UNITED NEWS OF ASIA. केरल के पथानामथिट्टा जिले से सामने आया यह मामला न केवल रूह कंपाने वाला है, बल्कि समाज की संवेदनहीनता पर भी सवाल खड़े करता है। 18 वर्षीय दलित युवती के साथ पिछले 5 सालों में 59 लोगों ने यौन शोषण किया। इस भयावह अपराध में शामिल 57 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, जबकि 2 आरोपी अब भी फरार हैं।
कैसे शुरू हुआ यह घिनौना सिलसिला?
पीड़िता ने अपने बयान में खुलासा किया कि इस अपराध की शुरुआत तब हुई, जब वह केवल 13 साल की थी। उसके बचपन के दोस्त ने पहली बार उसका यौन शोषण किया। उसने इस घटना की तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्ड कर लीं, जिनका इस्तेमाल वह बार-बार उसे ब्लैकमेल करने के लिए करता रहा। बाद में उसने इन सामग्री को अन्य लोगों तक भी पहुंचाया, जिन्होंने पीड़िता का लगातार शोषण किया।
कई बार हुआ सामूहिक दुष्कर्म
पुलिस जांच में पता चला है कि पीड़िता को 5 बार सामूहिक दुष्कर्म का शिकार बनाया गया। आरोपियों में से कुछ उसे कार में बिठाकर सुनसान इलाकों में ले जाते और वहां इस घिनौने अपराध को अंजाम देते। पिछले साल इंस्टाग्राम के जरिए एक आरोपी ने उससे संपर्क किया और उसे रन्नी के रबर बागान में ले जाकर अपने साथियों के साथ बलात्कार किया।
काउंसलिंग में खुला मामला
पीड़िता के व्यवहार में बदलाव देख उसके शिक्षकों ने जिला बाल कल्याण समिति को इस मामले की जानकारी दी। समिति की ओर से की गई काउंसलिंग में पीड़िता ने अपने साथ हुए अत्याचार की आपबीती बताई। इसके बाद 10 जनवरी को इलावुमथिट्टा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया।
पुलिस की कार्रवाई और विशेष जांच टीम
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए महिला आईपीएस अधिकारी एस अजिता बेगम की अगुवाई में एक विशेष जांच टीम का गठन किया गया। पुलिस ने अब तक 57 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जिनमें 5 नाबालिग शामिल हैं। इस केस में चार थानों में पॉक्सो और एससी-एसटी एक्ट के तहत 30 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं।
क्या कहते हैं पुलिस अधिकारी?
जिला पुलिस प्रमुख वीजी विनोद कुमार ने बताया कि पीड़िता के बयान और सबूतों के आधार पर सभी आरोपियों को गिरफ्तार करने के प्रयास किए जा रहे हैं। जिन 2 आरोपी अब भी फरार हैं, वे देश से बाहर हैं और उनकी गिरफ्तारी के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।
समाज को झकझोरने वाली घटना
यह घटना समाज में मौजूद गहरी संवेदनहीनता और महिला सुरक्षा की कमजोर स्थिति को उजागर करती है। ज्यादातर आरोपी पीड़िता के इलाके के ही रहने वाले हैं। इनमें दैनिक मजदूर, ड्राइवर और अन्य स्थानीय लोग शामिल हैं।
न्याय की उम्मीद और कठोर सजा की मांग
यह मामला केवल एक लड़की की पीड़ा नहीं है, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी है। पीड़िता के साथ हुए अन्याय के लिए जिम्मेदार हर व्यक्ति को कठोर सजा दिलाना न्याय व्यवस्था की प्राथमिकता होनी चाहिए।
यह दिल दहला देने वाली घटना इस बात का प्रमाण है कि महिला सुरक्षा को लेकर और अधिक सतर्कता और कठोर कानूनों की जरूरत है। प्रशासन और न्यायपालिका को सुनिश्चित करना होगा कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले और इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।