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5 करोड़ गबन मामले में इंदौर डीएम ऑफिस क्लर्क गिरफ्तार, होटल व क्लब में खर्च किए पैसे

इंदौर क्राइम न्यूज़: इंदौर जिलाधिकारी कार्यालय के लिपिक ने अय्याशी और मौज मस्ती में जोरदार सरकारी धन लुटाए. 42 वर्षीय लिपिक मिलाप चौहान पर 5.68 करोड़ रुपये के कथित गबन में शामिल होने का आरोप है। लिपिक ने शुक्रवार को मुंबई और गोवा के रहने वाले-क्लबों में धन की बात स्वीकार की है। वह एक फार्म हाउस भी खरीदती है।

जिलाधिकारी कार्यालय की शाखा शाखा में पदस्थ लिपिक मिलाप चौहान ने मीडिया के सामने गबन की बात स्वीकार की। गिरफ्तारी के बाद पुलिस लिपिक को अदालत में पेश करने की तैयारी कर रही थी।

मौज मस्ती पर लिपिक ने उड़ाए सरकारी धन

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि अदालत ने अर्जी पर चौहान पर 28 मार्च तक मुकदमा दायर करने का आदेश दिया है। पुलिस अभियोग में भेजे जाने से पहले मुख्यमंत्री ने शपथ पत्र को बताया, ”मैं सबसे धनी पार्टी करता हूं और फिर घूम जाता हूं। मैंने मुंबई में रहने के लिए भी पैसा खर्च किया है। हम चार-पांच दोस्त होटल में नाचने वाली लड़कियों पर धन उड़ाते थे।

हम क्लब जाते थे और रात भर शराब पीकर नाचते थे।” लिपिक दोस्तों के साथ दो बार गोवा भी जा चुका है। चौहान ने आगे एक फार्म हाउस खरीदने की बात भी बताई। उन्होंने बताया कि फार्म हाउस को सेलिंग चाहता है और सेल्स से मिलना पूरी सरकार को रकम देना चाहता है।

28 अन्य लोगों पर भी गबन मामले में प्राथमिक

लिपिक ने दावा किया कि वर्ष 2020 से 2022 के बीच हुए गबन में से उसने केवल दो करोड़ रुपये के लिए हैं और बाकी धन अन्य नेविगेट किया है। रावजी बाजार पुलिस थाना का प्रभार प्रीतम सिंह ठाकुर ने बताया कि चौहान के अलावा 28 अन्य लोगों पर भी गबन मामले में प्राथमिक दर्ज किया गया है और बाकी की तलाश की जा रही है। उन्होंने बताया कि पॉलिसी में जिलाधिकारी कार्यालय का एक अन्य लिपिक रणजीत और छपरासी अमित निंबलकर भी शामिल है।

अतिरिक्त जिला अधिकारी (एडीएम) राजेश राठौर ने बताया कि गबन की शुरुआत वर्ष 2020 से हुई और जिलााधिकारी कार्यालय में पदस्थ घटना अलग-अलग योजनाओं के मिलने वाली रकम और अन्य सरकारी भुगतान की राशि के संबंध में, प्रतिष्ठा और रिश्ते के करीब 25 खाते फर्जीवाड़ा में जालंधर कर रहे थे। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन अंतर के समय तकनीकी त्रुटि की वजह से विफल हो जाने पर सरकारी भुगतान को लेकर चिंता संबंधी रिश्ते और संबंधित दस्तावेजों में फर्जी तरीके से जाम कर देते थे जबकि उन्हें संबंधित गलती से वास्तविक पहचान तक पहुंचनी चाहिए थी।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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