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जानिए गर्भावधि मधुमेह का शिशु पर क्या प्रभाव पड़ता है। जानें गर्भावस्था के दौरान गर्मियों में बच्चे को कैसे होता है प्रभावित।

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कुछ मांएं गर्भावस्था के दौरान या बाद में जेस्टेशनल से पीड़ित हो जाती हैं। डॉक्टर या शोधकर्ता स्पष्ट रूप से नहीं बता रहे हैं कि पर्यटन क्या है। फिर भी वे इसके होने के कुछ संकेत बता सकते हैं। यदि कोई मां कोजेस्टेशनल हो जाती है, तो उसका बुरा प्रभाव बच्चे पर पड़ सकता है। बच्चा होने वाले प्रभावों के बारे में जानने के लिए हमने बात की गुरुग्राम में द ओरा स्पेशलिटी मेडिसिन के डायरेक्टर और क्लॉउड नाइन हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट गायनेकोलॉजी डॉ। रितु सेठी से।

इंसुलिन का उपयोग करना कठिन (इंसुलिन प्रतिरोध)

जब बच्चा विकसित होता है, तो गर्भनाल (प्लेसेंटा) उसे सहारा देती है। प्लेसेंटा के हार्मोन बच्चे के विकास में मदद करते हैं। दूसरी तरफ ये हार्मोन मां के शरीर में लाइनिंग की क्रिया भी कर रहे हैं। इस समस्या को इंसुलिन रेजिस्टेंस (इंसुलिन रेजिस्टेंस) कहा जाता है। इंसुलिन प्रतिरोध मां के शरीर के लिए इंसुलिन का उपयोग करना कठिन बना देता है। उसे तीन दोहरान की आवश्यकताएँ लग सकती हैं।

ग्लूकोज रक्त में ऊर्जा में परिवर्तित नहीं हो पाता (रक्त ग्लूकोज)

जेस्टेशनल लाइनन तब शुरू होता है, जब शरीर में गर्भावस्था के लिए जरूरी है कि सभी जेठान बनाने और उपयोग करने में सक्षम न हों। पर्याप्त इंसुलिन के बिना ग्लूकोज रक्त में ऊर्जा में परिवर्तित नहीं होता है। इसके कारण रक्त में ग्लूकोज का उच्च स्तर हो जाता है। इसे हाइपरग्लेसेमिया (hyperglycemia) कहा जाता है।
गर्भावस्था में मां को देर से प्रभावित करता है

नुकसान हो सकता है (बच्चे पर असर)

जब बच्चे का शरीर बन रहा होता है या उसका दृश्य हो रहा होता है, उस जेस्टेशनल के दौरान बच्चे पर प्रभाव नहीं पड़ता है। यह मां को देर से गर्भावस्था में प्रभावित करता है। इस कारण से यह बच्चों में होने वाले किसी भी प्रकार के दोष का कारण नहीं बनता है। हालांकि इसका उपचार नहीं किया जाता है तो इससे बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है।

पैनक्रियाज को ओवरटाइम (पैनक्रियाज पर प्रभाव)

जब गर्भकाल मधुमेह होता है, तो अग्न्याशय (पैंक्रियास) को इंसुलिन का उत्पादन करने के लिए ओवरटाइम काम करना पड़ता है। इंसुलिन ब्लड लेवल को कम नहीं करता है। हालांकि इंसुलिन प्लेसेंटा को पार नहीं करता है, लेकिन ग्लूकोज और अन्य पोषक तत्व अंदर चले जाते हैं। इसलिए अतिरिक्त ब्लड ग्लूकोज प्लेसेंटा के माध्यम से जाता है, जिससे किसी भी बच्चे को हाई ब्लड शुगर हो सकता है।

तिर्यक्त ब्लड ग्लूकोज प्लेसेंटा के माध्यम से जाता है, जिससे किसी भी बच्चे को हाई ब्लड शुगर हो सकता है। चित्र- शेयर करें

इस बच्चे के पैंक्रियाज को ब्लड शुगर से राहत पाने के लिए अतिरिक्त इंसुलिन बनाने का कारण बनता है। बच्चे का विकास और विकास होने के लिए जरूरत से अधिक ऊर्जा मिल रही है। इसलिए अतिरिक्त ऊर्जा वसा (वसा) के रूप में जमा हो जाती है।

बच्चा मोटा हो सकता है

इससे मैक्रोसोमिया या मोटा बच्चा हो सकता है। जन्म के दौरान मैट्रिकोमिया से जुड़े कई लोग स्वास्थ्य का सामना करते हैं। इसमें उनकी सदस्यता को नुकसान भी शामिल है। बच्चे की पैनक्रिया द्वारा बनाई गई अतिरिक्त जिलेटिन के कारण नवजात जुड़वाँ जन्म के समय ब्लड शुगर लेवल बहुत कम हो सकता है। उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने का भी अधिक खतरा होता है। एक्स्ट्रा इंसुलिन के साथ पैदा होने वाले बच्चे का मोटापा होना और काफी बाद में टाइप 2 लीन होने का खतरा भी बन जाता है

इससे क्या बचा जा सकता है (जैस्टेशनल डायबिटीज प्रिवेंशन)

जेस्टेशनल लाइनम से बचाव की बात आती है, तो इसकी कोई बात नहीं है। इसके कारण नुकसान से बचाव का एकमात्र उपाय (गर्भावधि मधुमेह का बच्चे पर प्रभाव) है कि गर्भावस्था से पहले या बाद में हेल्दी हैबिट्स का पालन किया जाए। लो कैलोरी डाइट का चुनाव करें और हेल्दी डाइट लें। आहार में सर्दियों, उम्रदराज़ और छोटे अनाजों को शामिल करें। पोषण और पोषण से कभी समझौता नहीं करें।

गर्भावस्था से पहले और उसके दौरान व्यायाम करने से गर्भकालीन मधुमेह से बचाव में मदद मिल सकती है। सप्ताह के अधिकांश दिनों में 30 मिनट की मध्यम एक्सरसाइज की करें। आज की गति से टहलें। तैरना भी प्रेग्नेंसी में एक अच्छा व्यायाम है

गर्भावस्था में व्यायाम करें
गर्भावस्था से पहले और उसके व्यायाम के दौरान गर्भावस्था से मधुमेह से बचाव में मदद मिल सकती है। चित्र एडोब स्टॉक

आगे बढ़ने पर भी नजर रखें (Weight Gain)

गर्भावस्था की शुरुआत से वजन अधिक नहीं बढ़ाएं। गर्भावस्था की योजना बनाने के दौरान अतिरिक्त वजन कम करने से स्वस्थ गर्भावस्था में मदद मिल सकती है। डॉक्टर द्वारा प्रेस क्राइब वजन से अधिक नहीं बढ़ने दें। गर्भावस्था के दौरान कुछ वजन बढ़ना सामान्य और स्वस्थ है। बहुत जल्दी बहुत अधिक वजन बढ़ने से जेस्टेशनल लाइनिंग का खतरा बढ़ सकता है। खाने के विशेषज्ञ ध्यान दें। आहार में अधिक जानकारी और फल शामिल करें।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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