राज्य के महागठबंधन में शामिल हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख मां झी जैरापज़ के सवालों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। इन राज्यों के शिक्षा मंत्री व राजद नेता चंद्रशेखर की महाकाव्य पर विवादास्पद टिप्पणी पर प्रतिक्रिया मांगी गई थी।
बिहार के पूर्व विजेता राम मांझी भी शुक्रवार को रामचरितमानस से जुड़े विवाद में कूद पड़े हैं। कुछ महीने पहले राज्य के एक मंत्री के बयान से यह विवाद अभी तक शांत नहीं हुआ है। राज्य के महागठबंधन में शामिल हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख मां झी जैरापज़ के सवालों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। इन राज्यों के शिक्षा मंत्री व राजद नेता चंद्रशेखर की महाकाव्य पर विवादास्पद टिप्पणी पर प्रतिक्रिया मांगी गई थी।
उन्होंने कहा, ”मैं हमेशा मानता हूं कि भगवान राम एक काल्पनिक व्यक्ति हैं न कि ऐतिहासिक। मैं ऐसा कहने वाला पहला व्यक्ति नहीं हूं। इसी तरह के विचार राहुल सांकृत्यायन और लोकमान्य तिलक जैसे विचारक व्यक्ति थे। लेकिन उन्होंने ब्राह्मण थे, इसलिए किसी ने आपत्ति नहीं की। जब मैं कहता हूं तो लोगों को परेशानी होती है।” उन्होंने कहा, ”अगर हम मिथक के अनुसार भी जाते हैं तो रावण, राम की तुलना में कर्मकांड अनुष्ठान में अधिक पारंगत है। हमें करना चाहिए कि ऐसा क्यों है कि वाल्मीकि, जिन्हें सबसे पुरानी रामायण का श्रेय दिया जाता है, कभी भी तुलसीदास के विचार (रामचरितमानस के लेखक) की तरह पूजनीय नहीं हैं।”
मांझी के बयानों से ऐसा माना जा रहा है कि वे राज्य के शिक्षा मंत्री के तर्क से सहमति जताते हैं, जिन्होंने रामचरितमानस के कुछ दोहों की आलोचना करके विवाद खड़ा कर दिया था, जिसमें शूद्रों का कथित रूप से झूठा आलोक चित्रित किया गया है। वहीं, विपक्षी दल बीजेपी ने राजद नेता की नाराजगी व्यक्त की थी और उन पर हिंदू भावनाओं का अपमान करने का आरोप लगाया था। मांझी ने यह भी कहा, ”मेरा मानना है कि रामचरितमानस एक सुंदर शास्त्रज्ञ कृतियां हैं और इसमें कई अच्छी चीजें हैं। लेकिन इसे उस सामग्री से शुद्ध किया जाना चाहिए जो सामाजिक भेदभाव की निंदा करती है।
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