बिहार में संदिग्ध जहरीली शराब से मरने वालों का लेबल नहीं लिया जा रहा है। खाने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अब तक मरने वालों की कुल संख्या 72 पहुंच गई है। शराब बिक्री के आरोप में गिरफ्तार कई लोग पुलिस के शिकंजे में हैं। इनमें से कुछ का अस्पताल में इलाज चल रहा है। इन लोगों ने खुले आम कहा कि वो शराब के बारे में जानते हैं। कहां से लाते हैं, जानकारी पहचानते हैं, ये सभी पकड़े गए लोगों ने खुद को इंडिया-टीवी को बताया। इंडिया टीवी के संवाददाता पवन नारा की ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट सरकार की पोल और शराबबंदी के झोल का पर्दाफाश कर रही है।
फील्ड में क्रिएट किया जा रहा है
बिहार में नीतीश सरकार के होश से शराब पर पूरी तरह पाबंदी है लेकिन जो इसे लागू करते हैं वो खुद नशे में हैं। धूम्रपान मुक्ति के नारे से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं और जो बाहर दिख रहा है उसमें हर तरफ माईखाने के खुले हुए हैं। आज हम शासन-प्रशासन की गाल पर तमाचाचाचाकर उन्हें इस नशे से दुनिया भर में मारने वाली एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट लेकर आए हैं। इस रिपोर्ट में साफ-साफ दिखाया जाएगा कि बिहार में शराब की लत कैसे आसान है। फील्ड में कैसे जमा किया जाता है। तालाब तालाब कैसे बनाए गए हैं। कैसे संबंधित क्षेत्र में होम अच्छा हो रहा है। पुलिस को एक-एक ठेके का पता होता है लेकिन उसका कमीशन सेट होता है। हर समुद्र पर हर अवैध माफिया से मोटी रकम हड़प रही है।
रिहायशी क्षेत्र के पास शराब की भट्टियां
बिहार में ना सिर्फ उच्च स्पिरिट शराब मिल बल्कि घातक शराब को भी विषाक्त कर रही है। पवन नारा ने एक ऐसी ही तरंग से रिपोर्ट है जहां पॉलीथिन वाले शराब को तैयार किया जाता था। उद्र निश्चिन्त कुमार गारंटी देते हैं कि हमारे यहां तो शराबबंदी है। जहरीली शराब की वजह से सपरा में नरसंहार हुआ। उसी छपरा में रिहायशी क्षेत्र के पास शराब की भट्टियां हैं। जहां शासन-प्रशासन संदेश नहीं, वहां इंडिया टीवी की टीम पहुंची। इंडिया टीवी की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में देखें कि कैसे बिहार में शराब से बार-बार छलनी क्यों होती है?