छत्तीसगढ़रायपुर

छत्तीसगढ़ का कांकेर देश का मत्स्य बीज राजधानी बना, कई राज्यों को हो रही सप्लाई

UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर। छत्तीसगढ़ का कांकेर जिला अब मत्स्य पालन के क्षेत्र में पूरे देश के लिए उदाहरण बन गया है। कभी बीज के लिए बाहर निर्भर रहने वाला यह इलाका अब खुद मत्स्य बीज का प्रमुख उत्पादक और निर्यातक बन चुका है। कोयलीबेडा विकासखंड का पखांजूर क्षेत्र आज ‘हैचरी क्रांति’ के रूप में सामने आया है, जहाँ से प्रतिदिन दर्जनों वाहन मत्स्य बीज लेकर छत्तीसगढ़ और देश के अन्य राज्यों की ओर रवाना हो रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने दी बधाई, कहा – आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़ की दिशा में मील का पत्थर

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कांकेर जिले की इस उपलब्धि को आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था की दिशा में एक ठोस कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन, स्थानीय सहभागिता और मेहनतकश मछुआरों की लगन का परिणाम है।

“पखांजूर क्षेत्र के मत्स्य कृषकों ने नीली क्रांति को धरातल पर उतार कर दिखाया है। राज्य सरकार मत्स्य पालन को हरसंभव सहयोग देती रहेगी,” – मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

बाहरी राज्यों पर नहीं, अब देश कांकेर पर निर्भर

कुछ साल पहले तक छत्तीसगढ़ को मत्स्य बीज के लिए पश्चिम बंगाल और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन आज कांकेर से महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तरप्रदेश, झारखंड, गुजरात और बिहार तक बीज की सप्लाई हो रही है।
पखांजूर का बीज गुणवत्तायुक्त, किफायती और समय से पहले (अप्रैल-मई) में उपलब्ध होने के कारण देशभर में किसानों की पहली पसंद बन गया है।

34 हैचरियां, 337 करोड़ स्पॉन उत्पादन का लक्ष्य

कांकेर जिले में वर्तमान में 34 मत्स्य बीज उत्पादन हैचरियां संचालित हैं। वर्ष 2025-26 के लिए 337 करोड़ स्पॉन और 128.35 करोड़ स्टैंडर्ड फ्राय उत्पादन का लक्ष्य तय किया गया है। अभी तक 192 करोड़ स्पॉन और 7.42 करोड़ फ्राय का उत्पादन हो चुका है। यहां मेजर कार्प के साथ पंगेसियस मछली का भी बीज तैयार किया जा रहा है।

प्रतिदिन 15 पिकअप वाहन करते हैं बीज की आपूर्ति

स्थानीय मत्स्य कृषक विश्वजीत अधिकारी और मृणाल बराई के अनुसार,

“प्रतिदिन 10-15 पिकअप वाहन कांकेर से मत्स्य बीज लेकर विभिन्न जिलों और राज्यों की ओर रवाना होते हैं। अब हमारे क्षेत्र को भारतभर में बीज के लिए पहचाना जाता है।”

550 से अधिक लोगों को मिला रोजगार, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती

इस मत्स्य बीज हब ने 550 से अधिक स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगार दिया है। हैचरी, बीज परिवहन, विक्रय, पैकिंग, और संबंधित गतिविधियों से जुड़कर ग्रामीण अब स्थायी आय अर्जित कर रहे हैं। यह बदलाव सिर्फ आर्थिक नहीं, सामाजिक सशक्तिकरण का भी प्रतीक है।

कांकेर आज केवल एक जिला नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की मत्स्य संपन्नता और नीति-प्रेरित विकास मॉडल का प्रतीक बन चुका है। ‘हैचरी क्रांति’ ने न केवल राज्य को आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि देश को छत्तीसगढ़ पर निर्भर कर दिया है। आने वाले वर्षों में यह मॉडल अन्य जिलों और राज्यों के लिए प्रेरणा बनेगा।

 


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