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जैमिक कॉसर एडप्पागथ ने कहा कि इस मामले में गिरफ्तारी की जरूरत नहीं थी, लेकिन दशकों की जरूरत पर जांच अधिकारियों की अपनी खुद की पेशी होने की जरूरत है। यह भी कहा गया है कि किसी घटना को नोटिस जारी किया जाना चाहिए और उन्हें जांच अधिकारियों के विशिष्ट पेश होने के लिए तलब किया जाना चाहिए।
केरल हाई ने बुधवार को पुलिस को दो अधिकार-20 प्रमुख और उद्योगपति साबू एम जैकब को उस मामले में गिरफ्तार करने से रोका, जिसके खिलाफ उनकी जाति जाति-अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) (अत्याचार रोक) कानून के तहत प्राथमिक दर्ज की गई थी जी है। जैमिक कॉसर एडप्पागथ ने कहा कि इस मामले में गिरफ्तारी की जरूरत नहीं थी, लेकिन दशकों की जरूरत पर जांच अधिकारियों की अपनी खुद की पेशी होने की जरूरत है। यह भी कहा गया है कि किसी घटना को नोटिस जारी किया जाना चाहिए और उन्हें जांच अधिकारियों के विशिष्ट पेश होने के लिए तलब किया जाना चाहिए।
जैकब ने याचिका दायर करके अपनी दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया है। अदालत ने जैकब की याचिका को परिवादी विधायक पी.आई. वी. श्रीनिजिन को नाटिस जारी किया। यह मामला आठ दिसंबर को श्रीनिजिन की शिकायत पर एससी-एसटी कानून की धारा 3 (1) (आर) और 3 (1) (यू) के तहत दायर किया गया था। जैकब के अलावा पंचायत उपाध्यक्ष प्रभारी प्रदीप और पंचायत सदस्य सत्य प्रकाश, जील मावेलिल और रेहानी पी.टी. के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।
प्राथमिकी में कहा गया है कि जैकब ने पंचायत सदस्यों को श्रीनिजिन के साथ मिलकर किसी भी कार्यक्रम में शामिल होने से रोका। यह भी आरोप लगाया गया है कि 17 अगस्त को कृषि विभाग द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था जब श्रीनिजिन पहुंचें तो मंच से चले गए और जनता के सामने विधायक की अनदेखी की गई। श्रीनिजिन ने यह भी आरोप लगाया कि जैकब ने इसके पहले लोगों से कहा था कि वह वाम दल के विधायक को दुश्मन के रूप में देखें।
अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।
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