भारत में वैकल्पिक चिकित्सा के तौर पर सदियों से हर तरह का प्रयोग होता है।पेड़ की छाल, व्याकुलता का प्रयोग शरीर को स्वस्थ रखने के लिए होता है। न सिर्फ हर जगह, बल्कि शहर की सोसायटी में भी कांफिडेंस के पेड़ हो रहे हैं। मां कहती है कि कदम्ब का जादू उन मांओं के लिए बेहतर होता है, जो दूध की कमी के कारण आपके बच्चों को दूध पिलाने या स्तनपान कराने में असमर्थ हैं। कदम्ब के फल का सेवन सालों में दूध की मात्रा बढ़ाने में सहायक होता है।
झारखंड, झारखंड और उड़ीसा में आज भी कदंब के फल खाते हैं और उनके कब्जे को पीसकर जन्मपत्र पर महिलाओं को पिलाया जाता है। कठघरे को दूध बढ़ाने वाला माना जाता है। शायदंब के फल और फ्रेंड पर हुए रिसर्च इसी ओर इशारा करते हैं।
क्या है कदंब पर की गई रिसर्च (cadamba पर शोध)
वर्ष 2015 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के फर्मसेकोलॉजी विभाग (आयुर्वेद) के शोधार्थी सत्य प्रकाश चौधरी और अनिल कुमार सिंह ने शायदंबा के फल, पत्ते और छाल पर विस्तृत अध्ययन किए। इस शोध के अनुसार आयुर्वेद में सदंब के औषधीय प्रभाव का वर्णन चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, हरित संहिता, चक्रदत्त आदि जैसी विभिन्न संहिताओं में भी किया गया है।
शायद को एंटी-हेपेटोटॉक्सिक, एंटीमाइक्रोबियल, विशिष्ट और एनाल्जेसिक है। यह एंटी इन्फ्लेमेट्री और हर तरह के यूटेरिन इन्फेक्शन से मुक्त होने वाला माना जाता है। संभवत: के फल और फ्रेजर में ट्राइटरपीन, ट्राइटरपेनोलाइड ग्लाइकोसाइड्स, फ्लेवोनोएड्स, सैपोनिन्स, इंडोल एल्कोलॉड्स जैसे मुख्य घटक पाए जाते हैं। ये सभी तत्व दूध देने वाली मां में दूध बढ़ाने में मदद कर सकती हैं। ये सभी घटक स्किन डिजीज, आंखों की सूजन, उल्टी, अन्य जैसे ग्रहण से भी बचा सकते हैं।
वात दोष को कम कर दूध (स्तन का दूध) बढ़ाने में सहूलियत
फार्मेककॉग्नोसी रिव्यू जर्नल में शामिल किया जा सकता है। यह दस्तावेज़ सेंट्रल में भी प्रकाशित हुआ। इसके अनुसार कभी-कभी बच्चे के जन्म देने के बाद मां कमजोर रहती है। दूध कम बनने के कारण नई मां को बच्चे स्तनपान कराने में अधिक सक्षम होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार वात दोष के कारण लैक्टेटिंग मदर का शरीर कमजोर हो जाता है। कदंब शरीर की कमजोरी को दूर करने में मदद कर सकता है। इसमें वात दोष को कम करने का गुण होता है।
फाइटो केमिकल्स, कोलिन और कैल्शियम (cadamba पोषक तत्व) दूध बढ़ाने में सहायक
फार्मेककॉग्नोसी रिव्यु जर्नल के अनुसार, जिस फल में आयोडीन, कोलिन और कैल्शियम होता है, वे मां का दूध बनाने में सक्षम होते हैं। कदंब में ये सभी तत्व मौजूद हैं। इसके अलावा, इनमें से ट्रिप्टोफैन भी मौजूद है, जो दुग्धपान में मदद कर सकते हैं।
साथ ही ब्रेस्ट मिल्क और मिल्क के प्रोडक्ट बनाने के लिए भोजन में कार्बोहाइड्रेट, कैप्चर एसिड, हस्ताक्षर एसिड, विटामिन के साथ-साथ पानी की भी भरपूर मात्रा में जाना जाएगा। कदंब में ये सभी आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें मौजूद रासायनिक रसायन और लिपिड मेटाबोलाइट्स की संख्या भी अन्य सीज़न की तुलना में सबसे अधिक है।
इसलिए मां का सम्मान करना मां के लिए जरूरी है। ये दोनों इस बात पर जोर देते हैं कि शायदंबा के फल या पत्ते और छाला का प्रयोग किसी भी रूप में किया जा सकता है। लेकिन दवा के रूप में ब्लॉग और छालों के प्रयोग से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना जरूरी है।
कैसे करें सेवन (स्तनपान के लिए कैसे लें)
फल को अच्छी तरह से धोकर खाया जा सकता है।
आप चाहें तो फल को नमक और हरी मिर्च के साथ पीसकर चटनी के रूप में भी खा सकते हैं।
छालों का काढ़ा पिलाने से भी दूध की मात्रा बढ़ जाती है।
ध्यान दें कि ये सेवन पानी, चीनी, नमक, शहद आदि का उपयोग करके किया जा सकता है।
बाज़ार में कदंब की वर्क, छाल के अर्क, टिंचर्स, लोशन, मलहम और क्रीम भी उपलब्ध हैं। इन सभी का उपयोग अलग-अलग संगति के लिए किया जा सकता है।
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