जयशंकर 29 से 31 दिसंबर तक साइप्रस की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। वे साइप्रस के अपने समकक्ष लोनिस कासूलाइड्स के साथ प्रासंगिक चर्चा करने के बाद एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी रखते हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साइप्रस मुद्दों के समाधान के तौर पर संयुक्त राष्ट्र के विचारों पर द्वि-आधारित-साम्प्रदायिक, द्वि-क्षेत्रीय संघ की ओर भारत की अनुमान बृहस्पतिवार को दोहरायी। जयशंकर 29 से 31 दिसंबर तक साइप्रस की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। वे साइप्रस के अपने समकक्ष लोनिस कासूलाइड्स के साथ प्रासंगिक चर्चा करने के बाद एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी रखते हैं। उन्होंने कहा, ”भारत साइप्रस मुद्दों के समाधान के तौर पर संयुक्त राष्ट्र संघ पर द्वि-साम्प्रदायिक, द्वि-क्षेत्रीय संघ की ओर से अपने कार्य को दोहराता है।”
इसी समय, कासोउलिडेस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों और अंतरराष्ट्रीय कानून के संबंध में साइप्रस की एक संधि और व्यापक समझौते पर अधिकारों का समर्थन करने के लिए भारत का उत्साह बढ़ाया। उन्होंने कहा, ”जैसा कि हमने भारत के मामले में देखा है, देश का विभाजन एक खतरनाक यात्रा की शुरुआत थी और निश्चित तौर पर अंत नहीं था इसलिए साइप्रस और उनके लोगों के लिए दो राज्यों के समाधान को स्वीकार नहीं किया जा सकता था।’ ज़ायब है कि साइप्रस के विदेश मंत्रालय के अनुसार, तुर्किये ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर सहित अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के सभी अलर्ट का उल्लंघन करते हुए 1974 में साइप्रस पर आक्रमण किया था। उसका दावा है कि आक्रमण के दौरान तुर्किये ने ”फामागुस्ता शहर को अपने कब्जे में ले लिया था और तब से साइप्रस गणराज्य के 36 वर्षीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर लिया है।” पाकिस्तान के करीबी सहयोगी तुर्किये के राष्ट्रपति रज्जब तैय्यब एर्दोआन बार- बार संयुक्त राष्ट्र के हिसाब में अपने खाते में कश्मीर के मुद्दों का जिक्र करते हैं। भारत ने पहले भी अपनी स्थिति को ”पूरी तरह झटका” बताते हुए कहा था कि तुर्किये को दूसरे देशों की संप्रभुता का सम्मान करना सीखना चाहिए।
अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।
अन्य समाचार