- मंदिरों के गर्भ गृह में प्रवेश वर्जित करें।
United News Of Asia. कवर्धा। ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय गोवर्धनमठ पुरीपीठ के वर्तमान 145 वें श्रीमज्जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानन्दसरस्वतीजी महाभाग जी कुछ वर्ष पूर्व कबीरधाम जिले के ग्राम सारंगपुरखुर्द में आयोजित धर्मसभा में गर्भ गृह में सब के प्रवेश संबंधी प्रश्न के समाधान में बताया था।
मंदिरों के गर्भ गृह में केवल परंपरा प्राप्त पुजारी का ही प्रवेश होना चाहिए सनातन धर्म में विधि और निषेध की प्रधानता होती है। प्राय: लोग कोरी भावुकता के वशीभूत होकर अशुद्ध अवस्था में एवं बिना शास्त्रीय पोशाक धारण किए तथा विधि निषेध का पालन किए बिना मंदिरों के गर्भ गृह में प्रवेश करते हैं जिससे देवी देवताओं का तेज तिरोहित हो जाता है।
परम पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती जी ने संकेत किया था कि मन्दिर निर्माण की कुछ शास्त्रीय विधा परम्परा होती है। जब बिजली के प्रयोग को लेकर विधि-निषेध का नियम क्रियान्वित होता है तो उसके पीछे यह कारण होता है कि इसके प्रयोक्ता लाभ ले सकें तथा हानि से बच सकें, इसके लिए विधि-निषेध का निर्माण किया गया। इसके पीछे न राग था, न द्वेष था, न कोरी भावुकता थी और न अज्ञानता ही थी।
इसी प्रकार सनातन वेदादि शास्त्रों के आधार पर जल-थल-नभ में व्यापक जो सच्चिदानंद स्वरूप परमात्मा हैं, उन्हें मांत्रिक, तांत्रिक विधा से अर्चा विग्रह में अभिव्यक्त किया जाता है। भगवान का वह दिव्य तेज विद्यमान रहे, इस भावना से वेदादि शास्त्रों के मर्मज्ञ मनीषियों ने मूर्ति के पूजन के संबंध में नियम तय किए हैं।
- इनका सबको पालन करना चाहिए।
मंदिरों के गर्भ गृह में प्रवेश निषेध के प्रकल्प को लेकर आदित्य वाहिनी कवर्धा एवं युवाओं ने धर्म नगरी कवर्धा शहर के प्रमुख देवी मंदिरों के समितियों और सेवकों से आग्रह करते हुए पूज्य गुरुदेव जी के संदेश को प्रत्येक मंदिरों तक पहुंचाने का कार्य प्रारम्भ किया गया है और सभी से मंदिरों से आग्रह करते हुए कहा गया हमारे सभी मंदिरों की गर्भगृह पवित्रता शुद्धता सदैव बनाए रखने का प्रयास करें!
उक्त प्रकल्प में आदित्य वाहिनी के समस्त पदाधिकारियों एवम सदस्यों के साथ कवर्धा के प्रतिष्ठित जन, युवा उपस्थित थे।