‘छतरीवाली’ सेक्स एजुकेशन पर बात करती है, जिस पर लोग कम बात करते हैं। मुझे नहीं पता कि इस मुददे को लेकर लोगों की सोच कितनी विकसित हुई है, लेकिन जब तक बातचीत का टैबू है, इस पर जितनी भी फिल्में बनती हैं, वो कम हैं। दरसालअल, हमारे देश में आज भी सिर्फ 5 प्रतिशत लोग हैं, जो कॉन्डम का इस्तेमाल करते हैं। इसका असर महिलाओं की सेहत पर पड़ता है। फिर अगर हम अपने घर और देश की महिलाओं की सेहत का खयाल नहीं रख सकते हैं, तो हमें मैसेज जरूर करना चाहिए कि कुछ युवा कर्मचारी हैं। परेशानी ये है कि इस विषय के बारे में लोगों को जानकारी नहीं है। ऐसा नहीं है कि कोई सुरक्षा रखना नहीं चाहता। औरतों को भी इसके बारे में पता नहीं है इसलिए शिक्षा बहुत जरूरी है।
आजकल की सबसे सटीक स्क्रिप्ट लिखी जा रही हैं
मेरे मुताबिक, फिल्मों को इस होश से नहीं देखा जाना चाहिए कि हीरो है या हीरोइन। असल में, उस कहानी का मुख्य चरित्र, जो कहानी को आगे बढ़ा रहा है, वह हीरो या हीरोइन कोई भी हो सकता है। हमें इस दृष्टि से देखना चाहिए कि वह कहानी किस माध्यम से दर्शकों के बीच संदेश भेज रही है। इंडेक्स के लिए वर्तमान में बहुत अच्छा समय चल रहा है, जहां बेहतरीन स्क्रिप्ट लिखी जा रही हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि ऑडियंस उन्हें स्वीकार भी कर रही है क्योंकि जिस तरह का प्यार हमें ‘छतरीवाली’ के लिए मिला है, उससे यही कहा जा सकता है कि लोगों को ये पसंद आ रहा है।
प्रमाणीकरण को कई कारण हो सकते हैं
मेरे लिए स्क्रिप्ट सबसे महत्वपूर्ण है और इसके अलावा मेरी भूमिका। जैसे मैंने ‘रनवे 34’ की स्क्रिप्ट पढ़ी तो वह एकदम अलग था क्योंकि ऐसा कभी नहीं देखा गया था। दरअसल, क्या होता है कि कभी आप किसी डायरेक्टर के साथ काम करना चाहते हैं। कभी-कभी आप किसी अभिनेता के साथ पर्दे पर नजर आने की तमन्ना रखते हैं। कभी-कभी कोई विवरण आपको बहुत पसंद आता है तो हमेशा कुछ-ना-कुछ होता है, जो आपके दिल को छू जाता है।
आगे भी अलग तरह के अक्षरों को बनाना चाहता हूं
2022 में पांच फिल्में करने वाली अभिनेत्री कहती हैं कि मैं आगे भी वर्सेटाइल रहना चाहूंगी और हर तरह की फिल्में करना चाहूंगी। मुझे लगता है कि एक अभिनेता का काम होता है कि वह अलग-अलग तरह की नजर में आता है। इससे आपके अंदर का कलाकार निकलकर सामने आता है। अगर कोई कमर्शियल या डांस-गाने वाली फिल्म होगी तो उसका भी हिस्सा बनना चाहेंगे। साथ ही छतरीवाली और रनवे-34 जैसी कहानियों में भी काम करना चाहूँगा।
(यश दीक्षित)