कबीरधामछत्तीसगढ़

Kawardha News : स्वास्थ्य सेवाओं में स्वर्णिम अध्याय लिखने वाली बीएमओ का अचानक स्थनन्तरण

प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्न

UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा | पंडरिया अपने पदीय कर्तव्यों के अनरूप स्वास्थ्य विभाग में विशिष्ट कार्य कर स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में अतुलनीय उपलब्धियां हासिल कराने वाले महिला कर्मचारी का कार्य उसके नेतृत्व की कहानी खुद कहती हैं तथा बिना किसी ठोस कारण के उस ऐसे नेतृत्वकर्ता को पंडरिया से हटाना न केवल आश्चर्यजनक है, बल्कि प्रशासनिक निर्णयों की पारदर्शिता और उत्तरदायित्व पर भी सवाल खड़ा करता है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पंडरिया में बीएमओ के रूप में डॉ. अनामिका पटेल (एमडी – प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन) ने जिस तरह से स्वास्थ्य सेवाओं को एक नई दिशा दी, वह उनकी दूरदर्शिता, दक्षता और समाज के प्रति गहरी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। लेकिन उनके कार्यकाल की असाधारण उपलब्धियों के बावजूद, बिना किसी जनशिकायत, मूल्यांकन, या कारण बताए उन्हें हटाना स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा करता है।
स्वास्थ्य सेवाओं में बीएमओ के उपलब्धियों की गौरवशाली कार्य

डॉ. अनामिका पटेल की मूल पदस्थापना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से थी, लेकिन पंडरिया में बीएमओ का प्रभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं में उल्लेखनीय सुधार किए।
डिजिटल एक्स-रे सेवाओं की शुरुआत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पंडरिया, कुकदूर, और पीएचसी कुंडा में की गई, जिससे ग्रामीणों को सटीक निदान की सुविधा मिली और बड़े अस्पतालों पर निर्भरता कम हुई।
सोनोग्राफी मशीन का संचालन, जो अप्रैल 2024 में शुरू हुआ, गर्भवती महिलाओं और अन्य रोगियों के लिए जीवनदायी साबित हुआ।

वर्षों से लंबित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र किशुनगढ़ और उपस्वास्थ्य केंद्र कोलेगांव का उद्घाटन उनकी कुशल नेतृत्व क्षमता का उदाहरण है, जिससे हजारों लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलने लगीं।
 राज्य स्तरीय सम्मान बीएमओ के सेवा गुणवत्ता का प्रमाण
डॉ. पटेल के कार्यकाल में पंडरिया स्वास्थ्य केंद्र को कायाकल्प में राज्य स्तर पर दूसरा स्थान और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पंडातराई को NQAS प्रमाणन प्राप्त हुआ। टीबी उन्मूलन में भी पंडरिया जिला सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वालों में शामिल रहा।

प्रशासन की पारदर्शिता और नियमों का उल्लंघन

सरकारी सेवा नियमों के अनुसार, किसी भी अधिकारी को हटाने से पहले कार्यक्षमता मूल्यांकन और कारण बताओ नोटिस अनिवार्य होता है। यहां न तो कोई उक्त अधिकारी के लिए कोई जनशिकायत थी, न उसके कार्यो का मूल्यांकन किया गया। ऐसे में, बिना किसी प्रक्रिया का पालन किए डॉ. पटेल को हटाया जाना पंडरिया के लिए अत्यंत दुखद है। यह निर्णय न केवल प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण है, बल्कि अक्षमता और दबाव की राजनीति का भी संकेत देता है।

महिला कर्मचारी के नेतृत्व क्षमता को कुचलने की शर्मनाक करतूत

एक महिला अधिकारी के रूप में डॉ. अनामिका पटेल ने स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में असाधारण नेतृत्व का परिचय दिया। सीमित संसाधनों और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में उन्होंने जिस आत्मविश्वास और प्रतिबद्धता के साथ क्षेत्र का नेतृत्व किया, वह प्रेरणास्पद है। उनके प्रति कर्मचारियों का सम्मान उनकी सहजता, अनुशासन और प्रेरक नेतृत्व को दर्शाता है।
कर्मियों और क्षेत्रवासियों की प्रतिक्रिया
स्वास्थ्य केंद्र के एक वरिष्ठ कर्मचारी ने कहा,
“डॉ. पटेल जैसी कर्मठ अधिकारी का हटाया जाना हमारे लिए निराशाजनक है। उनका नेतृत्व हम सभी को प्रेरित करता था। उनके हटने से स्वास्थ्य सेवाओं की प्रगति बाधित हो सकती है।”

पुनर्विचार की मांग
क्षेत्रवासियों और सामाजिक संगठनों ने निर्णय पर पुनर्विचार की मांग की है। उनका कहना है कि यदि राजनीतिक दबाव में योग्य अधिकारियों को हटाने का सिलसिला जारी रहा, तो इसका दुष्परिणाम जनता को भुगतना पड़ेगा।
निष्पक्ष प्रशासन या राजनीतिक दबाव?
स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांति लाने वाली महिला अधिकारी को बिना कारण हटाना न्याय, पारदर्शिता और सुशासन के सिद्धांतों का उल्लंघन है। जनता अब जवाबदेही और पुनर्स्थापना की मांग कर रही है। क्या प्रशासन सुनेगा, या फिर यह योग्यता के साथ अन्याय का एक और उदाहरण बनकर रह जाएगा?

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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