
UNITED NEWS OF ASIA. नई दिल्ली | भारत-अमेरिका व्यापार समझौते (India-US Trade Deal) को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच भारत सरकार ने साफ शब्दों में अमेरिका को जवाब दिया है कि भारत किसी भी व्यापार समझौते पर “दबाव या समयसीमा के तहत” निर्णय नहीं करेगा।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया कि भारत तभी किसी डील का हिस्सा बनेगा जब राष्ट्रीय हितों की पूरी सुरक्षा होगी और भारत को टैरिफ लाभ मिलेगा।
🇮🇳 “भारत कभी दबाव में निर्णय नहीं लेता” – पीयूष गोयल
ट्रंप प्रशासन द्वारा 9 जुलाई की समयसीमा तय करने पर प्रतिक्रिया देते हुए गोयल ने कहा:
“भारत ने कभी किसी व्यापारिक वार्ता में समय की पाबंदी स्वीकार नहीं की। राष्ट्रीय हितों और किसानों के भविष्य के साथ कोई समझौता नहीं होगा।”
भारत का यह रुख ऐसे समय सामने आया है जब अमेरिका ने टैरिफ स्थगन की अवधि समाप्त करने की चेतावनी दी है। राष्ट्रपति ट्रंप ने 100 से अधिक देशों पर जवाबी टैरिफ लगाए थे, जिनमें भारत पर 26% टैरिफ शामिल है। यह स्थगन अब मंगलवार को समाप्त हो रहा है।
कृषि और डेयरी भारत की रेड लाइन
वार्ता की सबसे बड़ी अड़चन कृषि और डेयरी सेक्टर में है। अमेरिका चाहता है कि भारत मक्का, सोयाबीन और डेयरी उत्पादों पर आयात शुल्क में रियायत दे, लेकिन भारत इस पर राज़ी नहीं।
गोयल ने दोहराया:
“मोदी सरकार के लिए किसानों का हित सर्वोपरि है – चाहे वह यूके, ऑस्ट्रेलिया या UAE जैसे समझौते हों, हर बार किसानों को प्राथमिकता दी गई है।”
🇮🇳 भारत की प्राथमिकताएं: मजदूरों और MSME सेक्टर को बढ़ावा
भारत ने अमेरिका से कहा है कि वह चमड़ा, वस्त्र, जूते-चप्पल और ऑटो पार्ट्स पर टैरिफ में छूट दे। बदले में भारत अमेरिका की व्हिस्की और ऑटोमोबाइल्स पर सीमित रियायत देने को तैयार है। भारत यह भी चाहता है कि यदि अमेरिका भविष्य में सेक्टोरल टैरिफ लगाता है, तो भारत को इससे छूट मिले।
अमेरिका की स्थिति अस्पष्ट, भारत का रुख स्पष्ट
वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, अमेरिका की मांगें अब तक अस्पष्ट और असंगत रही हैं, जबकि भारत का दृष्टिकोण स्पष्ट और तार्किक है। भारत का जोर है कि उसे चीन और वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बेहतर व्यापारिक लाभ मिले।
व्यापक वार्ता, लेकिन समझौता तभी जब शर्तें पूरी हों
हाल ही में भारतीय व्यापार वार्ताकारों की एक टीम वाशिंगटन यात्रा से लौटकर आई है। वहाँ उन्होंने अमेरिकी अधिकारियों से गहन चर्चा की, लेकिन कुछ प्रमुख बिंदुओं – जैसे कृषि, ऑटोमोबाइल, टैरिफ और वीजा – पर अब भी सहमति नहीं बन पाई है।
गोयल ने यह भी कहा कि भारत अपने IT पेशेवरों के वीजा, कृषि निर्यात की पहुँच, और उद्योगों को संरक्षण जैसे मुद्दों पर समझौते के लिए तैयार है – लेकिन सिर्फ अपनी शर्तों पर।
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