इस महीने भारत की अध्यक्षता में 15 देशों की सुरक्षा परिषद ने म्यांमा पर अपना पहला प्रस्ताव बुधवार को अंगीकार किया। प्रस्ताव में 15 सदस्यीय परिषद द्वारा देश के डेमोक्रेटिक उम्मीदवारों को बनाए रखने और मानवाधिकारों का सम्मान करने का आह्वान किया गया।
भारत ने कहा है कि वह म्यांमा के उलझे मुद्दों को हल करने की दिशा में प्रगति को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्ताव के प्रभाव के बारे में अभी भी गति नहीं है, जिसमें देश में हिंसा को उजागर करना और वांग सान सू ची सहित राजनीतिक गोपनीयता की रिलीज़ शामिल है। इस महीने भारत की अध्यक्षता में 15 देशों की सुरक्षा परिषद ने म्यांमा पर अपना पहला प्रस्ताव बुधवार को अंगीकार किया। प्रस्ताव में 15 सदस्यीय परिषद द्वारा देश के डेमोक्रेटिक उम्मीदवारों को बनाए रखने और मानवाधिकारों का सम्मान करने का आह्वान किया गया।
प्रस्ताव के पक्ष में 12 सदस्यों ने पोलिंग की, किसी ने विरोध नहीं किया, जबकि भारत, चीन और रूस पोलिंग से अनुमान लगा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और दिसंबर माह के राष्ट्रपति देश की राजदूत रुचिरा कंबोज ने बृहस्पतिवार को कहा, ”म्यांमा के पड़ोसी के रूप में हम अभी भी इस प्रभाव के बारे में संख्या नहीं हैं कि इस प्रस्ताव से म्यांमार में मुद्दों के समाधान की दिशा में प्रगति होगी। हालांकि, हम उम्मीद करते हैं कि देश में सभी पक्ष हिंसा को छोड़ देंगे और बातचीत के रास्ते पर लौट आएंगे।”
प्रस्ताव में म्यांमा की सेना से विन मिंट और सू ची सहित सर्किट से जमा करने के लिए सभी प्रविष्टियों को दर्ज करने का अनुरोध किया गया है। इसने डेमोक्रेटिक जिल्द और प्रक्रियाओं को बनाए रखने और म्यांमा के लोगों की इच्छा एवं कार्यक्षेत्र के अनुसार चित्रांकन और सुलह को आगे बढ़ाने के लिए अपने अनुरोध को दायर करने और हर जगह से मानवों, मौलिक स्वतंत्रता और कानून के शासन का सम्मान करने का आग्रह किया।
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