लेटेस्ट न्यूज़

जयपुर ब्लास्ट केस: हाई कोर्ट ने की कई बारीकियां, ATS ने नहीं जोड़े सबूतों के कड़ियां, पढ़ें पूरा फैसला

डोमेन्स

जयपुर में साल 2008 में 13 मई को बम ब्लास्ट हुआ था
जयपुर की चारदीवारी में आठ जगहों पर धमाके हुए थे
हाईकोर्ट ने 28 अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया है

रायपुर। राजस्थान हाई कोर्ट के जयपुर खंडपीठ ने जयपुर बम ब्लास्ट केस (जयपुर ब्लास्ट केस) मामले में 28 याचिकाओं पर फैसला बुधवार को दिया गया उन चारों मुकदमों को भारी कर दिया जिन्हें 4 साल पहले मुकदमे की अदालत ने फांसी की सजा (मौत की सजा) सुनाई थी। खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि कोर्ट में पेश किए गए सबूत ना तो आप में मेल खा रहे हैं और ना ही सबूतों में एक और से कोई मामला सामने आ रहा है। अदालत ने मामले में जांच एजेंसी और जांच अधिकारियों के पर कई सवालों के निशान बनाए हैं। इसके साथ ही राजस्थान सरकार को एटीजीएस के खिलाफ और जिम्मेदार जांच अधिकारियों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई करने के लिए भी कहा है।

पूरे देश की रूह कंपा देने वाले इस मामले में जयपुर की चारदीवारी में साल 2008 में 13 मई को संभवत: 8 बम विस्फोट हुए थे। इन धमाकों में टिफिन बम का इस्तेमाल किया गया था। उन्हें साइकिल पर चढ़ाया गया था। इन धमाकों में 71 लोगों को छोड़ दिया गया था. तब से लेकर के करीब 16 साल तक मामले में लगातार अलग-अलग अदालतों में सुनवाई का दौर चला है। साल 2019 में जयपुर के मुकदमे में मामले में सैफ, सैफूर्रहमान, सलमान और सरवर को आजमी को फांसी की सजा दी गई थी, जबकि एक हफ्ते में शाहबाज को बहुत कर दिया था।

28 अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई हुई थी
पिछले 1 साल में अगर देखा जाए तो इस महत्वपूर्ण मामले में 28 अलग-अलग याचिकाओं पर राजस्थान हाई कोर्ट की खंडपीठ में लगातार 48 दिन तक सुनवाई चली थी। इसमें रोजाना करीब 4-4 घंटे मामले में बहस हुई थी। इस लंबी सुनवाई और बहस के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया। बुधवार को जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने मामले में फैसला सुनाते हुए पूरी जांच प्रक्रिया पर कई गंभीर सवाल किए. न्यायिक निर्णय में चारों को न केवल भिन्न किया गया है बल्कि जिम्मेदार जांच अधिकारियों के खिलाफ भी जांच करने के लिए मुख्य सचिव को कहा गया है।

आपके शहर से (जयपुर)

साइकिल खरीद का बिल बुक कांट छांट दिया गया
मामले में डेथ रेफरेंस सहित दोषियों की ओर से पेश 28 अपीलों पर खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने कहा कि एटीएस के सबूत से यह साबित नहीं हो रहा था कि हादसे वाले दिन चारों डीलक्स बस के जरिए दिल्ली से जयपुर आए और बम प्लांट करके वापस शताब्दी एक्सप्रेस से वापस दिल्ली चले गए। साइकिल खरीद के मामलों में उपयोग की गई बिल बुक पेश की गई जिसमें शामिल नहीं है।

छेरे आप में मेल नहीं खा रहे हैं
बम विस्फोट में जो छरे टिफिन से धमाके के साथ लोगों के शरीर में घुस गए थे उन छरों की खरीद पर जांच एजेंसी ने कहा था कि वो दिल्ली की जामा मस्जिद के पास से भर गए थे. जबकि पेश किए गए और लोगों के शरीर से निकले छरेरे आप में मेल नहीं खाते। दो दिन में कोर्ट का फैसला सुनाया जाएगा। मुल्जिम के वकील सेशन कोर्ट में उसकी कॉपी पेश कर अगले 3 से 4 दिन में उन्हें बार-बार पेश करेंगे।

टैग: बम ब्लास्ट, अपराध समाचार, जयपुर न्यूज, राजस्थान उच्च न्यायालय, राजस्थान न्यूज

Show More
Back to top button

You cannot copy content of this page