
UNITED NEWS OF ASIA. राजेन्द्र मंडावी, कांकेर । राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं मध्यस्थता एवं सुलह परियोजना समिति के संयुक्त तत्वावधान में छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा विशेष मध्यस्थता अभियान “मध्यस्थ राष्ट्र के लिए” संचालित किया जा रहा है। इसी कड़ी में जिला अस्पताल कांकेर में इंटर्नशिप कर रहे डॉक्टरों को मध्यस्थता की प्रक्रिया और उसके लाभों की जानकारी दी गई।
यह कार्यक्रम अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश कांकेर के निर्देश तथा सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया। इसमें बताया गया कि मध्यस्थता विवादों के समाधान की एक वैकल्पिक प्रक्रिया है, जिसमें स्वतंत्र मध्यस्थ दोनों पक्षों को आपसी सहमति से समझौते पर पहुंचने में मदद करता है। यह प्रक्रिया न्यायिक कार्यवाही की तुलना में सरल, लचीली, सस्ती और कम जटिल होती है।
मध्यस्थता से मिलने वाले लाभ
पक्षों के बीच आपसी बातचीत और समझ बढ़ती है।
रिश्तों में आई दरार को भरने का अवसर मिलता है।
घृणा और हिंसा से दूर रहकर सभ्य तरीके से विवाद सुलझते हैं।
पक्षकार स्वयं अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र रहते हैं।
मध्यस्थता के माध्यम से निपटाए गए प्रकरणों में न्याय शुल्क की छूट उपलब्ध होती है।
किन मामलों में लाभकारी
मध्यस्थता का उपयोग दुर्घटना दावा, घरेलू हिंसा, चेक बाउंस, वाणिज्यिक विवाद, सर्विस, उपभोक्ता विवाद, भूमि अधिग्रहण, वसूली सहित अन्य सिविल एवं राजस्व प्रकरणों में किया जा सकता है।
राष्ट्रीय लोक अदालत 13 सितम्बर को
कार्यक्रम में यह भी जानकारी दी गई कि 13 सितम्बर 2025 को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन राज्य के सभी न्यायालयों में किया जाएगा। इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दी जाने वाली निःशुल्क सुविधाओं, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण का टोल फ्री नंबर 15100, मोटरयान अधिनियम, क्षतिपूर्ति और लैंगिक अपराधों से संबंधित विषयों पर भी डॉक्टरों को अवगत कराया गया।
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