पगड़ीधारी सिख सैनिकों की सुरक्षा के लिए विशेष शिलालेख के प्रस्ताव ने विरोध खड़ा कर दिया है। धार्मिक गुरुओं से लेकर राजनीतिक हस्तियां इसका विरोध कर रही हैं। हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने पगड़ीधारी सिख सैनिकों के लिए बैलिस्टिक शौचालय का प्रस्ताव रखा था। अब कुछ सिख संगठन और अकाल तख्तापलट जत्थेदार इसके खिलाफ खड़े हो गए हैं।
खबर है कि इस मॉडर्न हेडगियर को अस्वीकार किया जा रहा है। खास बात यह है कि सिख धर्म में पुरुषों को पगड़ी, दाढ़ी और बाल काटने की अनुमति नहीं होती है। जत्थेयर ज्ञानीप्रीत हर सिंह ने सिखों के जैकेट को पहनने से मना कर दिया। एक वीडियो मैसेज के जरिए उन्होंने इसे सिख कोड के खिलाफ बताया है।
उन्होंने कहा, ‘सिख की तरफ से सिर पर पहनावा जाने वाला दस्तर केवल 5-7 मीटर का कटोरा नहीं है, बल्कि गुरुओं का दिया हुआ ताज है… और सिखों का प्रतीक है।’ उन्होंने कहा कि सिख की पहचान के ठीक होने के किसी भी प्रयास को उनकी पहचान को खत्म करने की परीक्षा के रूप में देखा जाएगा। इसके अलावा कनाडा में रहने वाली एक महिला का निरीक्षण भी निशाने पर है। उन्होंने सिख बच्चों के लिए मल्टिस्पोर्ट हेलमेट तैयार किया था।
रक्षा मंत्रालय ने 5 जनवरी को सिख सैनिकों के लिए 12 हजार 730 बैलिस्टिक पत्रक के लिए टेंडर या रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल निकाले थे। ये शौचालय सैनिक के पूरे चेहरे को कवर करेंगे। प्रस्ताव में विशेष रूप से कहा गया है कि 8 हजार 911 स्वदेशी शौचालय ‘लार्ज’ और 3 हजार 819 ‘एक्स्ट्रा लार्ज’ हैं। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह क्लाउड ने भी शौचालय को सिख पहचान पर हमला बताया है। साथ ही उन्होंने विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है।