यह उपचुनाव ऐसे समय में हो रहा है जब खालिस्तानी महामहिम विधायक सिंह के बिचार होने के बाद संबद्ध दलों को राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर एक-दूसरे की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
जालंधर उपचुनाव पंजाब में रिश्तेदार आम आदमी पार्टी के लिए एक बड़ी परीक्षा होगी। यह उपचुनाव ऐसे समय में हो रहा है जब खालिस्तानी महामहिम विधायक सिंह के बिचार होने के बाद संबद्ध दलों को राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर एक-दूसरे की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। जालंधर में उपचुनाव की तारीख का ऐलान बुधवार को किया गया। अमृतपाल सिंह 18 मार्च को जालंधर जिले में पुलिस की कार्रवाई के दौरान बचकर भाग निकला था।
कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख अमरिंदर सिंह किंग विंग ने अमृतपाल के रुख के मद्देनजर आप सरकार की आलोचना की थी और पुलिस कार्रवाई को विफल बताया था। वडिंग ने कहा था, ”इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि भगवंत मान देश की सबसे खराब राज्य सरकार चला रहे हैं, जो हर दिन एक नई शर्मिंदगी की ओर बढ़ रही है।” निर्वाचन आयोग ने बुधवार को जालंधर चुनाव सीट पर उपचुनाव मांग की की घोषणा की।
जालंधर में 10 मई को मतदान होगा जबकि मतों की गिनती 13 मई को होगी। उपचुनाव जीतना आम आदमी पार्टी के लिए भी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि वह पिछले साल कंप्यूटर की लोकसभा सीट पर उपचुनाव में हार गई थी। इस सीट से राज्य के वर्तमान सांसद भगवंत मान सांसद थे। उपचुनाव में संगरूर सीट पर शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान की जीत हुई थी। भगवंत मान के बनने के बाद यहां उपचुनाव की जरूरत जरूरी थी।
मुख्य विपक्षी कांग्रेस की प्रतिष्ठा भी दांव पर है, क्योंकि इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा था। कांग्रेसी सांसद संतोख सिंह चौधरी की जनवरी में 76 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई थी जब वह राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में चल रहे थे। पंजाब में 13 दिसंबर की 13 सीटें कांग्रेस के पास सात से सात हैं, जबकि बीजेपी और अाद के खाते में दो-दो सीटें हैं। शिअद (अमृतसर) के पास एक सीट है जबकि जालंधर सीट खाली है। कांग्रेस ने इस सीट से संतोख चौधरी की पत्नी करमजीत कौर चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है, हालांकि अन्य पार्टियों ने अब तक अपनी लहर की घोषणा नहीं की है।
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