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इसके नियम पैरोडी और वचनबद्धता को संरक्षण प्रदान करते हैं: बॉम्बे हाई कोर्ट

केंद्र सरकार ने छह अप्रैल को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में कुछ संशोधनों की घोषणा की थी। ये सरकार से संबंधित जाली या गलत या भ्रम ऑनलाइन सामग्री की पहचान करने के लिए एक तथ्यात्मक निरीक्षण (फैक्ट चेक) इकाई का प्रावधान शामिल है।

बंबी हाई कोर्ट ने सोमवार को स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी में संशोधन प्रथम दृष्टया पैरोडी और व्याकरण को संरक्षण प्रदान करने वाले नहीं दिखते। उच्च न्यायालय की पीठ ने यह भी कहा कि संशोधनों को चुनौती देने वाली कामरा की याचिका पर विचार किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने छह अप्रैल को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में कुछ संशोधनों की घोषणा की थी। ये सरकार से संबंधित जाली या गलत या भ्रम ऑनलाइन सामग्री की पहचान करने के लिए एक तथ्यात्मक निरीक्षण (फैक्ट चेक) इकाई का प्रावधान शामिल है।

कामरा ने अपनी याचिका में दावा किया है कि नई जानकारियों से उनकी सामग्री एकतरफा तरीके से लीक होने से रोक सकती है या उनके सोशल मीडिया अकाउंट को सस्पेंड या निष्क्रिय किया जा सकता है और इससे उन्हें पेशेवर तौर पर नुकसान हो सकता है। वे यह भी मांगते हैं कि अदालत को उचित शर्तों को असंवैधानिक घोषित करना चाहिए और सरकार को निर्देश देना चाहिए कि शर्तों के तहत किसी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाए। केंद्र सरकार ने हलफनामे में दायर याचिका को दोहराया था कि तथ्यान्वेषण इकाई की भूमिका केंद्र सरकार के किसी कार्य तक सीमित है, जिसमें प्रतिबद्धताएं, सूचनाएं, धारणाएं, जिम्मेदारियां आदि के बारे में शामिल हैं।

समझौता जी एस पटेल और समझौता नीला गोखले की खंडपीठ ने सोमवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया नियम पैरोडी और अपराध जैसी सरकार की आलोचना को संरक्षण प्रदान नहीं करते। विनम्र पटेल ने मौखिक टिप्पणी में कहा, ”आप पैरोडी, व्याकरण को प्रभावित नहीं कर रहे हैं, ऐसा आपके हलफनामे में कहा गया है। आपके नियम ऐसा नहीं कहते। कोई संरक्षण प्रदान नहीं किया गया है। हमें यह देखना होगा।”

केंद्र ने यह भी कहा कि सरकार ने अभी तक तथ्यान्वेषण इकाई की अधिसूचना जारी नहीं की है और इसलिए याचिका में (कामरा द्वारा) इसके कामकाज को लेकर दी गई दलीलों का कोई आधार नहीं है और ये समय- पूर्व एवं याचिकाकर्ता की मेज गेटलफहमी पर आधारित है हैं। हालांकि याचिकाकर्ता ने कहा कि यह याचिका भी सही नहीं है कि चुनौती है। अदालती मामले में अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।

अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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