अदालतों में लंबे समय से लंबित मामलों को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। बताया जाता है कि देश की अदालत में 4 करोड़ से ज्यादा मामले लंबित हैं। आलम यह है कि मामले इतने पुराने हैं कि सीनियर जज की उम्र भी उन मामलों से दशक कम है। इस बीच, पिछले हफ्ते देश के सबसे पुराने केस को जड़ा गया। इस मामले में पिछले 72 साल से तारीख पर तारीख का चिट्ठा जारी था।
यह मामला 1951 का था। कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश श्रीवास्तव भी मामले दायर होने के एक दशक बाद सामने आए थे। 19951 का यह मामला खत्म होने के बाद कलकत्ता हाई कोर्ट को भी बड़ी राहत मिली थी। मामला बरहामपुर बैंक लिमिटेड के लिए तय किया गया था। हालांकि, अभी 5 ऐसे मामले भी हैं, जो 19952 में फाइल हुए थे। इनमें से दो सिविल मामले हैं, जो बंगाल के मालदा में लंबित हैं। वहीं, एक मामला मद्रास हाई कोर्ट में है। मालदा कोर्ट ने मार्च और नवंबर में सुनवाई की तारीख रखी है।
1951 में यह केस कोर्ट में आया था
नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिग में 9 जनवरी तक बहरामपुर केस ही सबसे पुराना था। जब जस्टिस रवि कृष्ण कपूर ने पिछले साल 19 सितंबर को मामले के निपटारे के आदेश पर हस्ताक्षर किए, इसे सील कर दिया गया और टाइपोग्राफिक सुधार के साथ दिया गया। यह मामला 19 नवंबर 1948 को कलकत्ता हाई कोर्ट के बैंकों में दिवालियापन घोषित करने के बाद इसे बंद करने का आदेश दायर किया गया था। 1 जनवरी 1951 को यह केस कोर्ट में आया था। केस नंबर 71/1951 के तहत दर्ज किया गया था।
पैसा वापसी को लेकर कई मामले दर्ज किए गए थे
बरहामपुर बैंक पर कर्ज लेने वालों से पैसा वापसी को लेकर कई मामले दर्ज किए गए। कई कर्ज लेने वाले लोग कोर्ट भी पहुंचे थे। पिछले साल दो बार इस मामले में सुनवाई हुई थी, लेकिन कोई भी पेश नहीं हुआ था। 19 सितंबर को एकाउंट लिक्लेटर ने बेंच से कहा था कि अगस्त 2006 में ही मामले बंद हो गए हैं। हो सकता है कि रिकॉर्ड में सुधार न हो।
सबसे पुराने दो मामलों की सुनवाई जस्टिस कपूर ने 23 अगस्त 2022 को की थी। वे सभी और विशेष अधिकारियों को सभी मिलते-जुलते मामलों को खत्म करने के लिए राजी करने के लिए कहा था। 1952 के मामलों के बारे में भी बहुत कम डेटा उपलब्ध है।