लेटेस्ट न्यूज़

ब्रिटेन में भारतीय लेक्चरर ने नस्लभेद का मुकदमा जीता

भारतीय व्याख्याता

प्रतिरूप फोटो

गूगल क्रिएटिव कॉमन्स

इस साल 29 नवंबर को एक रोजगार संबंधी अधिकरण ने अपने आदेश में कहा, “वादी (शर्मा) अश्वेत और अल्पसंख्यक समुदाय से संबंध रखने वाले कर्मचारी थे। वह एक विशिष्ट भारतीय उच्चारण के साथ बोलती हैं।”

ब्रिटेन में एक भारतीय लेक्चरर ने पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय के खिलाफ दायर नस्ल भेदभाव का मुकदमा जीत लिया है। डॉ. काजल शर्मा को जनवरी 2016 में पांच साल की अवधि के लिए विश्वविद्यालय में प्रशासनिक अध्ययन और मानव संसाधन प्रबंधन विभाग के ‘एसोसिएट हेड’ नियुक्त किया गया था। पांच साल बाद उनके पास पद के लिए फिर से आवेदन करने का विकल्प था। हालांकि, जब उस पद के लिए उनकी अनदेखी की गई, तो उन्होंने नवंबर 2020 में विश्वविद्यालय की शिकायत प्रक्रिया के तहत शिकायत की, जिसमें कहा गया कि उनके साथ ब्रिटेन के समानता अधिनियम 2010 के तहत भेदभाव किया गया है। इस साल 29 नवंबर को एक रोजगार संबंधी अधिकरण ने अपने आदेश में कहा, “वादी (शर्मा) अश्वेत और अल्पसंख्यक समुदाय से संबंध रखने वाले कर्मचारी थे। वह एक विशिष्ट भारतीय उच्चारण के साथ बोलती हैं।” अधिकरण ने पाया कि लेक्चरर के साथ भेदभाव हुआ है, जिसके बाद उन्होंने अपने पक्ष में फैसला सुनाया।

अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



Show More
Back to top button

You cannot copy content of this page