नियम तय करते हैं जिससे बच्चे को इस तरह के खतरे से बचाया जा सके।
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क्या कहता है स्वास्थ्य संगठन
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्मार्टफोन तकनीक का उपयोग करने वाले बच्चों से जुड़े जोखिमों को पहचानना शुरू कर दिया है। वाशिंगटन पोस्ट ने हाल ही में डब्लू अटैचमेंट की रिपार्ट में लिखा है कि दो से चार साल के बच्चे को एक दिन में एक घंटा स्क्रीन टाइम देना चाहिए। चार से अधिक के लिए दो घंटे हर दिन सही है। इससे अधिक प्रयोग से आंखों के साथ मेंटल हेल्थ पर प्रभाव दिखने लगता है।
सोचने और जानने की शक्ति प्रभावित करती है स्मार्टफोन
भोपाल के जेके हॉस्पिटल एलएन मेडिकल कॉलेज की शिक्षा रोग डॉ यामिनी जामोद अधिक समय देते हैं बच्चे को मोबाइल दें स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। वे कहते हैं कि बच्चों में कोई बात सीखी जाती है, तो अधिक अभिरुचि के कारण वे गलत सीख सकते हैं। इसके अलावा मेंटल हेल्थ पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है डिप्रेशन, नींद पूरी न होना जैसी समस्या होती है। बच्चे को मोबाइल का कम से कम समय के लिए प्रयोग करना बेहतर है।
और स्मार्ट फोन के कारण भी हो सकते हैं
1 कमजोर हो सकता है आंखों की रौशनी
स्मार्टफोन के प्रयोग से वयस्क और बच्चे दोनों में परेशानी हो सकती है। डिजिटल आई स्ट्रेन शब्द स्मार्टफोन से होने वाले नकारात्मक प्रभाव की पहचान है। इससे आपको आंख का दर्द, धुंधलापन, सिरदर्द, आंख में नशा का एहसास हो सकता है।
चोनम विश्वविद्यालय में एक शोध के अनुसार 7 से 16 साल के अधिकांश बच्चे जो स्मार्टफोन में अधिक समय रखते थे वे तिरछी नजर वाले हो गए। चार घंटे अधिक समय से क्रॉसआई होने की समस्या सबसे अधिक होती है। फोन से 30 मिनट के लिए एक गैप लिया जाना चाहिए।
2 बढ़ने से ट्यूमर का खतरा हो सकता है
स्मार्टफोन के अधिक प्रयोग से ट्यूमर का खतरा बढ़ सकता है। बच्चों के स्क्रीन टाइम को कम करने के लिए आसान पर ध्यान देना चाहिए। अध्ययन से यह पता चला है कि स्मार्टफोन का यूज ज्यादा करने से ट्यूमर का खतरा बढ़ रहा है। स्क्रीन टाइम को कम करने के लिए कंप्लीट टाइम के लिए बच्चों को फोकस करें। बच्चों को बोरियत न महसूस हो इसके लिए उनके साथ अधिक समय गलत होता है।
3 स्थिर रूप से स्थिर हो रहे हैं बच्चे
स्मार्टफोन बच्चों को सोशल मीडिया का आदि बना देता है। एक साथी की तुलना खुद से करने की अधिक इच्छा बच्चों में होती है। इंटरनेट की दुनिया बहुत बड़ी है। इसमें बच्चे की मेंटल हेल्थ पर नेगेटिव इफेक्ट हो सकता है।
ब्रिटिश साइकोलॉजिकल सोसायटी के अनुसार सोशल मीडिया का प्रयोग करने वालो बच्चों में अवसाद, चिंता, नींद पूरी न होने की समस्या है। ऐसे में माता-पिता को बच्चे पर मोबाइल के नकारात्मक प्रभाव को बता देना चाहिए।
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