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सेल्फ पलेज़र पाने के लिए मास्टरबेशन (हस्तमैथुन) करना एक आसान उपाय है। हांलाकि मास्टरबेट को लेकर लोगों के मन में बहुत से मिथक भी हैं। आमतौर पर इस परिस्थिति का शरीर पर किसी भी तरह का खतरनाक प्रभाव नहीं पड़ता है। बहुत से लोग खुद की खुशी के लिए सेक्स टॉयज (सेक्स टॉयज) और वाइब्रेटर का भी प्रयोग करते हैं। इसे करने से आप कहीं न कहीं यौन तनाव से भी दूर रहते हैं। पर अगर मास्टरबेशन के दौरान आप हाइजीन का ख्याल नहीं रखते हैं या इसकी जरूरत से ज्यादा अभ्यास करते हैं, तो इसका नकारात्मक प्रभाव भी हो सकता है (हस्तमैथुन का मस्तिष्क पर प्रभाव)।
इसके बारे में राजकीय मेडिकल कालेज हल्दवानी में मनोवैज्ञानिक डॉ. राजकुमार पंत के बयान हैं कि मास्टरबेशन मिजाज का काम करता है। इससे शरीर में हैप्पी और लव हार्मोन्स जारी होते हैं। इससे व्यक्ति खुद को एनर्जेटिक महसूस करता है। मास्टरबेशन हमारी मेंटल हेल्थ को दबाता है। हांलाकि कई बार कम उम्र के बच्चों में जागरूकता न होने के कारण मास्टरबेशन यानी उनके लिए परेशानी का कारण भी बन सकता है। मगर इसके बारे में कई मिथक पूरी तरह से गलत है।
सबसे पहले जानते हैं मास्टरबेशन से होने वाले फायदे
तनाव में कमी
मास्टरबेट करने से शरीर से ऑक्सीटोसिन हार्मोन (ऑक्सीटोसिन हार्मोन) जारी होता है। इससे शरीर में मौजूद स्ट्रेस हार्मोन यानी कार्टिसोल कम होने लगता है। इससे बॉडी रिलैक्स हो जाती है। इसके अलावा प्रोलैक्टिन भी तनाव की स्थिति से बाहर होने में निराशा साबित होती है।
नींद में सुधार
नींद न आना एक आम समस्या है। मास्टरबेशन से शरीर में हार्मोन के अलावा न्यूरोट्रांसमीटर (न्यूरोट्रांसमीटर) भी रिलीज होता है। इससे स्ट्रेस लेवल के अलावा ब्लड प्रेशर कंट्रोल (रक्तचाप नियंत्रण) हो जाता है। नींद भी अच्छी तरह से दिखाई देती है। मेडिकल न्यूज टुडे के एक अनुसंधान के अनुसार साल 2019 में 778 लोगों पर एक अध्ययन किया गया। इसमें पाया गया कि मास्टरबेट करने से सोने में न सिर्फ समय कम लगता है नींद की संपूर्णता में भी सुधार पाया गया।
मूड मूड
मास्टरबेशन से शरीर में तय होता है, ऑक्सीटोसिन और एंडोर्फिन हार्मोन रिलिज़ होते हैं। विनम्र को हैप्पी हार्मोनन कहा जाता है। इससे न केवल मानसिक रूप से काम मिलता है बल्कि किसी काम को करने के लिए मोटिवेशन भी मिलता है। वहीं ऑक्सीटोसिन शरीर को व्यवहारिक और साइकॉलोजिकल तरीके से प्रभावित करने का काम करता है। एंडोर्फिन में भी गुड फैक्टर पाया जाता है। इसके अलावा ये शरीर में होने वाले कई तरह के दर्द को भी दूर करता है।
फोकस और एकाग्रता में
इसी हार्मोन और न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर में अटका हुआ है। इससे व्यक्ति की कमाई और सीखने को बढ़ाने के साथ ध्यान और एकाग्रता में भी सुधार दर्ज किया गया है।
2020 के एक अध्ययन के अनुसार ध्यान और एकाग्रता में सुधार के लिए जाने वाली दवाओं के प्रदर्शन के स्तर को बढ़ा और कठिन कार्यों को पूरा करने में आप सिद्ध हो सकते हैं।
जहां एक तरफ मास्टरबेट करने से शरीर में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं। वहीं एकसमान मात्रा में करने से शरीर को कई मुश्किल का भी सामना करना पड़ सकता है। इसके कारण त्वचा की फटना, जेनिटल्स में सूजन और क्रैम्प्स की बड़ी समस्या होने लगती है।
अमेरिकन सायकॉलोजिकल एसोसिएशन के अनुसार सेक्स एडिक्शन को मेंटल हेल्थ कंडीशन का नाम नहीं दिया गया है। अन्य विशेषज्ञ के अनुसार ऐक्सिव मास्टरबेशन कम्पलसिव सेक्सुअल बिहेवियर यानी सीएसडी माना जाता है।
इसके अलावा बहुत से लोगों के सीएसडी के कारण इसकी वजह से दो चार लोग हैं
अल्जीमर
बाइपोलर डिसऑर्डर
पिक की बीमारी
क्लेन.लेविन सिंड्रोम
ओबेसिव कंपलसिव डिसऑर्डर

परेशानी में पड़ना
जो लोग ज्यादा मास्टरबेट करते हैं, उन्हें ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है। वे आसानी से नई चीजें नहीं अपनाते हैं। कई बार छोटी-सी बात को समझने में भी कई लोग जमाखोरों का शिकार हो जाते हैं।
कम्यूनिकेट करने में परेशानी
ज्यादा मास्टरबेशन से कई बार व्यक्ति का अपना विश्वास पक्का हो जाता है। इसके चलते अन्य लोगों से बातचीत करने में हिचकिचाहट का अनुभव होता है।
वैवाहित जीवन पर प्रभाव
मास्टरबेट द्वारा कुछ लोग खुद को सेटिसफाई कर लेते हैं। ऐसे में उनकी भूमिकाएं नहीं मिलती हैं। इसी संबंध में तनाव बढ़ता है। धीरे-धीरे यौन संबंध बनाने की इच्छा में कमी आने लगती है।
सेक्स ड्राइव का कम होना
अगर आप बार-बार अपना आनंद बढ़ाने के लिए मास्टरबेट करते हैं, तो इसका प्रभाव आपके कामेच्छा पर भी देखने को मिलता है। इससे आपका सेक्स ड्राइव प्रभावित होता है। आप खुद को सेक्स से दूर कर लेते हैं।
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