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जानिए 5 संकेत जो बता सकते हैं कि आप भावनात्मक रूप से मजबूत हैं। ये 5 चीजें आपको बताती हैं कि आप जुड़े हुए रूप से मजबूत हैं।

कई बार कुछ न कुछ होने के कारण हम परेशान रहते हैं। जब उनका हल निकल जाता है, तो हम तनाव मुक्त हो जाते हैं। यह न सिर्फ हमें, बल्कि हमारे आस-पास रहने वाले और साथ काम करने वाले लोगों को भी पता चल जाता है। कुछ कारणों से हमें ऐसा लग सकता है कि हम अपनी नकारात्मक भावनाओं और नकारात्मक यादों से निकल नहीं पाए हैं।
यदि आपके साथ भी कुछ ऐसा होता है, तो जानकार भावनात्मक रूप से प्रभावित होते हैं या सीधे रूप से मजबूत होते हैं (भावनात्मक रूप से मजबूत) के संकेत बता सकते हैं।

क्यों जरूरी है जुड़ाव से मजबूत होना (भावनात्मक रूप से मजबूत)

साइकोलॉजिस्ट सानिया बेदी अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में बताती हैं कि किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए नकारात्मक भावनाएं से बहरा करना जरूरी है। स्थिर रूप से मजबूत (भावनात्मक रूप से मजबूत) होने पर ही आप हर रोज काम कर सकते हैं। आपकी पर्सनेलिटि विकसित हो सकती है।

यहां वे 5 संकेत हैं, जिनसे आपको पता चल सकता है कि आप सक्रिय रूप से मजबूत हो गए हैं

1 अपने इमोशन को पहचानना (अपनी भावनाओं को पहचानना)

जब हम किसी बुरी यादों में खोये रहते हैं तो अपनी भावनाओं को पहचानना भूल जाते हैं। हमें सिर्फ अँधेरा ही अँधेरा दिखता है। उसी समय नकारात्मक भावनाओं से अधिकृत पर आप सही और गलत को पहचानना सीखते हैं।

यदि आपको लगता है कि आपकी भावनाओं के सामने प्रकट होना जरूरी है, तो बिना समय गंवाये वह काम करता है। भावनाओं को पहचानना और उसे नाम देना सीखने जैसा से मजबूत होने का पहला संकेत है।

2 इमोशन से दूर नहीं भागें (भावना से दूर न भागें)

जिस व्यक्ति से हमें परेशानी होती है, हम उसके सामने जाने से कतराते हैं। यह आपके कमजोर व्यक्तित्व की निशानी है। जब आप घनिष्ठ रूप से मजबूत होते हैं, तो आप दिल से दुखाने वाले व्यक्ति के सामने अपनी बात कहने से हिचकिचाहट नहीं करते हैं।

भावनाओं को पहचानना और उसे नाम देना सीखने जैसा से मजबूत होने का पहला संकेत है। चित्र: एक्सपोजर

3 निश्चित को ढूंढना और पहचानना (पैटर्न)

सही और गलत में सीखना समान रूप से मजबूत होने के लिए जरूरी है। यह एक निश्चित प्रमाण है। यह पेशेवर दुनिया में सफलता हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण है। इसके बाद हम किसी बात पर अस्वस्थ होना छोड़ देते हैं। फंक्‍शन को भी न्यूट्रल तरीके से लेते हैं।

4 खुद पर विश्वास (Believe in Yourself)

जब हम देते हैं जैसे कमजोर होते हैं, तो सबसे पहले खुद पर भरोसा रखना छोड़ देते हैं। हमें लगता है कि हमसे सारा काम गलत ही होगा। किसी भी काम की डेडलाइन पर पूरा नहीं लगेगा। इसके कारण आगे काम में गलतियां भी दिखाई देती हैं। पर्सनल फ्रंट पर भी हम देरी कर रहे हैं

यदि स्वयं पर विश्वास रखना शुरू करते हैं तो बिगड़े हुए काम भी होने लगते हैं। यदि आपका खोया विश्वास वापस आ गया है, तो आप संलग्न रूप से मजबूत होने (भावनात्मक रूप से मजबूत) से कोई रोक नहीं सकता।

5 प्राथमिकता में मेंटल हेल्थ (मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता)

यदि आपको लगता है कि आप तनाव (तनाव) और अवसाद (डिप्रेशन) से गिरने लगे हैं। ऐसी स्थिति में आप खुद अपने मेंटल हेल्थ पर ध्यान देने लगे हैं, तो इसका मतलब यह है कि आप जुड़ते ही नहीं दिमागी तौर पर भी मजबूत हो गए हैं। मेंटल हेल्थ केयर के तहत योग, ध्यान, दिमागीपन भी हो सकता है

जरूरत पड़ने पर साइकोलॉजिस्ट (मनोवैज्ञानिक) से मिलने में भी हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए।

आप खुद अपने मेंटल हेल्थ पर ध्यान देने लगे हैं, तो इसका मतलब यह है कि आप वैसे ही नहीं दिमागी तौर पर भी मजबूत हो चुके हैं। चित्र : आदी स्टॉक

साइकोलॉजिस्ट के साथ अलग-अलग सेशन में कम्युनिकेशन आपको मेंटल हेल्थ से जुडी स्थितियों का निदान करने में मदद करेगा। यदि आपकी प्राथमिकता में मेंटल हेल्थ है, तो आपकी इमोशनली इवॉल्व होने की पूरी संभावना है।

यह भी पढ़ें :- प्रोफेशनल फ्रंट या फैमिली लेवल पर चाहें मजबूत बने रहें, तो इन 4 तरीकों से इमोशनल जुड़ाव

 


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