नई दिल्ली: संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) की फिल्में आज भले ही बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड कायम करती हों। लेकिन एक बार ऐसा भी था जब भंसाली की फिल्म में काम करने के लिए कोई एक्टर हमी नहीं दे रहा था। हालांकि उस दौर में भंसाली काजोल और माधुरी जैसी अभिनेत्रियों को अपनी फिल्म में लेना चाहते थे। लेकिन बात नहीं बनी। कहा जाता है कि बड़े स्टार्स को अपनी फिल्म में लेने के लिए भंसाली ने कई दिनों तक वैनिटी वैन के बाहर खड़े अभिनेताओं का इंतजार किया था।
संजय लीला भंसाली जब अपने निर्देशन में बनी पहली फिल्म ‘खामोशी-द म्यूजिक’ लेकर आए तो उस दौर के होश से वह एकदम लीक से हटकर फिल्म कर रही थी। फिर भी संजय लीला भंसाली जाड़ा पर अड़े थे कि वह ये फिल्म बनकर ही दम लेंगे। उस दौरान कोई स्टार जल्दी से भंसाली की इस फिल्म में काम करने का जोखिम नहीं उठाना चाहता था। क्योंकि फिल्म में ना बोलने और न सुनने वाले पेरेंट्स की बेटी की भूमिका निभा रही थी। उनका परिवार भी मछली से व्यवसाय करता है और वह भी शिंगर बनने का सपना देखते हैं, लेकिन उन्हें भी अपने परिवार का समर्थन नहीं मिलता है। भंसाली ने इस विवरण के लिए मनीषा कोइराला को चुना था। लेकिन अपनी फिल्म की कास्ट के लिए भी भंसाली की एड़ी से चोटी तक जौहर हो गया था।
सही निर्देशक ने पहली फिल्म के लिए बहुत जद्दोजहद किया
‘खामोशी’ संजय लीला भंसाली के फिल्मी करियर के लिए निर्देशित पहली फिल्म थी। फिल्म के सिनेमैटोग्राफर अनिल मेहता ने अपने इंटरव्यू में बताया था कि इस फिल्म की कास्ट को फाइनल करने के लिए भंसाली ने हर दिन टाइमिंग तक फिल्म एक्टर्स की वैनिटी वैन के निकलने का इंतजार किया था। ये वो दौर था जब सलमान खान, मनीषा कोइराला, नाना पाटेकर टॉप लिस्ट में शामिल थे। इसलिए भंसाली के लिए इन्हें बनाना कोई आसान बात नहीं थी। लेकिन भंसाली की मेहनत देखकर ये कास्ट फिल्म करने के लिए राजी हो गई थी।
आसान नहीं सलमान और मनीषा को मनाना
‘खामोशी’ जैसी फिल्म में बड़े स्टार को कास्ट करना काफी मुश्किल था। भंसाली इस फिल्म में माधुरी दीक्षित से लेकर काजोल जैसी एक्ट्रेस को लेना चाहते थे। लेकिन फिल्म मनीषा कोइराला के हिस्से आई। फिल्म में सलमान खान ने भी उस दौर में अपनी छवि से बिल्कुल परे एक ऐसी भूमिका निभाई जिसमें प्रेम, विचार, जीवन अधिक था और जिस पर स्टारडम, चकाचौंध की छाया नहीं थी। नाना पाटेकर और सीमा विश्वास ने भी अपने चरित्रों से ये साबित किया है कि अभिनय करने वाले शब्दों का मोहताज नहीं होता है। संजय लीला भंसाली की मेहनत इस फिल्म में साफ तौर पर नजर आई थी।
बता दें कि इस फिल्म का संगीत काफी पसंद किया गया था। फिल्म के गाने “बेशक के दर्मियान” और “मैं ऊपर आसमां” जैसे कि लोगों को दीवाना बना दिया था। फिल्म का संगीत ऐसा था जो हमेशा के लिए अमर हो गया। फिल्म भले ही बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई, लेकिन समीक्षकों ने इस फिल्म को दिल से खोल दिया था।
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पहले प्रकाशित : 17 मार्च, 2023, 14:05 IST