भारत सहित 196 देशों के प्रतिनिधि सात दिसंबर से शुरू हुए संयुक्त राष्ट्र के जैवविविधता शिखर सम्मेलन (सीओपी15) में नई वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा (जीबीएफ) पर वार्ता को अंतिम रूप देने की उम्मीद से समेकन हुए हैं।
भारत ने कनाडा के मॉन्ट्रियल में जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र के शिखर सम्मेलन में कहा है कि कृषि क्षेत्रों में संबद्धता के उपयोग को कम करने के लिए कोई भी वैश्विक लक्ष्य निर्धारित करना अनावश्यक है और इस संबंध में निर्णय देशों को छोड़ना चाहिए। भारत सहित 196 देशों के प्रतिनिधि सात दिसंबर से शुरू हुए संयुक्त राष्ट्र के जैवविविधता शिखर सम्मेलन (सीओपी15) में नई वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा (जीबीएफ) पर वार्ता को अंतिम रूप देने की उम्मीद से समेकन हुए हैं। GBF उन नए लक्ष्यों को निर्धारित करेगा, जो 2030 तक प्रकृति के संरक्षण के लिए वैश्विक कार्यों का मार्गदर्शन करेंगे।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने शुक्रवार (कनाडा के समय के अनुसार) को सीओपी15 में कहा, ”अन्य विकसित देशों की तरह हमारे कृषि करोड़ों लोगों का जीवन, उपक्रम और संस्कृति का स्रोत है” और जाने वालों की सहायता में कमी का लक्ष्य तय किया नहीं किया जाना चाहिए। विश्व बैंक के 2019 तक जारी आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में भारत के कुलबल का 40 प्रतिशत से अधिक कृषि क्षेत्र में स्वीकार्य है।
भारत ने कहा कि ”कमजोर क्षेत्रों के लिए आवश्यक सब्सिडी नहीं कहा जा सकता है और उन्हें अभियोग के लिए लक्षित नहीं किया जा सकता”, लेकिन उन्हें उचित ठहराया जा सकता है। भारत ने सकारात्मक निवेश के माध्यम से जैव विविधता को बढ़ावा देने पर जोर दिया। मंत्री ने कहा, ”इसी तरह के दुराचारों में कमी के लिए वैश्विक लक्ष्य निर्धारित करना अनुपयोगी है और इसके निर्णय देशों को छोड़ दिया जाना चाहिए। दो-तिहाई तक कम करना शामिल है।
उल्लेखनीय है कि ‘पेस्टीसाइड एक्शन नेटवर्क (पैन) इंडिया’ फरवरी में जारी एक रिपोर्ट में भारत में अधिसूचनाओं के उपयोग की गंभीर पहुंच का खुलासा किया गया है और खतरनाक कृषि अनुमान के खराब संकेत की ओर इशारा करता है। यादव ने कहा कि जीबीएफ को विज्ञान और समानता के अलावा देशों के संसाधनों पर उनके संप्रभु अधिकारों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाना चाहिए। भारत ने कहा कि GBF में गरीबी उन्मूलन और सतत विकास के प्रति विकसित देशों की जिम्मेदारी को भी समझा जाना चाहिए।
यादव ने कहा, ”जीबीएफ को विज्ञान एवं समानता को ध्यान में रखते हुए और अपने संसाधनों पर राष्ट्रों के संप्रभु अधिकारों के आलोक में तैयार किया जाना चाहिए, जैसा कि जैव विविधता सम्मेलन में कहा गया था।” यादव ने कहा, ”इसमें गरीब उन्मूलन और सतत विकास के प्रति विकसित देशों की जिम्मेदारी को उजागर किया जाना चाहिए। जीवाणु यदि जैव विविधता से गहराई से जुड़ा हुआ है, तो समता पर और साझी लेकिन तत्वों पर आधारित संबंधित क्षमता का सिद्धांत जैव विविधता पर समान रूप से लागू होना चाहिए।”
भारत ने कहा है कि जब तक विकसित देश अपने पुराने एवं मौजूदा पर्यावरण को लेकर सभी के लिए ठोस कदम नहीं उठाते हैं, तब तक वैश्विक बरकरार और अन्य लोगों की प्रकृति पर आधारित समाधान संभव नहीं है। यादव ने कहा, ”प्रकृति यदि स्वयं संरक्षित नहीं है, तो वह दूसरों की रक्षा नहीं कर सकती। हम केवल संरक्षण और प्रचार नहीं कर सकते। हमें ग्रुपय का उपयोग करने को भी बढ़ावा देना चाहिए।”
सीओपी-15 में जिन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होगी, उन अधिकृत क्षेत्रों की स्थापना करके और क्षेत्र आधारित संरक्षण के लिए अन्य चरण से जुड़ने के लिए पृथ्वी की 30 प्रतिशत भूमि एवं सागर को संरक्षित करना शामिल है, जिसे ”30 गुणा 30” संरक्षण लक्ष्य नाम दिया गया है। भारत ने कहा कि जैव विविधता संरक्षण के लिए क्षेत्र आधारित लक्ष्य तय करना ”किसी एक कदम को सभी के लिए उपलब्ध” मान लेना है, जो शब्द नहीं है। यादव ने कहा, ”हमारा अनुभव कहता है कि क्षेत्र-आधारित लक्ष्य निर्धारित करना ‘किसी एक कदम को सभी के लिए प्राप्त करने योग्य’ के दृष्टिकोण की तरह है, जो आवर्त नहीं है।”
पेट्रोलियम पेट्रोलियम उत्पादन, कृषि, वनिकी और मत्स्य पालन के लिए सब्सिडी सहित पर्यावरण के लिए अन्य अन्य सब्सिडी को खत्म करने और इस धन का उपयोग जैव विविधता संरक्षण के लिए करने पर आम सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यादव शुक्रवार को मॉन्ट्रियल पहुंचे थे और वह अगले सप्ताह वार्ता के अंतिम चरण में भारतीय प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व करेंगे।
अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।