
UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा। ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे पर जैन धर्मगुरु मुनिश्री सुधाकर ने आपत्ति जताते हुए कहा कि यह उग्रवाद पैदा करेगा. सांप्रदायिकता की आग लगाने वाला है. नारा ऐसा होना चाहिए जो सकारात्मक प्रेरणा दे. जो जोड़ने का काम करे.
जैन धर्मगुरु मुनिश्री सुधाकर ने कहा कि नारा ऐसा होना चाहिए हम जुड़कर रहेंगे, हम जोड़ते रहेंगे, हम साथ रहेंगे. इससे सकारात्मक ऊर्जा पैदा होगी. इसमें सोच अच्छी होगी. इसमें सबसे जुड़कर रहना है. इसमें सबका सम्मान करना है. सबके विकास की चिंता करनी है. संस्कार और संस्कृति पर ध्यान देना है. ऐसे स्लोगन आए जिसको सुनकर सद्भावना आए और प्रसन्नता की संचार हो.
आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री सुधाकर एवं सहवर्ती मुनिश्री नरेश कुमार रायपुर में सतुर्मास सम्पन्न करने के बाद पद यात्रा करते हुए जबलपुर की तरफ आगे बढ़ रहे हैं. इस दौरान कवर्धा में पहुंचने पर जैन समाज के लोगों ने मुनिश्री का स्वागत करते हुए आशीर्वाद लिया.
इस दौरान शहर के स्थानक भवन में मुनिश्री सुधाकर ने जैन समाज के सदस्यों को संबोधित करते हुए नमामि, खममि और विक्षामि पर प्रेरणा दी. जैन धर्मगुरु ने बताया कि जैन मुनि पद यात्रा क्यों करते हैं, इसकी वजह भी बताई.
बताया जैन धर्म के झंडे में पांच रंग का महत्व
जैन धर्मगुरु ने जैन धर्म के झंडे में 5 रंगों का महत्व बताते हुए कहा कि जैन धर्म में नमस्कार महामंत्र है, जो जैन धर्म का मूल महामंत्र है. उस महामंत्र में पांच पद आते हैं, जिसमें अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु – उन पांच रंगों में उन पांच महान आत्माओं का मिश्रण अनुभति छुपी हुई है, और ध्वज किसी भी संस्था के लिए किसी भी संघ के लिए अपने आपमें सिरमौर का कार्य करता है, और ध्वज भी ये प्रेरणा देता है कि हम पांच आत्माओं के गुणों का निरंतर स्मरण करें.
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