लेटेस्ट न्यूज़

दिल्ली के बाहर इतिहास में पहली बार भारतीय सेना दिवस 2023 बेंगलुरु में मनाया गया

बैंगलोर में पहली बार भारतीय सेना दिवस समारोह: भारतीय सेना दिवस हर साल 15 जनवरी को मनाया जाता है। भारत के पहले कमांडर-इन-चीफ फील्ड मार्शल केएम करियप्पा (किमी करियप्पा) को श्रद्धांजलि देते हुए 15 जनवरी को भारतीय सैनिकों की बहादुरी, वीरता और निस्वार्थ बलिदान को याद करने के लिए मनाया जाता है। भारतीय सेना (भारतीय सेना दिवस) के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा कि 75वां भारतीय सेना दिवस बैंगलोर (बैंगलोर) में आयोजित किया जाएगा। अभी तक भारतीय सेना दिवस के अवसर पर देश की राजधानी दिल्ली के छावनी में परेड का प्रमुख पद रहा है।

दरअसल, भारत में हर साल 15 जनवरी को भारतीय सेना दिवस (भारतीय सेना दिवस) के रूप में मनाया जाता है। इस बार देशवासी 75वां भारतीय सेना दिवस मनाएंगे। भारत की सबसे पहली सेना प्रमुख फील्ड मार्शल कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा (KM Cariappa) के सम्मान में इसे मनाया जाता है। 15 जनवरी के दिन ही केएम करिअप्पा ने सेना प्रमुख के रूप में पदभार ग्रहण किया था। उन्हें अंतिम ब्रिटिश सेना के प्रमुख जनरल फ्रांसिस बुचर (Francis Butcher) को वर्ष 1949 से कमान मिली थी।

आज़ाद भारत के पहले सेना प्रमुख के एम करिअप्पा को प्यार से ‘कीपर’ कहा जाता था। उनका जन्म 28 जनवरी 1900 को कर्नाटक में हुआ था। करियप्पा ने भारत पाकिस्तान युद्ध 1947 का नेतृत्व किया था। झटके के बाद उन्हें 1986 में फील्ड मार्शल का रैंक प्रदान किया गया। इसके अलावा दूसरे विश्व युद्ध में बर्मा में जापानियों को शिकस्त देने के लिए उन्हें ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश अंपायर का सम्मान भी मिला था। इंडियन आर्मी की ओर से जारी सूचना के अनुसार इस बार थल सेना के मेजर जनरल मनोज पांडे 15 जनवरी को बैंगलोर स्थित मिलिट्री स्टेशन में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे और परेड की सदस्यता लेंगे।

भारतीय सेना का गठन कब हुआ था

समाचार रीलों


हर दौरे की राजनीतिक व्यवस्था को संचालित करने के लिए किसी न किसी रूप में सैनिकों का अस्तित्व बना रहता है। राजा-महाराजाओं के दौर में भी ऐसा था। हर शासक के अपने सैनिक होते थे, लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी ने संगठित रूप से भारतीय सेना का गठन साल 1776 यानी 247 साल पहले कोलकाता में किया था। उस समय भारतीय सेना ईस्ट इंडिया कंपनी की लीजन थी, जिसे बाद में ब्रिटिश भारतीय सेना का नाम मिला और अंत में भारतीय थल सेना के तौर पर देश की सील्स को पहचान मिली। भारत को अंग्रेजों के 200 साल के शासन से 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली। आजादी के बाद बंटवारे, सांप्रदायिक दंगों के कारण भारत को आजादी के बाद एक नया देश बनाने के लिए दो से तीन साल लग गए। जिस समय भारत को आजादी मिली, उस समय भारतीय सेना की कमान ब्रिटिश जनरल फ्रांसिस बुचर के पास थी। इसके बाद जब लगा कि भारत बेहतर रूप से स्थापित हो गया तब ब्रिटिश जनरल ने 1949 को सेना की कमान फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा को सौंप दी। इसके बाद ही फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा 15 जनवरी 1949 को स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख बने थे।

सेना दिवस की अहमियत

हर साल 15 जनवरी को हर साल सीमाओं की रक्षा करने वाले बहादुर जवानों को उनकी बहादुरी के लिए पूरा देश सलाम करता है। सेना मुख्यालय में एक बड़ा उत्सव आयोजित किया जाता है। दिल्ली छावनी केएम करिअप्पा परेड ग्राउंड में एक परेड का आयोजन किया जाता है। परेड की झलक भारतीय सेना के प्रमुख लेते हैं। ग्लोबल फायर पावर पॉवर 2017 के अनुसार भारत की सेना को दुनिया की चौथी सबसे मजबूत सेना है। इस दौरान सेना की ताकतों का नमूना पेश किया जाता है। इस साल पहली बार ऐसा मौका है जब राजधानी दिल्ली से बाहर सेना दिवस का आयोजन किया जा रहा है। बैनर-दस्ते और मार्चिंग-बैंड के साथ-साथ मोटरसाइकिल के दृश्य, पैरा-मोटर और कॉम्बैट फ्री फॉल की भी पहचान की जाएगी। इसके साथ ही इस साल के वीर सैनिकों को वीरता-पदक भी दिए जाएंगे।

यह भी पढ़ें: आज का मौसम अपडेट: दिल्ली सहित उत्तर भारत में ठंड का कहर जारी, फिर सताने वाली है शीतलहर, अलर्ट जारी

Show More

Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
Back to top button

You cannot copy content of this page