छत्तीसगढ़धमतरी

खेती में नवाचार : धमतरी में 20 एकड़ में शुरू हुई मखाने की खेती

आगामी नवम्बर महीने में 100 एकड़ रकबे में खेती की योजना

कृषि विज्ञान केन्द्र से मिलेंगे मखाने के पौधे, किसानों को ट्रेनिंग भी मिलेगी

मखाना उत्पादन से धमतरी को मिलेगी नई पहचान

UNIED NEWS OF ASIA. रिजवान मेमन ,धमतरी । धमतरी जिले में कलेक्टर  अबिनाश मिश्रा की पहल पर किसानों ने मखाने की खेती शुरू कर दी है। जिले के कुरूद विकासखण्ड के राखी और धमतरी विकासखण्ड के सरसोंपुरी तथा दरगहन गांवों में लगभग 20 एकड़ रकबे में तालाबों में मखाने की फसल लगी है। जिसके लिए कलेक्टर मिश्रा ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को धमतरी बुलाकर किसानों को मखाने की खेती के बारे में जानकारी दिलाई थी। कृषि विभाग के अधिकारियों ने भी किसानों को मखाने की खेती से होने वाले फायदों को बताकर उन्हें प्रेरित किया था। किसानों को निःशुल्क प्रशिक्षण और तकनीकी मार्गदर्शन भी दिया गया था।

जिला प्रशासन ने आगामी नवम्बर महीने में 100 एकड़ रकबे में मखाने की खेती कराने की योजना बना ली है। किसानों को मखाने के पौधों कृषि विज्ञान केन्द्र में तैयार कर उपलब्ध कराए जएंगे। कलेक्टर  अबिनाश मिश्रा ने बताया कि अभी देश में मखाने की सबसे अधिक खेती बिहार में होती है। अब धमतरी से इसकी खेती से किसानों को अच्छा फायदा तो होगा ही साथ ही धमतरी को एक नई पहचान भी मिलेगी। 

 कृषि वैज्ञानिकों ने धमतरी जिले के मौसम और लो-लैण्ड खेतों को मखाने की खेती के लिए उपयुक्त बताया है। जिले में मखाना उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुए बड़े पैमाने पर मखाने की खेती करने किसानों को तैयार किया जा रहा है। कलेक्टर श्री मिश्रा ने बताया कि मखाने की खेती के लिए किसानों को निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा। मखाने के बीज से लेकर फसल की देखरेख और अच्छे उत्पादन के लिए तकनीकी मार्गदर्शन भी दिया जाएगा। किसानों को इस बारे में पूरी जानकारी देने के लिए मखाने के खेतों का भी भ्रमण कराया जाएगा। कलेक्टर ने मखाने की खेती के लिए किसानों को कृषि और उद्यानिकी विभाग से शासकीय अनुदान और सहायता भी उपलब्ध कराने की बात कही है। कलेक्टर ने मखाने के प्रोसेसिंग के लिए स्थानीय स्तर पर यूनिट लगाने के लिए उद्योग विभाग और नाबार्ड के अधिकारियों से भी बात की है। 

धान के बदले मखाना से मिल सकता है दुगुना फायदा-

   कृषि विशेषज्ञों-वैज्ञानिकों का कहना है कि धान के बदले मखाना की खेती से किसान दो गुना फायदा ले सकते है। एक एकड़ धान की खेती से किसानों को जहां औसतन 75 हज़ार रुपए का फायदा मिलता है, वहीं एक एकड़ में मखाना की खेती से औसतन डेढ़ लाख रुपये तक का लाभ मिल सकता है। कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि मखाने की फसल छह माह की अवधि की होती है। यह फसल एक फीट से लेकर डेढ़ फीट तक के पानी से भरे खेत में ली जाती है। एक एकड़ रकबे में लगभग चार हज़ार पौधों का रोपण किया जाता है, जिससे औसतन दस क्विंटल उपज मिलती है। कृषि वैज्ञानिकों का मत है कि छतीसगढ़ में उगने वाला मखाना साइज में बड़ा और स्वाद में अन्य राज्यों के मखाने से बेहतर है। इसे बीज के रूप में बेचने पर डेढ़ से दो लाख रुपए प्रति एकड़ और प्रोसेसिंग कर बेचने पर प्रति एकड़ तीन लाख रुपए तक का फायदा हो सकता है।

 


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