UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा, पंडरिया, कबीरधाम जिले में चार फरवरी को धान खरीदी बंद हो गई है। खरीदी बंद होने के बाद भी धान के उठाव को लेकर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। वर्तमान में उठाव की गति धीमी है। स्थिति ऐसी है कि जिले के खरीदी केन्द्रों में 61 करोड़ रुपए कीमत का 1.98 लाख टन धान जाम पड़ा हुआ है। हाल में हुई बेमौसम बारिश से कई केन्द्र में धान भीग गया है। धान खरीदी केन्द्र सहसपुर लोहारा में ताल पतरी से धान के स्टेक आधा ढंका गया है। एक हिस्सा का धान भीग गया है। यही हाल पंडरिया ब्लॉक अंतर्गत ग्राम कुकदूर के समिति का है।
इस केन्द्र में किसानों से कुल 75 हजार 146 क्विंटल धान खरीदी गई। 13 जनवरी तक इस केन्द्र 30 हजार 246 क्विंटल धान जाम है। इसका अभी तक उठाव नहीं हो सका है। सबसे ज्यादा परेशान इन समिति के सदस्य हैं। क्योंकि, धान के नुकसान होने पर उन्हें भरपाई करना होगा। रविवार को हुई बारिश से ज्यादातर केन्द्र के धान भीग गए है। समिति द्वारा लगातार खरीदी के बाद उठाव जल्द से जल्द कराए जाने की मांग भी की गई थी। लेकिन, ध्यान नहीं दिया गया है।
इस संबंध में जिले के प्रभारी खाद्य अधिकारी व डिप्टी कलेक्टर आकांक्षा नायक ने बताया अभी तक बारिश से धान के नुकसान की जानकारी सामने नहीं आई है। सभी केन्द्र में उठाव को लेकर डीओ जारी हो गया है। जल्द ही उठाव के कार्य पूरा कर लिए जाएंगे। जिले के 108 खरीदी केन्द्र में 6 लाख 1 हजार 565 टन धान की खरीदी की गई
1.10 लाख किसानों को 3100 रुपए का इंतजार जिले में इस सीजन में 1 लाख 10 हजार 682 किसानों से धान खरीदी की गई है। इन किसानों से केन्द्र सरकार के एमएसपी रेट 2100 से 2200 रुपए के बीच में खरीदी की गई है। सभी किसानों को इसी रेट के हिसाब से राशि जारी कर दी गई है। किसानों को अभी भी 3100 रुपए के खरीदी का इंतजार है। किसान दीपक वर्मा, लीला साहू, मोहित दास ने बताया कि उन्हें 3100 रुपए के हिसाब से अंतर की राशि 900 रुपए प्रति क्विंटल का इंतजार है। क्योंकि, भाजपा ने विधानसभा चुनाव के दौरान घोषणा भी की थी। हालांकि, सरकार ने 3100 रुपए के हिसाब से खरीदी का दावा जरूर किया है।
72 घंटे में धान उठाव का नियम, लेकिन पालन नहीं खरीदी के बाद 72 घंटे के भीतर धान का उठाव करना है, लेकिन जिले में इसका शुरू से पालन नहीं हुआ है। उठाव को लेकर मात्र डीओ जारी किया जाता है। लेकिन, केन्द्र में समय पर उठाव नहीं होता। वर्ष 2020-21 में मई-जून से धान का उठाव किया गया था। उस समय शासन को नुकसान का सामना करना पड़ा था। खाद्य विभाग, डीएमओ और सहकारिता विभाग ने जो गलती पिछली बार दोहराई थी, वैसे ही स्थिति इस बार भी हो सकती हैं। कलेक्टर जन्मेजय महोबे सोमवार को समय-सीमा की बैठक केन्द्रों में संग्रहित धान की स्थिति की जानकारी ली थी।