तेजी से वैश्विक दुनिया और युद्ध की आशंकाओं के मद्देनजर भारत ने भी अपनी क्षोभ को रजत बनाने की जादा ठान ली है। जल, थल और वायु तीनों ही सेना को मोदी सरकार से आत्मनिर्भरता और ताकतवर बना रही है। इस क्रम में भारतीय नौसेना को महासागर में महासमर के लिए तैयार किया जा रहा है। आईएनएस विक्रांस से लेकर, कलावरी पनडुब्बियां और बैलिस्टिक मिसाइलें, परमाणु पनडुब्बी जिसमें अन्य घातक युद्ध पोतों को ललकार रहे हैं। इसी क्रम में भारतीय नौसेना ने स्वदेशी टारपीडो विकसित किया है, जो समुद्र के भीतर अपने लक्ष्य को भेद कर आपस में एक-दूसरे को चौंका देता है।
बता दें कि भारतीय नौसेना के स्वदेश में विकसित भारी वजन वाले टॉरपीडो ने पानी के भीतर एक लक्ष्य को काम बनाया। नौसेना ने इस सफलता को ”महत्वपूर्ण मील का पत्थर” करार दिया है। नौसेना ने मंगलवार को एक संक्षिप्त बयान में कहा कि टारपीडो के अचूक निशाने से आत्मनिर्भरता के माध्यम से भविष्य की उत्कृष्ट युद्ध के लिए तैयार लोगों के प्रति उसकी जवाबदेही का पता चलता है।
टारपीडो सफलता मील का पत्थर
नौसेना के अनुसार स्वदेशी रूप से विकसित भारी वजन वाले टारपीडो द्वारा पानी के भीतर लक्ष्य को लक्षित किया जाना पानी के नीचे के क्षेत्र में लक्ष्य को नष्ट करने के लिए सहकारी आयुध का नाम प्रदायगी की भारतीय नौसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीसीआरडीओ) की ललक को स्क्रीन वाला एक ”महत्वपूर्ण मील का पत्थर” है। नौसेना ने कहा, ”यह आत्मनिर्भरता के माध्यम से भविष्य की लड़ाई तैयारियों के प्रमाण के प्रति हमारी वचनबद्धता को प्रदर्शित करता है। युद्ध की तैयारी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
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