UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा। होली का पर्व करीब आता जा रहा है, खाद्य सामग्रियों के सौदागर अपना मुनाफा बढ़ाने जमकर मिलावटखोरी कर रहे हैं। नकली तेल, नकली घी, नकली मावा व नकली मसालों का इस्तेमाल कर मिठाई, नमकीन व अन्य सामग्रियां बनाई जा रहीं हैं।
इन्हें इस बात का कोई खौफ नहीं कि कानून व्यवस्था नाम की भी कोई चीज है। कानून का कोड़ा चलाने वालों को इन्होने बंधुआ बनाकर रख लिया है। मिठाइयों में आकर्षण पैदा करने उनमें प्रतिबंधित कलर मिलाए जा रहे हैं। लोगों का स्वास्थ्य खराब होता है तो होता रहे उनकी बला से।
बाजारो में मिल रहे स्वीट्स को ही देख ले मिष्ठान भंडार तो इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। यहां जनस्वास्थ्य के लिए हानिप्रद पाम आयल का उपयोग किया जा रहा है। पाम आयल से मिठाइयां व अन्य नाश्ते के सामान बनाए जा रहे हैं।
घटिया तेल से अन्य नमकीन व कचौरियां समोसे आदि बनाकर बेचे जा रहे हैं। डाक्टरों का मानना है कि इस तेल से किडनी की शिकायत हो सकती है। इसके वहां पाम आयल के पूरे केन आते हैं और यह इस तेल का एक बड़ा उपभोक्ता है।
इसके अलावा केसर, इलाइची व अन्य सामानों के रासायनिक एसेंस उपयोग में लाए जा रहे हैं। दो कौड़ी की मिठाई सैकड़ों रुपए किलो बेचकर मुनाफा कमाया जा रहा है और लोगों को चूना लगाया जा रहा है। जानकारी तो यह भी मिली है कि इस दूकानदार द्वारा बड़ी कंपनियों के नाम का उपयोग कर स्वयं का घटिया प्रोडक्ट बेचा जा रहा है। जिसमें मैन्यूफैक्चर व एक्सपायरी कुछ दर्शित नहीं रहता।
मुख्यालय में जितने डेयरी संचालक और मिष्ठान भण्डार संचालित हैं। उन सभी का सेम्पल लेना जरूरी है। खाद्य सामग्रियों की नियमित जांच पड़ताल नहीं होने का एक बड़ा कारण विभागीय अमले के आर्थिक समीकरण का होना है। अमले की तो यही मंशा रहती है कि खूब मिलावटखोरी करो लेकिन हमारी गड्ड़ी सेट रखो तुम्हारी भी जय जय, हमारी भी जय जय दोनो खुश रहे सवाल पब्लिक का तो उसे उसके हाल पर छोड़ दो।
टारगेट पूरा कर मजे से मलाई छान रहे जिम्मेदार
जांच के लिए खाद्य एवं औषधि विभाग और नापतौल विभाग है, इन दोनो का काम जांच पड़ताल करना और रिपोर्टिंग करना है। लेकिन दोनो छुट भइयों के यहां जांच पड़ताल कर अपना विभागीय टारगेट पूरा कर मजे से शहरों में मलाई छानते रहते हैं। नापतौल विभाग को तो कोई जानता ही नहीं है। पेट्रोल पम्पों की जांच व दुकानों की जांच, तराजू बाट आदि की जांच भी की जांच करना इसी की जिम्मेदारी है। लेकिन कभी इसे ही करना चाहिए, तराजू बाट जांच पड़ताल नहीं की जाती है।
कानून को नजरअंदाज कर धड़ल्ले से दे रहे कार्य को अंजाम
खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत कानून बनने के बाद भी इसका पालन नहीं हो रहा है। इस कानून का नजरअंदाज किए जाने पर कड़ी कार्यवाही का प्रावधान है। लेकिन खाद्य विभाग द्वारा मैदानी स्तर पर न तो इसका पालन कराया जा रहा हैं और न ही दुकानों में इसकी मानिटरिंग की जा रही । हालात यह हैं कि आम लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम की धारा 58 के तहत कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है। इसमें अधिकतम दो लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जाता है।
अफसरो के आशिर्वाद से तगड़ा मुनाफा कमा रहे दुकानदार
जिले के कई मिष्ठान भंडार संचालक व डेयरी वाले भी मिलावटखोरी के इसी धंधे में लिप्त हैं। अमानक स्तर की खाद्य सामग्रियों का इस्तेमाल कर उन्हें ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है। छेना पनीर की बदबू रसायन से साफ कर और मावे की फफूंद को पोछ कर खोवे की मिठाई के नाम पर भारी भरकम कमाई की जा रही है। दो कौड़ी की मिठाई सैकड़ों रुपए में यहां भी बेची जा रही है। मिष्ठान भण्डार के संचालक जन स्वास्थ्य से सरोकार नहीं रखते हुए केवल अपना मुनाफा कमा रहे हैं। टॉरगेट पूरा करना काफी है।